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उत्‍तराखंड में लगातार बढ़ रहा है सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ

उत्‍तराखंड में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। अब परिवहन विभाग परिवहन विभाग नशे में वाहन चलाने वालों पर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Published: Mon, 30 Jul 2018 12:32 PM (IST)Updated: Mon, 30 Jul 2018 12:32 PM (IST)
उत्‍तराखंड में लगातार बढ़ रहा है सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ
उत्‍तराखंड में लगातार बढ़ रहा है सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ

देहरादून, [जेएनएन]: प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। सड़क दुर्घटनाओं के कारणों में नशे में वाहन चालना, दुपहिया वाहन चलाते समय हेलमेट न पहना और ओवरस्‍पीड है। अब परिवहन विभाग परिवहन विभाग नशे में वाहन चलाने वालों पर नकेल कसने की तैयारी कर रहा है। इसके लिए 40 एल्कोमीटर खरीदे जा रहे हैं। वही, पुलिस और परिवहन विभाग ने एक बार फिर आधी-अधूरी तैयारी के साथ दुपहिया पर चालक व सवारी दोनों के लिए हेलमेट अनिवार्य कर दिया है।

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प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं का ग्राफ लगातार बढ़ रहा है। सड़क दुर्घटनाओं के कारणों में नशे में वाहन चलाना प्रमुख रूप से सामने आया है। केंद्र के निर्देश पर गठित सड़क सुरक्षा समिति ने इन पर रोक लगाने के सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इसी कड़ी में कुछ समय पूर्व मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय सड़क सुरक्षा समिति की बैठक में परिवहन विभाग को एल्कोमीटर और इंटरसेप्टर खरीदने के निर्देश दिए गए थे।

इनकी खरीद सड़क सुरक्षा कोष से की जानी थी। अब सड़क सुरक्षा कोष के लिए शासन ने राशि स्वीकृत कर दी है। इससे पहले चरण में परिवहन विभाग अभी 40 एल्कोमीटर खरीद रहा है। इनकी खरीद के लिए वर्कआर्डर भी जारी हो चुका है। अब विभाग को इंतजार इनके मिलने का है। इसके बाद इन्हें सभी प्रवर्तन दलों को सौंप दिया जाएगा। इतना ही नहीं, आरटीओ व एआरटीओ को भी एल्कोमीटर दिए जाएंगे ताकि वे भी अकस्मात चेकिंग में इनका उपयोग कर सकें। 

इसके अलावा देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल व ऊधमसिंह नगर जिलों में चेकिंग के लिए चार इंटरसेप्टर वाहन खरीदे जा रहे हैं। इनके लिए भी कार्यवाही शुरू हो चुकी है। हालांकि, अभी स्पीड राडार गन को खरीदने की कवायद शुरू नहीं की जा सकी है। सहायक परिवहन आयुक्त एसके सिंह का कहना है कि एल्कोमीटर खरीद का आर्डर दिया जा चुका है। जल्द ही इनके मिलने की उम्मीद है। इंटरसेप्टर खरीद की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। 

अधूरी तैयारी पड़ न जाए भारी

पुलिस और परिवहन विभाग ने एक बार फिर आधी-अधूरी तैयारी के साथ दुपहिया पर चालक व सवारी दोनों के लिए हेलमेट अनिवार्य कर दिया है। इसे लागू करने को लेकर न कोई जागरुकता अभियान चलाया गया, न ही सवारी को इसके फायदे बताए गए। और तो और..इस नियम का सख्ती से अनुपालन कराने को कोई रोडमैप भी तैयार नहीं किया है। ऐसे में फिर इस व्यवस्था के जल्द ध्वस्त होने की आशंका नजर आ रही है। वजह ये कि पिछले दो साल में पुलिस और परिवहन विभाग दो बार इस व्यवस्था को इसी तरह आनन-फानन में लागू करने का प्रयास कर चुके हैं मगर महज दो दिन बाद विभाग बैकफुट पर आ गए।

 

हाईकोर्ट के आदेश पर परिवहन विभाग व पुलिस ने दुपहिया पर पिछली सवारी के लिए हेलमेट पहनने के निर्देश आसानी से जारी तो कर दिया, मगर विभागों के लिए इसे अमलीजामा पहनाना उतना ही कठिन नजर आ रहा है। क्योंकि, दो साल पहले भी विभागों ने यह कसरत की थी, लेकिन तब दून में इसका जबरदस्त विरोध किया गया। कुछ जनप्रतिनिधि भी इसके विरोध में उठ खड़े हुए थे। लिहाजा लागू करने के महज दो दिन बाद ही आदेश को ठंडे बस्ते में डालना पड़ा। ऐसे में इस बार ये आदेश लागू करने से पहले विभाग को इसके प्रति लोगों को जागरूक करना चाहिए, मगर यह कितना कारगर होगा, फिलहाल इस पर भी संशय है। 

