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आज 87 वर्ष के हो गए प्रख्यात लेखक रस्किन बांड, इन दिनों एक नई रचना में हैं व्यस्त

प्रख्यात लेखक रस्किन बांड आज 87 वर्ष के हो गए हैं। रस्किन स्वयं हर साल अपने जन्म दिन के मौके पर प्रशंसकों के बीच नई पुस्तक का लोकार्पण करते हैं। इस बार भी वह ऑल टाइम फेवरेट्स फॉर चिल्ड्रन लांच करना चाहते थे लेकिन अब उन्होंने इसे टाल दिया है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Wed, 19 May 2021 08:22 AM (IST)Updated: Wed, 19 May 2021 08:22 AM (IST)
आज 87 वर्ष के हो गए प्रख्यात लेखक रस्किन बांड, इन दिनों एक नई रचना में हैं व्यस्त
प्रख्यात लेखक रस्किन बांड आज 19 मई को 87 वर्ष के हो गए हैं।

सूरत सिंह रावत, मसूरी। प्रख्यात लेखक रस्किन बांड आज 19 मई को 87 वर्ष के हो गए हैं। कोरोना संक्रमण के चलते इन दिनों स्वजन घर पर ही उनका जन्म दिवस मनाने की तैयारी कर रहे हैं। रस्किन स्वयं हर साल अपने जन्म दिन के मौके पर प्रशंसकों के बीच नई पुस्तक का लोकार्पण करते हैं। इस बार भी वह 'ऑल टाइम फेवरेट्स फॉर चिल्ड्रन' लांच करना चाहते थे, लेकिन अब उन्होंने इसे टाल दिया है। वह कहते हैं 'हालात सामान्य हो जाएं, फिर देखेंगे।' इन दिनों वह एक नई रचना में व्यस्त हैं।

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हिमाचल प्रदेश के कसौली में 19 मई 1934 को जन्मे रस्किन बांड वर्ष 1964 में पहली बार मसूरी आए और फिर यहीं के होकर रह गए। पिता आब्रे क्लार्क रायल एयर फोर्स में थे। उनका बचपन शिमला में बीता और शिक्षा-दीक्षा भी वहीं हुई। पहाड़ों की रानी की खूबसूरती उनको इस कदर भायी कि यहीं लंढौर कैंट में आशियाना बना लिया। रस्किन कहते हैं, 'इन वर्षों में मैंने मसूरी को बदलते देखा है। प्लीज सभी लोग मसूरी की खूबसूरती को बनाए रखने का प्रयास करें।' मसूरी की वादियों में उनकी कई प्रसिद्ध रचनाएं अंकुरित हुईं। इनमें प्रमुख हैं 'द ब्लू अम्ब्रेला', 'द नाइट ट्रेन एट देहली', 'देहली इज नॉट फॉर रस्किन' और 'अवर ट्री स्टिल ग्रो इन देहरा'। एक था रस्टी कहानी पर बने टीवी शो को दर्शकों ने बहुत सराहा था। उनकी रचनाओं पर जुनून, सात खून माफ और द ब्लैक कैट जैसी फिल्में भी बन चुकी हैं। साहित्य के क्षेत्र में रस्किन के योगदान के लिए उन्हें 1992 में साहित्य अकादमी पुरस्कार, 1999 में पद्मश्री व 2014 में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया।

सादा भोजन करते हैं पसंद

रस्किन दिन में दो बार लिखने के लिए बैठते हैं, लेकिन इसके लिए कोई समय निर्धारित नहीं है। आजकल वह नई रचना पर काम कर रहे हैं, जिसका अभी कोई नाम नहीं रखा गया है। उनकी दिनचर्या सामान्य रहती है। सुबह की चाय के बाद कुछ देर वह घर में ही टहलते हैं। वह सादा खाना ही पसंद करते है और रात को खाने के बाद साढ़े नौ से दस बजे के बीच में सोने चले जाते हैं। कोरोना काल में वह घर से बेहद कम निकलते हैं।

प्रशसंकों के साथ काटते हैं केक

रस्किन बांड प्रत्येक जन्म दिवस पर सुबह आवास और दोपहर बाद वह कुलड़ी स्थित कैंब्रिज बुक डिपो में प्रशंसकों के साथ केक काटते हैं। कैंब्रिज बुक डिपो में प्रशंसकों के साथ जन्म दिन मनाने का यह सिलसिला 18 वर्ष से चल रहा है, लेकिन पिछले साल कोरोना के चलते इसमें व्यवधान आ गया। इस बार भी रस्किन घर पर ही रहेंगे। दुकान के मालिक सुनील अरोड़ा कहते हैं 'वह इस खास अवसर को मिस कर रहे हैं। कोई बात नहीं अगले साल सही।'

पेन से लिखना करते हैं पसंद

अब तक 150 से ज्यादा पुस्तकों की रचना कर चुके रस्किन बांड टाइप राइटर या कंप्यूटर की बजाय पेन से लिखना ही पसंद करते हैं। पिछले जन्म दिवस के मौके पर पाठकों को दिए संदेश में उन्होंने कहा था कि 'मैंने 17 साल की उम्र में लिखना शुरू किया था और जब तक शरीर साथ देगा लिखता रहूंगा।'

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