इलेक्ट्रिक बसों के संचालन में अनुबंध दरों का पेच
प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन में अनुबंध दर का पेंच फंसा हुआ है। निगम को इन बसों से उतनी आय नहीं होगी जितना अधिक खर्च आएगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
प्रदेश में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन में अनुबंध दर का पेंच फंसा हुआ है। निगम को इन बसों से उतनी आय नहीं होगी, जितना अधिक खर्च आएगा। इसे देखते हुए अब परिवहन निगम ने शासन को पत्र लिखकर कहा है कि यदि उसे बसों के संचालन से होने वाली क्षतिपूर्ति मिल जाती है तो वह देहरादून-मसूरी और हल्द्वानी-नैनीताल मार्ग पर बसों का संचालन कर सकता है।
केंद्र सरकार ने प्रदूषण को कम करने और पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए सभी प्रदेशों में इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर जोर दिया है। इस कड़ी में उत्तराखंड में भी इन बसों को संचालित किया जाना है। उत्तराखंड परिवहन निगम ने शुरुआत में देहरादून से मसूरी और हल्द्वानी से नैनीताल के बीच एक माह के लिए इन बसों का ट्रायल किया था। सफल ट्रायल के बाद परिवहन निगम ने इन बसों को संचालित करने का निर्णय लिया। इसके लिए परिवहन निगम ने बसों के संचालन को इच्छुक कंपनियों से टेंडर आमंत्रित किए। टेंडर में सबसे कम रेट 62 रुपये प्रति किमी के आए। वहीं, निगम ने जब इन बसों से आय का हिसाब लगाया तो वह 50 रुपये प्रति किमी ही बन रही था। इससे निगम को सीधे 12 रुपये प्रति किमी का घाटा हो रहा था। निगम की योजना इन मार्गो पर 150 बसों को चलाने की थी। ऐसे में निगम ने जब इसका पूरा खर्च निकाला तो यह घाटा 2.60 करोड़ प्रतिवर्ष निकला। पहले से ही आर्थिक तंगी में चल रहे निगम इस घाटे को सहन करने की स्थिति में नहीं है। लिहाज निगम ने इसका विस्तृत ब्योरा बनाकर शासन को भेज दिया। इसमें कहा गया है कि इलेक्ट्रिक बसों में हो रहे घाटे को देखते हुए निगम इसका संचालन नहीं करा सकता है। यदि शासन इस घाटे की प्रतिपूर्ति करता है तो फिर इलेक्ट्रिक बसों के संचालन पर कदम आगे बढ़ सकते हैं। फिलहाल, यह मसला शासन में विचाराधीन है।
परिवहन निगम के महाप्रबंधक संचालन दीपक जैन का कहना है कि निगम ने शासन को पूरी स्थिति से अवगत करा दिया है। अब शासन के दिशा-निर्देशों के अनुसार आगे बढ़ा जाएगा।