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लटक गया एसएलपी वापस लेने का मामला

एक अक्टूबर 2005 से पहले नियुक्ति पत्र मिलने और आचार संहिता की वजह से देर से कार्यभार ग्रहण करने वाले शिक्षकों को पुरानी पेंशन देने का मामला लटक गया है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 18 Sep 2020 10:32 PM (IST)Updated: Sat, 19 Sep 2020 05:17 AM (IST)
लटक गया एसएलपी वापस लेने का मामला
लटक गया एसएलपी वापस लेने का मामला

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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एक अक्टूबर, 2005 से पहले नियुक्ति पत्र मिलने और आचार संहिता की वजह से देर से कार्यभार ग्रहण करने वाले शिक्षकों को पुरानी पेंशन देने का मामला लटक गया है। शिक्षा महकमे पर कोरोना की मार और वित्त की ओर से दिखाई जा रही हिचक के चलते सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी वापस लेने की दिशा में भी अभी सरकार के कदम नहीं बढ़ सके हैं।

शिक्षा महकमे में करीब पांच सौ शिक्षकों को पुरानी पेंशन का मामला कई सालों से उलझा हुआ है। इन शिक्षकों को एक अक्टूबर से पहले नियुक्ति पत्र मिल गए थे। इसके बावजूद विधानसभा चुनाव की आचार संहिता आड़े आ गई। आचार संहिता की वजह से इन शिक्षकों को कार्यभार ग्रहण करने से रोक दिया गया। बाद में कार्यभार ग्रहण करने वाले इन शिक्षकों को पुरानी पेंशन से वंचित होना पड़ा है। देर से कार्यभार ग्रहण करने की वजह से इन्हें नई पेंशन योजना के दायरे में लिया गया। हाईकोर्ट ने इन शिक्षकों के पक्ष में फैसला दिया है।

हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है। इस बीच शिक्षकों के संगठनों की शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय और शासन के अधिकारियों के साथ वार्ता में पुरानी पेंशन देने के मामले में एसएलपी वापस लेने पर सहमति बनी। यह सहमति तकरीबन महीना गुजरने के बाद भी अमल में नहीं लाई जा सकी। इस बीच शिक्षा सचिव आर मीनाक्षी सुंदरम की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ गई। यही नहीं शिक्षा निदेशालय में भी कोरोना संक्रमण के चलते कामकाज पर असर पड़ा हुआ है। इस वजह से शिक्षक संगठनों के साथ बनी सहमति के मुताबिक वित्त और शिक्षा महकमे के अधिकारियों की संयुक्त समिति का गठन भी अभी नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि शिक्षा सचिव के काम पर वापस आने के बाद ही समाधान को लेकर हुए फैसलो पर अमल किया जाएगा। शिक्षा मंत्री अरविंद पांडेय ने कहा कि शिक्षक संगठनों के साथ हुए समझौते का पालन किया जाएगा।


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