Coronavirus: अस्पताल से शिफ्ट होने में उखड़ रहीं कोरोना संक्रमित मरीजों की सांसें
Coronavirus कोरोना संक्रमितों के लिए एक से दूसरे अस्पताल में शिफ्टिंग जानलेवा साबित हो रही है। शनिवार को भी उत्तरकाशी निवासी 71 वर्षीय एक महिला की इसी कारण सांसें थम गईं।
देहरादून, जेएनएन। कोरोना संक्रमितों के लिए एक से दूसरे अस्पताल में शिफ्टिंग जानलेवा साबित हो रही है। शनिवार को भी उत्तरकाशी निवासी 71 वर्षीय एक महिला की इसी कारण सांसें थम गईं। महिला एक निजी अस्पताल में आइसीयू में भर्ती थी। कोरोना की पुष्टि होने पर उसे कोविड हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया, लेकिन अस्पताल पहुंचते ही उसकी मौत हो गई।
बीते माह ही सरकार ने निजी अस्पतालों को कोरोना के इलाज की अनुमति दे दी थी, लेकिन इस ओर अभी तक कोई पहल नहीं हुई है। प्रदेश के किसी भी निजी अस्पताल में अभी कोरोना के इलाज की व्यवस्था नहीं है। एहतियातन अस्पताल भर्ती होने वाले ज्यादातर मरीजों की कोरोना जांच करा रहे हैं और अगर कोई मरीज पॉजिटिव आता है तो उसे कोरोना के इलाज के लिए अधिकृत सरकारी अस्पताल रेफर कर दिया जाता है।
सामान्य मरीजों को तो शिफ्टिंग में कोई परेशानी नहीं होती, लेकिन गंभीर मरीजों के लिए यह व्यवस्था जानलेवा साबित हो रही है। किसी मरीज को आइसीयू से हटाकर एंबुलेंस के जरिये दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करना बड़ी चुनौती होता है। ऐसे में कोविड हॉस्पिटल तक पहुंचते-पहुंचते उनकी सांसें उखड़ने लगती हैं। शनिवार को उत्तरकाशी निवासी बुजुर्ग महिला की मौत इसका उदाहरण है। कोरोना संक्रमित महिला को गंभीर स्थिति में कोविड हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया। लेकिन, वहां इमरजेंसी में पहुंचते ही उसने दम तोड़ दिया। चिकित्सकों और स्टाफ को इतना भी समय नहीं मिला कि उसको आइसीयू में भर्ती कर पाते।
वहीं, मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. बीसी रमोला का कहना है कि ज्यादातर निजी अस्पतालों ने कोरोना के उपचार में रुचि नहीं दिखाई है। उन्होंने भी माना कि गंभीर मरीजों की शिफ्टिंग एक बड़ी चुनौती है। सीएमओ का कहना है कि ऐसी परिस्थिति के लिए क्या विकल्प हो सकते हैं, इस पर विचार किया जाएगा।