शहीद स्थल पर उमड़े राज्य आंदोलनकारियों ने भरी हुंकार, मांग को लेकर जारी रखा उपवास
सरकारी सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण बहाल किए जाने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों का उपवास गुरुवार को चौथे दिन भी जारी रहा। राज्य आंदोलनकारी मंच के बैनर तले राज्य आंदोलनकारी कचहरी परिसर स्थित शहीद स्थल पर उपवास कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून: सरकारी सेवा में 10 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण बहाल किए जाने की मांग को लेकर राज्य आंदोलनकारियों का उपवास गुरुवार को चौथे दिन भी जारी रहा। राज्य आंदोलनकारी मंच के बैनर तले राज्य आंदोलनकारी कचहरी परिसर स्थित शहीद स्थल पर उपवास कर रहे हैं। मांग पूरी नहीं होने पर राज्य आंदोलनकारियों ने एक जनवरी को सामूहिक आत्मदाह करने की चेतावनी दी है।
सरकार के रवैये से नाराज तमाम राज्य आंदोलनकारी शहीद स्थल पहुंचे और सभा की। इस दौरान वरिष्ठ राज्य आंदोलनकारी ओमी उनियाल ने कहा कि भाजपा सरकार का रवैया राज्य आंदोलनकारियों के प्रति उदासीन बना हुआ है। राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी सेवा में 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ दिए जाने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जा रहा। इसकी फाइल पिछले कई साल से राजभवन में धूल फांक रही है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अपनी इस मांग के लिए राज्य आंदोलनकारियों को फिर जान की बाजी लगानी पड़ रही है।
पीडि़त राज्य आंदोलनकारी मंच के अध्यक्ष क्रांति कुकरेती ने कहा कि हम केवल समस्या नहीं बता रहे, बल्कि उसका निदान भी बता रहे हैैं। फिर भी सरकार हमारे साथ न्याय नहीं कर रही। सरकार चाहती है कि राज्य आंदोलनकारी कोटे से सरकारी सेवा में सेवायोजित हुए 1443 कार्मिक सड़क पर आ जाएं। वेद प्रकाश शर्मा ने कहा कि राज्य आंदोलनकारी हर हाल में अपना अधिकार लेकर रहेंगे, चाहे इसके लिए साल 1994 के इतिहास को दोहराना क्यों न पड़ जाए। सभा का संचालन विक्रम भंडारी ने किया। उपवास पर बैठने वालों में देव नौटियाल, वीरेंद्र रावत, सूर्यकांत बमराड़ा, अंबुज शर्मा, मनोज कुमार, राम किशन शामिल रहे।
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कर्मियों ने की उप वन संरक्षक को हटाने की मांग
उत्तरांचल पर्वतीय कर्मचारी शिक्षक संगठन ने वन विभाग के मिनिस्टीरियल कर्मियों के आंदोलन का समर्थन किया है। संगठन की ओर से मुख्यमंत्री व वन मंत्री को ज्ञापन भेजकर हरिद्वार में तैनात उप वन संरक्षक को हटाने की मांग की गई है।
संगठन के पदाधिकारियों ने कहा कि हरिद्वार में तैनात उप वन संरक्षक कर्मचारियों के साथ अभद्र भाषा का प्रयोग कर उनका उत्पीडऩ कर रहे हैं। जिसके विरोध में वन विभाग के मिनिस्टीरियल कर्मचारी कार्यबहिष्कार समेत धरना-प्रदर्शन भी कर चुके हैं, लेकिन अभी तक वन विभाग और शासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस कारण कार्मिकों में आक्रोश है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और वन मंत्री हरक सिंह रावत को ज्ञापन भेजकर कार्रवाई की मांग की है। साथ ही वन कर्मियों के आंदोलन को पूर्ण समर्थन देने का एलान किया है।
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