International yoga festival: खुशहाल जीवन के लिए वर्तमान में रहना जरूरी : आध्यात्मिक गुरु मूजी
परमार्थ निकेतन में चल रहे अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन पुर्तगाल के आध्यात्मिक गुरु मूजी ने योग साधकों को शांति का संदेश दिया।
ऋषिकेश, जेएनएन। परमार्थ निकेतन में चल रहे अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन पुर्तगाल के आध्यात्मिक गुरु मूजी ने योग साधकों को शांति का संदेश दिया। इसके अलावा बौद्धिक सत्र में जूना पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज, स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज व गौर गोपालदास ने योग साधकों का मार्गदर्शन किया।
गंगा तट पर चल रहे महोत्सव में साधकों को संबोधित करते हुए आध्यात्मिक गुरु मूजी ने कहा कि सत्य से युक्त जीवन ही आध्यात्मिक जीवन है। सत्य, सत्य होता है, वह कभी बदलता नहीं। हमारा शरीर हमारा घर है, हम उसमें बहुत सारी चीजें डालते हैं, परंतु हमें इसके लिए जागरूक होना होगा कि हम इसमें क्या विचार डालें। हार्ट इस्टेब्लिशमेंट के विषय में बताते हुए उन्होंने कहा कि आप अपने बीते हुए कल और भविष्य में मत जाइए। कुछ क्षणों के लिए वर्तमान में रहने की कोशिश कीजिए। आपके अंदर विचारों का जो जंगल है, उससे बाहर आइए। कहा कि मेंटल ट्रैफिक को कम करने के लिए जागरुकता जरूरी है।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि अध्यात्म के बिना जीवन वैसे ही है, जैसे बिना पानी की नदी और बिना पैसे के बैंक। नदी तब तक ही आनंद देती है, जब तक उसमें जल हो। इसी प्रकार अध्यात्म से युक्त जीवन ही आनंददायक होता है। जीवन में अगर अध्यात्म न हो तो शांति भी नहीं आ सकती। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग सार्वभौमिक है। वह शरीर, आत्मा और परमात्मा के मिलन का माध्यम है। इस मौके पर जॉर्जिया के राजदूत आर्चिल दजुलियाष्विली भी मौजूद रहे।
अध्यात्म के बगैर जीवन बिन पानी की नदी जैसा: स्वामी चिदानंद
परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन आध्यात्मिक गुरु मूजी ने योग साधकों को शांति का संदेश दिया। वहीं बौद्धिक सत्र में जूना अखाड़ा के पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी महाराज, स्वामी चिदानंद सरस्वती महाराज, व गौर गोपालदास ने योग साधकों का मार्गदर्शन किया।
परमार्थ निकेतन में गंगा तट पर आयोजित योग महोत्सव में मंगलवार को जॉर्जिया के राजदूत आर्चिल दजुलियाष्विली ने भी शिरकत की। वहीं पुर्तगाल निवासी आध्यात्मिक गुरु मूजी ने साधकों को संबोधित करते हुए कहा कि सत्य से युक्त जीवन ही आध्यात्मिक जीवन है। सत्य, सत्य होता है वह कभी भी बदलता नहीं है। उन्होंने कहा कि हमारा शरीर, हमारा घर है, हम उसमें बहुत सारी चीजें डालते है परन्तु हमें इसके लिए जागरूक होना होगा कि हम क्या विचार डाले। उन्होंने हार्ट इस्टैब्लिशमेंट के विषय में बताते हुए कहा कि आप अपने बीते हुए कल और भविष्य में मत जाइए कुछ क्षणों के लिए वर्तमान में रहने की कोशिश करें। आपके अन्दर विचारों का जो जंगल है उससे बाहर निकलें। मेंटल ट्रैफिक को कम करने के लिये जागरूकता जरूरी है।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि अध्यात्म के बिना जीवन वैसे ही है जैसे बिना पानी के नदी और बिना पैसे के बैंक। नदी तब तक ही आनन्द देती है जब तक उसमें जल हो उसी प्रकार अध्यात्म से युक्त जीवन ही आनंददायक होता है। जीवन में अगर अध्यात्म न हो तो जीवन में शांति नहीं आ सकती। साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि योग, सार्वभौमिक है और भारत, योग का जन्मदाता है। योग, शरीर, आत्मा और परमात्मा के मिलन का माध्यम है।
