24 अप्रैल को बदरीनाथ धाम के लिए प्रस्थान करेगी गाडू घड़ा
श्री बदरी नारायण के अभिषेक के लिए प्रयुक्त होने वाला तिल के तेल का कलश यानी गाडू घड़ा 24 अप्रैल को नरेंद्रनगर राजमहल से बदरीनाथ के लिए प्रस्थान करेगा। गाडू घड़ा 10 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व नौ मई को बदरीनाथ पहुंच जाएगा।
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश :
श्री बदरी नारायण के अभिषेक के लिए प्रयुक्त होने वाला तिल के तेल का कलश यानी गाडू घड़ा 24 अप्रैल को नरेंद्रनगर राजमहल से बदरीनाथ के लिए प्रस्थान करेगा। गाडू घड़ा 10 मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने से पूर्व नौ मई को बदरीनाथ पहुंच जाएगा।
वर्षों से चली आ रही परंपरा के अनुसार प्रतिवर्ष भगवान बदरी विशाल के अभिषेक के लिए तिल का तेल नरेंद्रनगर स्थित राजमहल में पिरोया जाता है। यही नहीं बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि का निर्धारण भी राजमहल से ही किया जाता है। इस वर्ष गाडू घड़ा के लिए तिल का तेल पिरोने और गाडू घड़ा की यात्रा के लिए कार्यक्रम निर्धारित कर दिया गया है। इसका आयोजन श्री बदरीनाथ डिमरी धार्मिक केंन्द्रीय पंचायत की ओर से व श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के सहयोग से किया जाता है। बीकेटीसी के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. हरीश गौड़ ने बताया कि 24 अप्रैल को नरेंद्रनगर राजमहल में तेल पिरोये जाने के पश्चात गाडू घड़ा यात्रा प्रथम चरण में ऋषिकेश के लिए प्रस्थान करेगी। चेला चैतराम धर्मशाला रेलवे रोड ऋषिकेश में रात्रि विश्राम के पश्चात 25 अप्रैल को प्रात: पूजा अर्चना एवं भोग के पश्चात श्रीनगर के लिए प्रस्थान करेगी। श्रीनगर में डालमिया कोठी में रात्रि विश्राम के पश्चात 26 अप्रैल को डिम्मर गांव पहुंचेगी। दूसरे चरण में आठ मई को गाडू घड़ा श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ से आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, व बदरीनाथ के रावल के साथ योगध्यान बदरी पांडुकेश्वर के लिए प्रस्थान करेगी। नौ मई को पांडुकेश्वर से गाडू घड़ा (तेल कलश) यात्रा आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी व रावल के साथ श्री उद्धवजी व कुबेरजी के साथ सायंकाल को बदरीनाथ धाम पहुंचेंगी। 10 मई को प्रात: चार बजकर 15 मिनट पर श्री बदरीनाथ धाम के कपाट दर्शनार्थ खोले जाएंगे। इसके साथ ही गाडू घड़ा भी मंदिर के गर्भगृह में स्थापित हो जाएगी।