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Coronavirus: सेटेलाइट डेटा से होगी कोरोना संदिग्धों और जमातियों की निगरानी

जमातियों के कारण उत्तराखंड में एकाएक कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद अब राज्य सरकार बड़े पैमाने पर सर्विलांस (निगरानी) का कार्य शुरू करने जा रही है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 10 Apr 2020 07:26 AM (IST)Updated: Fri, 10 Apr 2020 10:16 PM (IST)
Coronavirus: सेटेलाइट डेटा से होगी कोरोना संदिग्धों और जमातियों की निगरानी

देहरादून, जेएनएन। जमातियों के कारण उत्तराखंड में एकाएक कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने के बाद अब राज्य सरकार बड़े पैमाने पर सर्विलांस (निगरानी) का कार्य शुरू करने जा रही है। इसके साथ कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और सैंपलिंग का कार्य भी तेज किया जाएगा।

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उत्तराखंड में कोरोना के मरीजों की संख्या पिछले कुछ दिनों में कई गुना बढ़ गई है। जिनमें अधिकतर जमाती व उनके संपर्क में आए लोग हैं। इस कारण देहरादून से लेकर हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल और अल्मोड़ा तक कई क्षेत्र लॉकडाउन व सील करने पड़े हैं। जहां अब व्यापक स्तर पर सर्विलांस, सेनिटाइजेशन व स्क्रीनिंग का कार्य किया जा रहा है। कारण ये कि इन इलाकों में अन्य लोगों के भी संक्रमित होने की आशंका है।

अब सरकार ने प्रदेश में बड़े पैमाने पर सर्विलांस का कार्य शुरू करने का निर्णय लिया है। बताया गया कि सर्विलांस के अलावा कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग और सैंपल कलेक्शन में भी तेजी लाई जाएगी। राज्य के तीनों मेडिकल कॉलेज क्रमश: दून, श्रीनगर और हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज केकम्युनिटी मेडिसन एवं ईएनटी विभाग को इसका जिम्मा सौंपा गया है।

पहाड़ी जिले सेफ जोन में

देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर और हल्द्वानी जैसे मैदानी इलाकों में कोरोना ने भले ही सरकारी सिस्टम में बेचैनी बढ़ा दी है, लेकिन सूबे के सात पहाड़ी जिले सरकार को राहत भी दे रहे हैं। बागेश्वर, चमोली, चंपावत, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, टिहरी और उत्तरकाशी अभी भी सेफ जोन में हैं। पहाड़ी क्षेत्रों में विशेष सतर्कता और जागरूकता भी नजर आ रही है। यही वजह है कि ये क्षेत्र कोरोना वायरस के प्रभाव से बचे हुए हैं। पौड़ी और अल्मोड़ा में एक-एक कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद अधिकारियों की चिंता जरूर बढ़ गई थी, पर उसके बाद से स्थिति स्थिर है।

राज्य में अब बड़े पैमाने पर की जाएगी निगरानी

कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए पुलिस ने 112 कंट्रोल रूम के लिए उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) से सेटेलाइट डेटा की मांग की है। इसका मकसद यह है कि कोरोना संदिग्धों व जमातियों पर पैनी नजर रखी जा सके।

यूसैक निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट ने बताया कि सेटेलाइट डेटा के लिए पुलिस ने गुरुवार को संपर्क किया। उन्होंने हर थाना-चौकी की जीपीएस लोकेशन व प्रदेश के रोड नेटवर्क का सेटेलाइट मैप मांगा है। 

यह डेटा उत्तराखंड एटलस के लिए पहले ही तैयार कर लिया गया था। कोरोना वायरस के संक्रमण के बीच बनी आपदा की स्थिति में भी यह बेहद कारगर साबित हो सकता है। मान लीजिए कि पुलिस को किसी क्षेत्र विशेष में कोरोना संदिग्ध, जमातियों या बाहर से आए किसी अन्य व्यक्तियों के पहुंचने की सूचना मिलती है। 

ऐसी स्थिति में सेटेलाइट डेटा से वहां तक पहुंचने के लिए शॉर्ट रूट के साथ ही निकटवर्ती पुलिस चौकी या थाने को सूचना दी जा सकती है। इसके अलावा सेटेलाइट डेटा से निगरानी संबंधी कायरें की मॉनिटरिंग भी संभव है। लिहाजा, शुक्रवार को ही डेटा पुलिस के सुपुर्द कर दिया जाएगा।

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पौड़ी को दिया डाटा

पौड़ी में स्थापित प्रशिक्षण केंद्र के माध्यम से पुलिस ने पौड़ी, रुद्रप्रयाग व चमोली के पुलिस थाना-चौकियों की जीपीएस लोकेशन मांगी थी। इसके पीछे उनका मकसद पुलिस के मूवमेंट की निगरानी करना है। यह सेटेलाइट डेटा गुरुवार को पौड़ी के संबंधित पुलिस अधिकारियों को भेज दिया गया।

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