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सतर्कता विभाग एवं सतर्कता अधिष्ठान अब सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे से बाहर

सतर्कता विभाग एवं सतर्कता अधिष्ठान अब सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे से बाहर हो गए हैं। सरकार ने इन्हें आसूचना संगठन घोषित कर दिया।

By Edited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 08:07 PM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 08:07 PM (IST)
सतर्कता विभाग एवं सतर्कता अधिष्ठान अब सूचना के अधिकार अधिनियम के दायरे से बाहर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। सतर्कता विभाग एवं सतर्कता अधिष्ठान अब सूचना के अधिकार (आरटीआइ) अधिनियम के दायरे से बाहर हो गए हैं। सरकार ने इन्हें आसूचना संगठन (इंटेलीजेंस ऑर्गनाइजेशन) घोषित कर दिया। गुरुवार को इस संबंध में राज्यपाल की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई। कार्मिक व सतर्कता अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने बताया कि सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 24 की उपधारा-चार और उत्तरप्रदेश सतर्कता अधिष्ठान अधिनियम, 1965 की धारा चार की उपधारा-एक के अधीन शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए उक्त कदम उठाया गया है। 

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गौरतलब है कि बीती चार सितंबर को मंत्रिमंडल ने उक्त फैसले को मंजूरी दी थी। इसके पीछे सरकार का तर्क है कि आरटीआइ के तहत मांगी जा रही सूचनाओं से विजिलेंस की जांच आगे बढ़ने में अड़चनें पेश आ रही हैं। 

दरअसल विभिन्न मामलों में विजिलेंस जांच शुरू होने के साथ ही आरटीआइ के तहत सूचनाएं मांगने का सिलसिला शुरू हो जाता है। इससे विजिलेंस को जांच करने, दोषियों से पूछताछ, आरोपियों की पकड़ने, छापेमारी और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश में बाधाएं उत्पन्न हो रही हैं। इसी वजह से सरकार ने उक्त कदम उठाया। अब विजिलेंस को आसूचना संगठन घोषित करने के बाद इससे आरटीआइ के तहत जानकारी नहीं मांगी जा सकेगी। गौरतलब है कि प्रदेश में कई महत्वपूर्ण मामलों की विजिलेंस जांच चल रही है।


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