शिल्पा और नूतन की फर्म के लाइसेंस की जांच हुई शुरू
मृत्युंजय मिश्रा प्रकरण में विजिलेंस शिल्पा त्यागी और नूतन रावत की फर्म के ऑथोराइज्ड लेटर की जांच में जुट गई है।
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के निलंबित कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा प्रकरण में विजिलेंस शिल्पा त्यागी और नूतन रावत की फर्म के ऑथोराइज्ड लेटर की जांच में जुट गई है। शुक्रवार को विजिलेंस को करीब 15 कंपनियों के ऑथोराइज्ड पत्र मिले हैं। इन कंपनियों का सामान दोनों ने आयुर्वेद विवि को आपूर्त किया था।
ऑथोराइज्ड लेटर असली है या फर्जी, यह जांच के बाद साफ हो जाएगा। भ्रष्टाचार के आरोप में तीन दिसंबर को मृत्युंजय मिश्रा की गिरफ्तारी के बाद विजिलेंस सहयोगियों से पूछताछ कर रही है। खासकर एक करोड़ के घपले में दो फर्म के शामिल होने के प्रमाण मिलने पर विजिलेंस उनके खिलाफ सबूत जुटा रही है।
इसे लेकर पिछले 10 दिनों से अमेजन ऑटोमेशन की शिल्पा त्यागी और क्रिएटिव वर्ल्ड सोल्यूशन की नूतन रावत से पूछताछ की जा रही है। गुरुवार को भी मुख्यालय में दोनों से अलग-अलग पूछताछ की गई। विजिलेंस सूत्रों का कहना है कि दोनों ने फर्म को जारी विभिन्न कंपनी के ऑथोराइज्ड लेटर भी दिए हैं। इन लेटर को संबंधित फर्म से सत्यापित कराया जाएगा।
इसमें एचपी, एचसीएल, डेल, एसर, शार्प, यूपीईएस आदि कई कंपनी शामिल हैं। इसके अलावा आयुर्वेद विवि से भी विजिलेंस की टीम ने दोनों की फर्म के महत्वपूर्ण दस्तावेज अपने कब्जे में ले लिए हैं। इनमें फर्म के बिल, निविदा पत्र, ऑर्डर, भुगतान आदि दस्तावेज शामिल हैं। इन दस्तावेजों की जांच उनके बैंक अकाउंट एवं विवि में आपूर्ति किए गए सामान से कराया जाएगा। हालांकि अभी तक दोनों फर्म की तरफ से बैलेंसशीट नहीं दी गई है।
जांच की आंच में न आएं करीबी, बच रही विजिलेंस
उत्तराखंड आयुर्वेद विवि के घपले-घोटालों में कई बड़े नाम अभी जांच से बाहर हैं। खासकर एक करोड़ के घपले की पुष्टि होने के बाद उसमें सिर्फ फर्म और मिश्रा के परिवार के लोग शामिल थे, यह बात किसी के गले नहीं उतर रही है। विजिलेंस के अधिकारी भी इशारा तो दे रहे हैं, मगर कार्रवाई के नाम पर महज जांच की बात कही जा रही है। ऐसे में करोड़ों के घपले की जांच मिश्रा को शह देने वालों तक नहीं पहुंच पा रही है। निलंबित कुलसचिव मृत्युंजय मिश्रा का उत्तराखंड तकनीकी विश्वविद्यालय से लेकर आयुर्वेद विवि तक का विवादों का सफर रहा है।इस दौरान को शह देने वालों में सत्ता से लेकर शासन तक बैठे कई अफसरों के नाम भी चर्चाओं में रहे। आयुर्वेद विवि में उनको कुलसचिव बनाने से लेकर हटाने के बाद अपर स्थानिक आयुक्त दिल्ली तक पहुंचाने में भी कुछ खास लोगों का सहयोग मिश्रा को रहा। विजिलेंस की खुली जांच शुरू हुई तो इसमें भी मिश्रा स्वयं को पाक साफ करने की कोशिश में जुटा रहा। इस बीच सरकार का स्टिंग ऑपरेशन में नाम आया तो मिश्रा के खास लोगों ने दूरी बनानी शुरू कर दी।
मौका मिलते ही मिश्रा को जेल भेज दिया गया। विजिलेंस के अधिकारी भी कह रहे हैं कि घपले में शामिल लोगों की संख्या ज्यादा है। लेकिन, उन तक कब जांच की आंच पहुंचेगी, इस पर चुप्पी साध रहे हैं। अभी तक सिर्फ घपले में शामिल फर्म की संचालिका शिल्पा त्यागी, नूतन रावत से पूछताछ चल रही है। इसके अलावा विवि में मिश्रा के करीबी भी फिलहाल जांच से बाहर हैं।
पूरी जांच चल रही है निष्पक्षता के साथ
निदेशक विजिलेंस राम सिंह मीणा का कहना है कि पूरी जांच निष्पक्षता के साथ चल रही है। एक-एक सबूत जुटाने के बाद इस प्रकरण में जो भी आरोपित होगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अभी जांच शुरुआती दौर में है।
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