आखिर कब शुरू होगी छात्रवृत्ति घोटाले की जांच
राज्य ब्यूरो, देहरादून: समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले की
राज्य ब्यूरो, देहरादून: समाज कल्याण विभाग में हुए करोड़ों रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले की जांच अभी भी अटकी हुई है। इसकी जांच पुलिस, समाज कल्याण व शिक्षा विभाग के अधिकारियों के संयुक्त जांच दल ने करनी है। पुलिस व समाज कल्याण विभाग की ओर से इसके लिए अधिकारियों के नाम दे दिए गए हैं लेकिन तकनीकी शिक्षा व शिक्षा विभाग की ओर से नाम न मिलने के कारण यह जांच दल ही अभी अस्तित्व में नहीं आ पा रहा है। इसके लिए शासन की ओर से विभाग को रिमाइंडर भी भेजा जा रहा है।
प्रदेश में वर्ष 2012 से लेकर 2015 तक समाज कल्याण विभाग में भारी छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया था। तब इस बात का खुलासा हुआ कि उत्तर प्रदेश व अन्य राज्यों में निजी शैक्षणिक संस्थाओं में पढ़ने वाले छात्रों के नाम पर समाज कल्याण विभाग से छात्रों के प्रवेश व पढ़ाई के लिए छात्रवृत्ति दी गई, जबकि इन निजी संस्थाओं में प्रदेश के किसी भी छात्र ने पढ़ाई नहीं की। आरोप लगाया गया कि समाज कल्याण विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसे लोगों को छात्रवृत्ति दी गई, जो अस्तित्व में ही नहीं हैं। पूरे मामले में सौ करोड़ से अधिक घोटाले का अंदेशा जताया गया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इसका संज्ञान लेते हुए विभाग को इस पर जांच करने को कहा था। कांग्रेस सरकार ने मामले की जांच कराई तो इसमें विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत की पुष्टि हुई। इस पर मामले की जांच विजिलेंस से कराने की बात भी हुई लेकिन बाद में यह मामला दब गया। भाजपा सरकार में यह मामला खुला, इसमें जांच की बात भी हुई लेकिन यह आगे नहीं बढ़ पाई। बीते माह इसकी जांच के लिए पुलिस, शिक्षा, तकनीकी शिक्षा और समाज कल्याण विभाग के एक-एक अधिकारी को नियुक्त कर पुलिस के नेतृत्व में इसकी जांच के निर्देश दिए गए। शासन में पुलिस व समाज कल्याण के अधिकारियों के नाम तो पहुंच चुके हैं लेकिन शेष दो विभागों से नाम नहीं पहुंचे है। इस कारण अभी जांच दल गठित नहीं हो पाया है।
प्रमुख सचिव गृह आनंद वर्द्धन का कहना है कि जांच दल के गठन के निर्देश जारी किए जा चुके हैं। जांच पुलिस की अध्यक्षता में होनी है। अब इस पर आगे की कार्रवाई वहीं से होगी।