Move to Jagran APP

मास्टर प्लान पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की जाएगी दाखिल, जानिए क्या है एसएलपी

शासन अब एमडीडीए का मास्टर प्लान निरस्त किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल लीव पिटिशन दाखिल करने की तैयारी कर रहा है।

By Edited By: Published: Wed, 20 Jun 2018 03:00 AM (IST)Updated: Wed, 20 Jun 2018 09:04 PM (IST)
मास्टर प्लान पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की जाएगी दाखिल, जानिए क्या है एसएलपी
मास्टर प्लान पर सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी की जाएगी दाखिल, जानिए क्या है एसएलपी

देहरादून, [जेएनएन]: मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण (एमडीडीए) का मास्टर प्लान निरस्त किए जाने के मामले में आवास विभाग (शासन) सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी (स्पेशल लीव पिटिशन) दाखिल करने की तैयार कर रहा है। इसके लिए हाई कोर्ट का आदेश न्याय विभाग को भेजा गया है। उधर, एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने कामकाज को लेकर शासन से मार्गदर्शन मांगा है। 

loksabha election banner

अपर सचिव आवास सुनील श्री पांथरी के मुताबिक हाई कोर्ट का आदेश मंगलवार को ही प्राप्त हुआ है और उसे अध्ययन के लिए न्याय विभाग को भी भेज दिया गया है। उन्होंने बताया कि आदेश में मास्टर प्लान को निरस्त करने की बात का जिक्र नहीं है। सिर्फ नोटिफिकेशन निरस्त किया गया है। इस बात का असल आशय न्याय विभाग ही स्पष्ट कर सकता है। न्याय विभाग का परामर्श प्राप्त हो जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दाखिल कर दी जाएगी। 

हाईकोर्ट के आदेश के क्रम में एमडीडीए के कामकाज पर पड़ रहे असर के लिए अभी शासन से मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हो पाया है। जबकि एमडीडीए ने नक्शे पास करने की प्रक्रिया पर फिलहाल विराम लगा दिया है। हालांकि एमडीडीए उपाध्यक्ष डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि एक्ट के अनुसार एमडीडीए का कामकाज चल रहा है। क्योंकि ऐसा भी नहीं है कि नक्शे हर दिन ही पास होते हैं। इस तरह प्राधिकरण के कामकाज को कम से कम प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है। 

केंद्र सरकार के रुख रहेगा अहम एमडीडीए के मास्टर प्लान का नोटिफिकेशन निरस्त करने के अलावा कोर्ट ने प्लान को लेकर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की है। ऐसे में उम्मीद है कि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय पूर्व से ही मास्टर प्लान को स्वीकृति प्रदान कर देगा। यदि ऐसा नहीं हो पाया तो एमडीडीए के पास वर्ष 1985-2001 के मास्टर प्लान के अनुसार नक्शे पास करने का विकल्प खुला रहेगा। क्योंकि जब 2001 में पुराने प्लान की समय सीमा समाप्त हुई तो केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर इसकी सीमा बढ़ा दी थी। 

वर्ष 2008 तक संशोधित मास्टर प्लान के आने तक यही प्रभावी रहा। ऐसे में यदि वर्तमान के मास्टर प्लान को पूर्व की तिथि से स्वीकृति नहीं मिल पाती है तो वर्ष 1985-2001 के मास्टर प्लान के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि केंद्र के रुख और न्याय विभाग से हरी झंडी मिलने के बाद ही इस विकल्प पर विचार किया जाएगा।

यह भी पढ़ें: हार्इकोर्ट ने देहरादून का मास्टर प्लान किया निरस्त, जानिए वजह

यह भी पढ़ें: हाई कोर्ट ने दिए कॉर्बेट में होटल-रिसॉर्ट की नापजोख को हाई पावर कमेटी गठन के निर्देश


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.