क्रिकेटर जोंटी रोड्स ने युवाओं को दिए फिटनेश टिप्स
क्रिकेट की दुनिया में सर्वश्रेष्ठ फील्डिंग के लिए पहचान रखने वाले दक्षिण अफ्रीका के क्रिकेटर जोंटी रोड्स ने अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में योग साधकों को फिटनेस के टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि जीवन में अनुशासन का होना बेहद जरूरी है। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद व गढ़वाल मंडल विकास निगम की ओर से आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में क्रिकेटर जोंटी रोड्स ने योग साधकों का मार्गदर्शन किया। मुनिकीरेती योगा घाट पर बने पांडाल में सैकड़ों युवाओं और योग साधकों को फिट रहने के टिप्स दिए। रोड्स ने कहा कि क्रिकेट व अन्य खेलों में फिटनेस की बहुत आवश्यकता होती है। इसके लिए योगाभ्यास व फिजिकल फिटनेस जरूरी है।
एक अच्छे क्रिकेटर के बाजुओं में जहां असीमित ताकत की जरूरत होती है वहीं बल्लेबाज को गेंद के साथ समयबद्ध तरीके से टाइमिंग की आवश्यकता होती है, जो कि निरन्तर अभ्यास से प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने कहा कि भारतीय योग का महत्व व उपयोगिता आज पूरा विश्व समझ रहा है। भारत की धरती से गहरा जुडाव दर्शाते हुए उन्होंने कहा कि उनके दोनों पुत्र भारत में पैदा हुए। उन्होंने बताया कि जीवन में अनुशासन बेहद जरूरी है। उनके पिता, जोकि एक अध्यापक थे, उन्होंने बचपन से ही उन्हें कडे अनुशासन में रहने की सीख दी।
उन्होंने धूमपान को स्वास्थ्य के लिए घातक बताते हुए युवाओं से धूमपान से दूर रहने की अपील की। इससे पूर्व सीडीओ देहरादून रितिका खंडेलवाल ने क्रिकेटर जोंटी रोड्स का स्वागत किया। इस अवसर पर जीएमवीएन की प्रबंध निदेशक ईवा आशीष श्रीवास्तव भी मौजूद थी।
योगाभ्यास में बीता योग साधकों का दिन
परमार्थ निकेतन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन योग साधकों का पूरा दिन योग की विभिन्न कक्षाओं में योगाभ्यास के साथ बीता। ध्यान और योग का विशेष अभ्यास सत्र प्रात:काल में योगाचार्य गुरूशब्द सिंह खालसा के निर्देशन में चला। उन्होने साधकों को कुंडलिनी योग, योगाचार्य आभा सरस्वती ने प्रात:कालीन प्राणायाम, मर्ट गुलर सूफी लव मेडिटेशन, कैटी बी हैप्पी द्वारा विन्यास योग, अमेरिकी योगाचार्य एवं संगीतज्ञ आनन्द्रा जार्ज द्वारा सूर्य उदय नाद योग साधना का अभ्यास कराया।
योगाचार्य जैनेट एटवुड ने योग ऑफ द मांइड, योगाचार्य दाना फ्लिन ने सोल स्वेट, डॉ ईडेन गोल्डमैन ने सार्वभौमिक मानवीय भाषा को स्पर्श, योगाचार्य सीना शर्मन ने करूणा का चक्र प्राणायाम का अभ्यास कराया। योगाचार्य कीया मिलर ने योग का चुम्बकत्व एवं चमक, जोसेफ ने होम्योपैथीक ऑफ सांउड का अभ्यास कराया गया। वहीं इंडियन क्लासिकल डांस कार्यशाला का आयोजन किया गया। स्वामिनी आदित्यनन्दा सरस्वती ने डिवाइन कल पर उद्बोधन दिया।
डॉ. ऐलेजैंड्रो जंगर ने आधुनिक विषाक्त दुनिया में डिटॉक्सिफिकेशन के महत्व पर प्रकाश डाला। ऋषिकेश मूल के प्रख्यात योगाचार्य मोहन भण्डारी ने 'योग फॉर द स्पाइन', योगाचार्य टोमी रोजेन ने तनाव से मुक्ति और आशीर्वाद की खोज, लंदन से आए योगाचार्य स्टीवर्ट गिलक्रिस्ट द्वारा, आधुनिक संदर्भ में बाधा का दूर कर स्वतंत्र अस्मिता पर चिंतन, योगीराज विश्वकेतु द्वारा हठयोग-राजयोग, संगीतज्ञ वाका द्वारा उत्तर भारतीय संगीत का अभ्यास कराया गया।
शिवमणि देंगे ड्रम प्रस्तुति
