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अब दस साल के लिए होगा स्टोन क्रशर लाइसेंस

प्रदेश सरकार अब खनन में राजस्व बढ़ाने और इसमें आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए स्टोन क्रशर नीति में बदलाव करने की तैयारी कर रही है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 29 Oct 2019 07:51 PM (IST)Updated: Tue, 29 Oct 2019 07:51 PM (IST)
अब दस साल के लिए होगा स्टोन क्रशर लाइसेंस

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश सरकार अब खनन में राजस्व बढ़ाने और इसमें आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए स्टोन क्रशर नीति में बदलाव करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत अब क्रशर के लिए लाइसेंस की समय सीमा पांच साल से बढ़ाकर दस साल किया जाना प्रस्तावित है। इसके साथ ही लाइसेंस शुल्क में भी दोगुनी बढ़ोतरी की जाएगी। इस नीति का खाका तकरीबन तैयार हो चुका है और इसे अब आगामी कैबिनेट में रखने की तैयारी है।

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प्रदेश में खनन राजस्व प्राप्ति का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यही कारण भी है कि इस वर्ष सरकार ने खनन विभाग को राजस्व प्राप्ति का 750 करोड़ रुपये का लक्ष्य दिया है। विभाग की स्थिति यह है कि छह माह में विभाग केवल 150 करोड़ का लक्ष्य ही हासिल कर पाया है, जबकि निर्धारित लक्ष्य के हिसाब से विभाग को तकरीबन आधा यानी 350 करोड़ का लक्ष्य हासिल कर लेना चाहिए था। इस पर विभागीय स्तर और फिर मुख्य सचिव स्तर पर राजस्व में आ रही कमी को लेकर चर्चा की गई। बात सामने आई कि खनन व स्टोन क्रशर नीति के मौजूदा प्रविधानों के कारण खनन गति नहीं पकड़ पा रहा है। इसके अलावा अवैध खनन भी इसके आड़े आ रहा है। खनन उद्योग से जुड़े लोगों का यह तर्क भी था कि स्टोन क्रशर जल्दी से उनसे सामग्री नहीं लेते हैं। ऐसे में यह सवाल भी उठा कि यह सामग्री आती कहां से है। इन तमाम बिंदुओं पर मंथन करने के बाद नई क्रशर नीति बनाने का निर्णय लिया गया। इसमें क्रशर संचालकों को राहत देने के लिए इनके लाइसेंस की समय सीमा पांच वर्ष से बढ़ाकर दस वर्ष करना प्रस्तावित किया गया। यह भी सुझाव रखा गया कि क्रशर का लाइसेंस उसी को दिया जाएगा, जिसके पास अपना खनन पट्टा होगा। यानि वह खुद के पट्टे की खनन सामग्री का इस्तेमाल करेगा। इसके साथ ही खनन पट्टों के क्षेत्रफल और नदी क्षेत्र से इनकी दूरी के पुराने मानकों में भी राहत देने की बात कही गई। अब इन तमाम बिंदुओं को संशोधित स्टोन क्रशर नीति में समाहित किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो इसका ड्राफ्ट तकरीबन तैयार हो चुका है। पहले इसे अल्मोड़ा में हुई कैबिनेट में रखे जाने की तैयारी थी लेकिन ऐन वक्त पर इसे प्रस्तुत नहीं किया गया। अब यह मसौदा नवंबर में होने वाली पहली कैबिनेट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।


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