छात्रवृत्ति घोटाले में बैंकों की भूमिका पर सवाल
करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले में कॉलेज संचालक अधिकारी ही नहीं बल्कि बैंक अधिकारियों की भूमिका भी संदेह के घेरे में है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: करोड़ों की छात्रवृत्ति घोटाले में कॉलेज संचालक, अधिकारी ही नहीं बल्कि बैंकों की भूमिका भी संदेह के घेरे में आ गई है। घोटालेबाजों ने जिस तरह से चुनिंदा बैंकों में फर्जी खाते खोले, उनके सत्यापन से बैंक अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध प्रतीत हो रही है। एसआइटी ने दून और हरिद्वार के ऐसे बैंकों की सूची जुटानी शुरू कर दी है।
छात्रवृत्ति घोटाले में 2012 से 2017 के बीच बांटी गई करोड़ों की छात्रवृत्ति में जमकर खेल हुआ है। कॉलेज संचालकों ने तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी अनुराग शंखधर से मिलीभगत कर यह खेल किया है। इस मामले में शंखधर के खिलाफ गबन, भ्रष्टाचार में एसआइटी ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। एसआइटी के प्रभारी आइपीएस मंजूनाथ टीसी ने कहा कि अभी तक शंखधर सामने नहीं आया है। मुकदमा दर्ज होने के बाद वारंट लेने की तैयारी की जा रही है। इधर, एक-एक कॉलेज को फर्जी छात्र-छात्राओं के नाम 10 से 20 करोड़ तक की छात्रवृत्ति बांटने, एक ही बैंक में खाता खोलने, बैंक में जमा करने के बाद रकम दूसरे खातें में ट्रांसफर करने जैसे मामलों को भी एसआइटी ने जांच में शामिल कर दिया है। इसके लिए संबंधित बैंक अधिकारियों की भूमिका की जांच की जा रही है। दून और हरिद्वार के ऐसे बैंकों की सूची एसआइटी ने जुटाने शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि रुड़की क्षेत्र के तीन और दून के दो बैंकों को नोटिस भी जारी कर दिए हैं। शंखधर के करीबी रडार पर
छात्रवृत्ति घोटाले में हरिद्वार और देहरादून में लंबे समय तक तैनात रहे उप निदेशक अनुराग शंखधर के करीबी भी एसआइटी की रडार पर आ गए हैं। शंखधर के साथ इस घोटाले में कौन-कौन शामिल है, इसकी जांच कराई जाएगी। इसमें विभागीय बाबू से लेकर शासन के उच्च अधिकारी और जनप्रतिनिधियों की भूमिका भी जांची जा रही है। इसके लिए एसआइटी ने समाज कल्याण से मिली फाइलों को खंगालने का काम शुरू कर दिया है। एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी का कहना है कि जिसके खिलाफ भी सबूत मिलेंगे, उस पर कार्रवाई की जाएगी।