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गंगा में नहीं समाएगा उससे सटे 15 शहरों का ठोस अपशिष्ट, पढ़ि‍ए पूरी खबर

राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए राज्य सरकार भी गंभीरता से कदम उठा रही है। नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा से सटे 15 शहरों में नालों की टैपिंग हो चुकी है और अब इनके जरिये कूड़ा कचरा न जाए इसके लिए जाल लगाए गए हैं।

By Sunil Singh NegiEdited By: Published: Sat, 26 Dec 2020 01:14 PM (IST)Updated: Sat, 26 Dec 2020 01:14 PM (IST)
गंगा में नहीं समाएगा उससे सटे 15 शहरों का ठोस अपशिष्ट, पढ़ि‍ए पूरी खबर
राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए राज्य सरकार भी गंभीरता से कदम उठा रही है।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। राष्ट्रीय नदी गंगा की स्वच्छता एवं निर्मलता के लिए राज्य सरकार भी गंभीरता से कदम उठा रही है। नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा से सटे 15 शहरों में नालों की टैपिंग हो चुकी है और अब इनके जरिये कूड़ा कचरा (ठोस अपशिष्ट) न जाए, इसके लिए जाल लगाए गए हैं। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक के अनुसार गंगा की स्वच्छता के लिए आमजन को जागरूक भी किया जा रहा है। इसके साथ ही प्रदेश के नगरीय क्षेत्रों में कचरा प्रबंधन पर खास फोकस किया गया है।

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उत्तराखंड में नमामि गंगे परियोजना के तहत गंगा से सटे 15 शहरों में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और नालों की टैपिंग का कार्य अब अंतिम चरण में पहुंच गया है। नालों की टैपिंग सबसे पहले की गई। शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक ने बताया कि सभी निकायों को स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं कि नदियों में शहरों का ठोस अपशिष्ट प्रबंधन कतई न जाने पाए। इस क्रम में गंगा से सटे नगर निकायों को विशेष रूप से निर्देशित किया गया है। इन निकायों ने टैप किए गए नालों पर जाल भी लगाए हैं, ताकि गंगा में कूड़ा-कचरा न जाने पाए।

उन्होंने यह भी जानकारी दी कि प्रदेश के सभी 92 नगर निकायों से वर्तमान में 1638 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। इसके सापेक्ष 926 मीट्रिक टन का रोजाना प्रसंस्करण किया जा रहा है। शेष कचरे के प्रसंस्करण के लिए सुविधाएं विकसित की जा रही हैं। इसके अलावा सभी नगर निकायों के 1190 वार्डों में घर-घर कूड़ा उठान शुरू किया गया है। इनमें से 772 वार्डों में स्रोत पर ही जैविक व अजैविक कचरे का पृथक्कीकरण किया जा रहा है।

कौशिक के मुताबिक अपशिष्ट में से रिसाइकिल होने वाले कूड़े को अलग कर उसे बेचने की व्यवस्था के लिए देहरादून में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के सहयोग से दो और ऋषिकेश में एक मटीरियल रिकवरी फैसिलिटी विकसित की जा चुकी है। इसके अलावा जर्मनी की संस्था के सहयोग से ऋषिकेश और हरिद्वार में भी इसी तरह की सुविधा विकसित की जा रही है।

26 निकायों में लगे कांपेक्टर

प्रदेश के 26 नगर निकायों में एकत्रित कचरे के मद्देनजर कांपेक्टर स्थापित किए जा चुके हैं। इसके अलावा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सहयोग से 20 अन्य निकायों में भी कांपेक्टर लगाए जा रहे हैं। यही नहीं, राज्यभर में चिह्नित 549 सरकारी कॉलोनियों में से 186 में ऑन साइट कंपोस्टिंग भी की जा रही है। शहरी विकास मंत्री ने बताया कि राज्य में 179 बल्क वेस्ट जेनेरटर चिह्नित किए गए हैं, जो अपना अपशिष्ट या तो स्वयं प्रबंधित करते हैं या फिर संबंधित निकायों को इसके लिए भुगतान करते हैं।

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