जागरण संवाददाता, देहरादून: Road Safety With Jagran : जिन परिवारों ने अपनों को कम उम्र में खोया है, मैं उनके दर्द को समझता हूं। उन परिवारों से मिलता भी हूं। किसी जगह जल्दी पहुंचने की जिद अपनी व दूसरों की जिंदगी को खतरे में डालती है। इसलिए बच्चों को संवेदनशील बनने की जरूरत है।
'दैनिक जागरण' की ओर से 'दौड़ती भागती सड़कों के निर्माण, सुविधा और सुरक्षा की समीक्षा' महाअभियान के तहत वसंत विहार स्थित द एशियन स्कूल में आयोजित पाठशाला में एसपी यातायात अक्षय कोंडे ने यह बात छात्रों से कही।
उन्होंने कहा कि रास्ते में अगर हमारे सामने कोई दुर्घटना हो जाए तो हमें सबसे पहले घायल की मदद करनी चाहिए। यदि हमारे वाहन से किसी को नुकसान भी हुआ है, तब भी वहां से भागना नहीं चाहिए, बल्कि उस व्यक्ति की मदद करनी चाहिए। भाग जाने से आप अपराध करने के श्रेणी में आ जाते हैं और आपका भविष्य खतरे में पड़ सकता है।
इस मौके पर एसपी यातायात ने सड़क दुर्घटनाओं का डाटा भी बच्चों के साथ साझा किया। उन्होंने हर साल सड़क दुर्घटनाओं में होने वाली मौत का कारण सही प्रकार से वाहन न चलाना और दोपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट का न पहनना होता है। दुर्घटना में अगर शरीर के किसी हिस्से पर चोट लगती है तो वह ठीक हो सकती है। यदि चोट सिर पर लग जाए तो ठीक होने की कम ही उम्मीद होती है।
हमारी सभी विद्यार्थियों से अपील है कि बिना लाइसेंस वाहन न चलाएं। लाइसेंस बन चुका है और दोपहिया वाहन चला रहे हैं तो तीन लोग एक साथ न बैठें। बिना हेलमेट वाहन को घर से न निकालें। अभिभावकों से भी अपील है कि वह इस मुहिम का हिस्सा बनेंगे और बच्चों बच्चों की सुरक्षा का ध्यान रखेंगे।
रुचि प्रधान दत्ता, प्रधानाचार्य, द एशियन स्कूल
बिना लाइसेंस वाहन चलाना बड़ा अपराध
एसपी यातायात ने कहा कि उत्तराखंड पुलिस का उद्देश्य मित्रता, सेवा और सुरक्षा है। कई बार अभिभावक अपनी जिम्मेदारी से बचने के लिए नाबालिग बच्चों को वाहन की चाबी थमा देते हैं, जो गलत है। बिना लाइसेंस वाहन चलाना बड़ा अपराध है। इसलिए इस अपराध करने से बचें।
उन्होंने विद्यार्थियों को उत्तराखंड पुलिस के ट्रैफिक आई मोबाइल एप के बारे में भी बताया। कहा कि यदि आप किसी को भी सड़क सुरक्षा संबंधी नियम तोड़ते हुए देखते हैं तो उसका फोटो इस एप पर अपलोड करे। इसके बाद एसपी यातायात ने विद्यार्थियों के सवालों के जवाब भी दिए। बच्चो ने लाइसेंस, हिट एंड रन, अपराध संबंधी सवाल पूछे।
सड़क सुरक्षा के लिए जनता के साथ सरकार की जवाबदेही भी जरूरी
उत्तराखंड में होने वाले सड़क हादसे देश में होने वाली दुर्घटनाओं से करीब दो गुना ज्यादा घातक हैं। इसलिए राज्य में सड़क हादसों की रोकथाम के लिए व्यापक जन जागरूकता के साथ सरकारी स्तर पर भी गंभीर प्रयास करने होंगे। उत्तराखंड में सड़क सुरक्षा के मुद्दों पर रविवार को उत्तरांचल प्रेस क्लब में आयोजित रोड सेफ्टी संवाद में प्रबुद्धजनों ने सरकार को जिम्मेदारी की याद दिलाई।
रविवार को रोड सेफ्टी पर परिचर्चा का आयोजन एसडीसी फाउंडेशन, उत्तराखंड डायलाग और सरदार भगवान सिंह विश्वविद्यालय की ओर से किया गया। इस अवसर पर न्यूरोसर्जन डा. महेश कुड़ियाल ने प्रजेंटेशन में बताया कि 80 फीसद सड़क हादसे और उनमें होने वाली मौत रोकी जा सकती हैं। यदि लोग सड़कों पर अपनी सुरक्षा को लेकर जिम्मेदार बनें। इसके लिए ट्रैफिक नियमों का सख्ती से पालन के साथ हेलमेट, सीटबेल्ट और ओवरस्पीड को लेकर व्यवहार में सुधार की आवश्यकता है।
सामाजिक कार्यकर्ता और नीतिगत मामलों के जानकार एसडीसी फाउंडेशन के संस्थापक अनूप नौटियाल ने कहा कि वाहन चालकों के व्यवहार और ट्रैफिक नियमों के पालन के साथ सड़क सुरक्षा के मुद्दे पर सरकारी तंत्र को भी जवाबदेह बनाने की जरूरत है।
उत्तराखंड में ओवरलोडिंग की वजह से होने वाले हादसों के पीछे पर्वतीय व ग्रामीण क्षेत्रों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की कमी भी एक बड़ी वजह है। इसे दुरुस्त करना सरकार की जिम्मेदारी है। राज्य में हर साल करीब एक हजार लोग की सड़क दुर्घटनाओं में मौत हो जाती है, लेकिन सरकार संवेदना, मुआवजा और जांच की परिपाटी से आगे नहीं बढ़ पा रही है।
एसडीआरएफ की जनसंपर्क अधिकारी इंस्पेक्टर ललिता नेगी ने कहा कि सरकारी स्तर पर ट्रैफिक नियमों के पालन, शराब पीकर गाड़ी न चलाने आदि को लेकर जागरूकता बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस मुद्दे पर जन भागीदारी से ही प्रशासन के प्रयास सफल होंगे। उत्तराखंड डायलाग के संस्थापक अजीत सिंह ने उत्तराखंड में यात्रियों की संख्या बढ़ने से सड़कों पर वाहनों का बोझ अधिक होने को भी हादसों का कारण बताया।