कुदरत का करिश्मा, 'मौत' के सात साल बाद घर लौटा सेना का जवान
बॉलीवुड को इससे अच्छी कहानी नहीं मिलेगी। 'मौत' के सात साल बाद सेना का एक जवान घर लौटा। जी हां, दुर्घटना में अपनी याददाश्त गंवा चुका जवान हरिद्वार की गलियों में भटक रहा था।
देहरादून। बॉलीवुड को इससे अच्छी कहानी नहीं मिलेगी। 'मौत' के सात साल बाद सेना का एक जवान घर लौटा। जी हां, दुर्घटना में अपनी याददाश्त गंवा चुका जवान हरिद्वार की गलियों में भटक रहा था। सेना ने भी उसे मृत घोषित कर दिया था। इस बीच कुदरत का करिश्मा हुआ। जवान के साथ एक और सड़क दुर्घटना हुई। इस बार उसकी याददाश्त लौट आई। इसके बाद क्या हुआ जानते हैं पूरी कहानी।
पढ़ें:- केदारनाथ से लौट रहे हेलीकॉप्टर से टकराया पक्षी, ऐसे बची यात्रियों की जान..
टाइम ऑफ इंडिया के अनुसार, पिछले हफ्ते देर रात रिटायर्ड सुबेदार कैलाश यादव दरवाजा खटखटाने पर उसे खोलने पहुंचे। वह एकदम चौंक गए, जब उन्होंने देखा कि उनका मरा हुआ बेटा धर्मवीर सिंह उसके सामने खड़ा है। उनके आंखों से आंसू की धारा बहने लगी। परिवार के लोग स्वागत करते हुए उसे अंदर ले गए और उससे पूरी बात जानने के लिए आतुर दिखे।
धर्मवीर सिंह (39 वर्ष) 66 आर्मड रेजिमेंट देहरादून में तैनात था। वर्ष 2009 से वह लापता था और नियम के अनुसार सेना ने भी उसे मृत घोषित कर दिया था। धर्मवीर के भाई राम निवास ने बताया कि, 'मेरा भाई देहरादून के चकराता रोड में सेना का वाहन चला रहा था। इसी दौरान सड़क दुर्घटना में वह और दो अन्य जवान घायल हो गए। बाद में अन्य जवानों ने यूनिट में रिपोर्ट किया, लेकिन धर्मवीर का पता नहीं चला।
सेना ने भी धर्मवीर का मृत्यु प्रमाणपत्र जारी कर दिया और परिवार को फैमिली पेंशन देनी शुरू कर दी। परिवार के लोगों को उसे पुन: देखने की उम्मीद थी, जबकि धर्मवीर की पत्नी मनोज देवी पति की रक्षा के लिए व्रत रख रही थी। उसने बताया कि मेरे दिल में कहीं एक आस थी कि वह लौटकर जरूर आएंगे।
पढ़ें:-पिथौरागढ़ में बादल फटा, 25 मिनट में हुई 36 एमएम बारिश
धर्मवीर ने अपने परिवार को बताया कि उसे याद नहीं कि 2009 हादसे के बाद उसके साथ क्या हुआ। उसने बताया कि पिछले हफ्ते वह हरिद्वार की गलियों में भीख मांग रहा था। इसी दौरान एक बाइक सवार ने उसे टक्कर मार दी। उसने ही उसे अस्पताल पहुंचाया, जहां डॉक्टर ने बताया कि उसकी याददाश्त वापस आ गई।
धर्मवीर ने भगवान का धन्यवाद दिया। कहा, जिस बाइक सवार ने उसे टक्कर मारी थी उसने ही उसे पांच सौ रुपये भी दिये। मैंने दिल्ली से घर के लिए टिकट लिया। इसके बाद अलवर के पास अपने गांव भेटेड़ा पहुंचा। मैं आश्चर्य चकित था कि मैं अपनी बेटियों को नहीं पहचान पा रहा था, वे काफी बढ़ी हो गई थी। मेरी एक बेटी कक्षा 10वीं में पहुंच गई थी, जबकि दूसरी 12वीं में। अब परिवार के लोग धर्मवीर को इलाज के लिए जयपुर ले गए हैं।