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बुरांस का जूस बनाकर स्वरोजगार से जुड़ रहे ग्रामीण युवा

चंदराम राजगुरु चकराता कोरोनाकाल में सिमट रहे रोजगार से नौजवान निराश हैं लेकिन कौशल विकास की ओर सीमांत गांव चौसाल के युवा बुरांश का जूस बनाकर अच्छी आमदनी कर रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Apr 2021 01:30 AM (IST)Updated: Fri, 23 Apr 2021 01:30 AM (IST)
बुरांस का जूस बनाकर स्वरोजगार से जुड़ रहे ग्रामीण युवा
बुरांस का जूस बनाकर स्वरोजगार से जुड़ रहे ग्रामीण युवा

चंदराम राजगुरु, चकराता:

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कोरोनाकाल में सिमट रहे रोजगार से नौजवान निराश हैं, लेकिन कौशल विकास के जरिए ग्रामीण युवा स्वरोजगार से जुड़ रहे हैं। इसी कड़ी में जौनसार के सीमांत चौसाल पंचायत के युवाओं ने लोकल उत्पाद को बढ़ावा देने की पहल की है। वह बिना किसी सरकारी मदद या उपकरण के घरेलू तकनीक से बुरांस का जूस बनाकर अपनी आजीविका चला रहे हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा हो रहा है।

जौनसार-बावर के चकराता ब्लॉक से जुड़े सुदूरवर्ती चौसाल निवासी ग्रामीण युवा रोशन राणा कुछ समय पहले फल संग्रहण केंद्र व फ्रूट प्रोसेसिग कंपनी में जूस बनाने का काम करते थे। वहां से जूस बनाने का तकनीकी प्रशिक्षण लेने के बाद वह पारिवारिक वजह से गांव में आकर बस गए। घर में खेती बाड़ी का काम करने के साथ वह गांव में कुछ स्थानीय युवाओं को साथ में लेकर जंगलों से बुरांस के फूल लाकर जूस तैयार कर रहे हैं। रोशन राणा की पहल से ग्रामीण युवा पदम सिंह राणा, मोहन सिंह व नरवीर सिंह आदि बुरांस का जूस बनाने लगे। कोरोनाकाल में कौशल विकास के जरिए स्वरोजगार से जुड़े इन ग्रामीण युवाओं ने मिलकर इस बार सीजन में करीब ढाई हजार लीटर बुरांस का जूस तैयार किया। ग्रामीण युवाओं को बुरांस के जूस बनाने की तकनीक सिखा रहे रोशन राणा ने कहा कि पहाड़ के जंगलों में प्रचुर मात्रा में हर साल बुरांस के फूल उगते हैं, जिसका उपयोग नहीं होने से वह स्वत: ही पेड़ों से झड़ जाते हैं। उनके गांव के पास जंगलों में काफी संख्या में इसके पेड़ है, जहां से वह बुरांस के फूल लाकर उसे एकत्र करते हैं। इसके बाद फूलों की छंटाई कर साफ पानी में उसे उबाला जाता है, जिससे फूल पिघल कर पानी में घुल जाता है। निर्धारित मात्रा में पानी, चीनी व केमिकल को मिलाने से बुरांस का जूस तैयार किया जाता है, जिसके बाद उसे मार्केट में बेचने के लिए जूस की पैकेजिग की जाती है। रोशन राणा ने कहा कि इस बार सीजन में उन्होंने अकेले 12 सौ लीटर बुरांस का जूस बनाया। इसके अलावा उनके साथ काम कर रहे पांच अन्य ग्रामीण युवाओं ने मिलकर करीब 15 सौ लीटर बुरांस का जूस तैयार किया, जिसे बाजार में 110 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचा गया। लोकल उत्पाद को बढ़ावा देने के साथ घरेलू तकनीक से बुरांस का जूस बना रहे ग्रामीण युवाओं ने कहा अगर उन्हें सरकारी विभाग से कोई सहायता या उपकरण उपलब्ध कराए जाएं तो वह बड़े स्तर पर इसका उत्पादन कर सकेंगे। इससे क्षेत्र के अन्य नौजवानों को भी जोड़ा जा सकता है। साथ ही सरकारी स्तर पर इसकी मार्केटिग की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे युवाओं की मेहनत की कमाई में इजाफा होगा। स्थानीय स्तर पर स्वरोजगार को बढ़ावा देने से पलायन पर अंकुश लगेगा और युवाओं को घर के पास रोजगार के अवसर पैदा होंगे। ग्रामीण युवाओं के इस पहल की लोग सराहना कर रहे हैं।


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