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में बुधवार को परमार्थ निकेतन गंगा तट पर प्रख्यात ड्रम वादक शिवमणि ड्रम प्रस्तुति देंगे। योग महोत्सव की सचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने बताया कि ड्रम वादक शिवमणी के साथ रूना भी संगीत प्रस्तुति देंगी। इसके अलावा योग महोत्सव में आने वाले दिनों में विश्व विख्यात सूफी गायक, कैलास खेर अपने कैलाशा बैंड के साथ संगीत प्रस्तुति देंगे।
स्वस्थ शरीर में जागृत होती है योग चेतना
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन मुंगेर विश्वविद्यालय के स्वामी आत्म स्वरूपानन्द ने योग साधकों को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि योग विज्ञान से अलग नही है। आज दुनियां में कोई भी व्यक्ति नहीं जो योग के बारे में नहीं जानता हो या किसी न किसी माध्यम से योग विधा के प्रति उसकी जिज्ञासा जागृत न हुई हो। उन्होंने कहा कि योग चेतना स्वस्थ शरीर में ही अवतरित हो सकती है। मानव अमीबा की तरह एक कोशकीय प्राणी नहीं है। उन्होंने कहा कि मनुष्य बहुकोशिकीय प्राणी है जिसके शरीर में पांच अलग-अलग शरीर विद्यमान हैं। पहला अंन्नमय शरीर, दूसरा प्राणमय शरीर, तीसरा मनोमय शरीर, चौथा विज्ञानमय शरीर, पांचवां आनन्दमय शरीर।
आनन्दमय शरीर शेष चार शरीरों को जीतने के बाद मिलता है जो कि सांसारिक सभी वासनाओं से मुक्त होता है। वहीं दूसरी ओर प्रात:कालीन सत्र में योगाचार्य रोशन कुमार नायडू द्वारा पिरामिड ब्रीथ मेडिटेशन के बारे में योग साधकों को जानकारी दी व इसका योगाभ्यास भी कराया। उन्होंने कहा है कि इस योग क्रिया से कैंसर जैसे असाध्य रोगों पर भी नियंत्रण पाया जा सकता है। इस योग साधना से शरीर में ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। ऊर्जा का प्रवाह बढऩे से किसी प्रकार का भी वाह्य वायरस व्यक्ति के शरीर को संक्रमित नहीं कर सकता है। ग्वालियर से आये योगाचार्य स्वामी जीतानन्द महाराज ने योग प्रशिक्षार्थियों को दिव्य अभ्यांन्तर क्रिया का अभ्यास कराया। उन्होंने कहा है कि इस योग क्रिया से शारीरिक व मानसिक विकृतियां दूर होती हैं और साधक दिव्यता का अनुभव करता है। प्रात:कालीन योग कक्षाओं में योगिनी ऊषा माता ने आयंगर योग का अभ्यास कराया।
स्टॉल कर रहे हैं साधकों को आकर्षित
अंतरराष्ट्रीय योग महोत्सव में विभिन्न संस्थाओं ने अपने स्टॉल भी लगाए हैं। जिसमें सरस्वती जन कल्याण एवं स्वरोजगार संस्थान, जनगणना कार्य निदेशालय उत्तराखंड, आध्यात्म विज्ञान सत्संग केन्द्र, कुम्भ मेला-2021, आयुर्वेदा सदन, आर्गेनिक फूड केंद्र, गुड लीविंग ऑर्गेनिक हरिद्वार, आयुर्वेदिक सदन, रिट्रीट फॉर मी, सेवा टीएचडीसी, एचडीएफसी बैंक, आजीविका परियोजना, गॉग बाथ, दिव्य ऐस्ट्रो प्वांइंट, योगादा सतसंग ध्यान मंण्डली हरिद्वार, हथकरधा व हस्तशिल्प के उत्पादों एवं स्वयं सहायता समूहों आदि के स्टॉल लगाए गए हैं, जो योग साधकों को अपनी ओर आकर्षित कर रहे हैं।
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अजय प्रसन्ना ने दी बांसुरी की प्रस्तुति
गंगा रिसार्ट में आयोजित योग महोत्सव में प्रख्यात बांसुरी वादक पं. अजय प्रसन्ना ने प्रस्तुति दी। उन्होंने राग वाचस्पति की प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि वाचस्पति का शाब्दिक अर्थ ही विद्वान होता है और किसी भी साधना में तभी सफलता मिलती है जब उसे विद्वान, गुरुस्वरूप व्यक्ति का मार्गदर्शन प्राप्त होता है। फिर चाहे वह संगीत हो या योग। उन्होंने अजय राग पहाड़ी पर आधारित धुन भी प्रस्तुत की।