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परित्यक्ता महिला पेंशन की आय सीमा में होगा संशोधन

प्रदेश में परित्यक्ता महिला पेंशन में वार्षिक आय की सीमा को अब 15 हजार से बढ़ाकर 48 हजार किया जाएगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 Jul 2020 10:48 PM (IST)Updated: Thu, 09 Jul 2020 10:48 PM (IST)
परित्यक्ता महिला पेंशन की आय सीमा में होगा संशोधन
परित्यक्ता महिला पेंशन की आय सीमा में होगा संशोधन

राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश में परित्यक्ता महिला पेंशन में वार्षिक आय की सीमा को अब 15 हजार से बढ़ाकर 48 हजार किया जाएगा। मकसद यह कि अधिक से अधिक महिलाओं को इसका लाभ प्राप्त हो सके। बाबू जगजीवन राम छात्रावास योजना को लेकर भी सरकार अब केंद्र में पुरजोर तरीके से पैरवी करेगी।

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गुरुवार को समाज कल्याण मंत्री यशपाल आर्य की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में समाज कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं की समीक्षा की गई। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सभी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचाया जाए। विभिन्न वर्गो को दी जाने वाली पेंशन योजनाओं में पेंशन धारकों के पात्र व्यक्तियों का चयन पारदर्शी तरीके से किया जाए। परित्यक्ता, मानसिक रूप से विकृत व विक्षप्त पति अथवा पत्‍‌नी एवं निराश्रित अविवाहित महिलाओं की पेंशन योजना के संबंध में बताया गया कि इस योजना के तहत सहायता उन्हीं को दी जाती है जिनकी ग्रामीण क्षेत्रों में आय 15976 रुपये और शहरी क्षेत्र में 21206 रुपये सालाना है। ऐसे में लाभार्थी की समस्त स्रोतों से वार्षिक आय का प्रविधान 48000 रुपये रखा गया। इससे कम आय वालों को यह पेंशन दी जाएगी। इस प्रस्ताव को जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा। इस दौरान दिव्यांग युवक युवती के विवाह करने पर प्रोत्साहन स्वरूप अनुदान राशि 25 हजार से बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने पर भी चर्चा हई। बताया गया कि संबंधित पत्रावली वित्त विभाग को भेजी गई है। अटल आवास योजना के अंतर्गत सहायता राशि बढ़ाने के प्रस्ताव पर बताया गया कि इस पर वित्त विभाग ने असहमति जताई है। अनुसूचित जाति के व्यक्तियों की पुत्री की शादी एवं सामान्य वर्ग की विधवा पेंशन प्राप्त कर रही विधवाओं की पुत्रियों को शादी में अनुदान योजना के लिए वार्षिक आय सीमा 48000 रुपये करने पर भी चर्चा हुई। उन्होंने निदेशालय के अधिकारियों को इस संबंध में प्रस्ताव भेजने को कहा। समाज कल्याण मंत्री ने कहा कि लाभार्थियों तक योजनाओं का अधिकतम लाभ पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए।

अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की समीक्षा करते हुए उन्होंने कहा कि ये योजनाएं केवल मुस्लिम वर्ग तक सीमित नहीं हैं। इसमें जैन, पारसी, सिख व अन्य लोग भी हैं। अत: इसमें व्यापक दृष्टिकोण अपनाया जाए। वक्फ बोर्ड की संपत्तियों का संरक्षण करने और रिकॉर्ड में हुए परिवर्तन को ठीक करते हुए इनका डिजिटाइजेशन किया जाए। इसके लिए जीआइएस मैपिंग की जाए। उन्होंने ई-ऑफिस की स्थापना पर भी जोर दिया। बैठक में सचिव समाज कल्याण एल फैनई, अपर सचिव समाज कल्याण रामविलास यादव व निदेशक विनोद गिरी गोस्वामी भी उपस्थित थे।


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