दस साल में दस बार प्रयास

वर्ष 2008 में देहरादून के लिए अलग से एसपी टै्रफिक का पद सृजित होने के बाद अब तक करीब दस बार पिछली सवारी के लिए हेलमेट पहनने का नियम लागू करने के प्रयास हुए। पहले एसपी ट्रैफिक नीलेश भरणे, फिर स्वीटी अग्रवाल व इसके बाद अजय जोशी और प्रदीप राय ने भी पद पर रहते हुए नियम लागू करने की कोशिश की लेकिन जन-विरोध व सियासत के कारण नियम लागू नहीं हो पाया। 

दुर्घटनाओं में मौत का कारण हेलमेट न पहनना भी

26 जुलाई को यमुना कॉलोनी में एक युवक की सड़क हादसे में मौत हो गई थी। पुलिस की मानें तो हेलमेट स्कूटी की डिक्की में रखा था। सिर पर गंभीर चोट लगने के कारण उसकी मौत हुई। उसने हेलमेट पहना होता तो शायद जान बच सकती थी। यह तो महज एक उदाहरण है। दून में हादसों के बाद पुलिस जांच में यह बात सामने आती है कि हादसे के वक्त वाहन चालक का हेलमेट या तो वाहन के हेंडिल पर टंगा होता है, या हाथ में। पुलिस हेलमेट को लेकर सख्ती बरतने के साथ ही जागरूकता कार्यक्रम भी चलाती है, फिर भी लोग खासकर युवा हेलमेट पहनने से परहेज करते हैं। 

हाईकोर्ट ने दो पहिया वाहन पर पीछे की सवारी के लिए भी हेलमेट अनिवार्य कर दिया है। दून पुलिस दस अगस्त से इसके लिए विशेष अभियान चलाने की बात कह रही है। इससे पहले पुलिस हेलमेट को लेकर वाहन चालकों को जागरूक करना चाहती है। हालांकि यह बात अलग है कि इस पर पुलिस कितना अमल करवा पाती है या नहीं। 

दून में सड़क हादसों की स्थिति की बात करें तो इनमें लगातार वृद्धि हो रही है। इसी साल सौ से ज्यादा हादसे हो चुके हैं। जिसमें 40 लोग जान गवां बैठे हैं और अस्सी से ज्यादा लोग घायल हो चुके हैं। 

दून में सड़क हादसों की स्थिति 

वर्ष----हादसे------मृतक-----घायल 

2013----296-----138-----274 

2014----314-----146-----285 

2015----343-----143-----303 

2016----295-----139-----220 

2017---342-------132----143 

2018-----90-------40-------80

हेलमेट न पहनना भी हादसे में मौत का एक कारण

निवेदिता कुकरेती (एसएसपी) का कहना है कि हादसों में मौत का एक कारण शराब पीकर वाहन चलाना तो है ही साथ ही कई हादसे ऐसे होते हैं, जिसमें सीधे सिर पर चोट लगने के कारण मौत हो जाती है। यानी वाहन चालक की ओर से यदि हेलमेट पहना होता हो उसका बचाव हो सकता था। इसलिए हेलमेट न पहनना भी हादसे में मौत का एक कारण है। इसलिए हेलमेट पहनने के लिए रोज पुलिस की ओर से अभियान चलाए जाते हैं और सख्ती बरती जाती है। लोगों से अपील है कि वह अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए हेलमेट अवश्य पहनें। 

दून-मसूरी रूट पर 11 यात्री बेटिकट में पकड़ी परिचालक 

सख्त नियम और कार्रवाई के बावजूद उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों में बेटिकट यात्रा के मामले नहीं रुक रहे। अब ताजा मामले में पर्वतीय डिपो की महिला परिचालक को देहरादून-मसूरी रूट पर 11 यात्री बेटिकट में पकड़ा गया। चेकिंग टीम ने मुख्यालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। महाप्रबंधक दीपक जैन ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है। फिर परिचालक का दूसरे रीजन में तबादला किया जाएगा। 

रोडवेज मुख्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक पर्वतीय डिपो की साधारण बस शुक्रवार को दून से वाया झड़पानी मसूरी के लिए निकली। बस में महिला परिचालक तैनात थी। यह कुछ माह पहले की मृतक आश्रित में नियुक्त हुई है। चेकिंग टीम को बस में बेटिकट यात्रा की शिकायत मिली। इस पर यातायात निरीक्षक आनंद पाल की टीम ने बस को झड़ीपानी से पहले रोककर चेकिंग की। चेकिंग टीम की रिपोर्ट में यह बताया गया कि बस में 11 यात्री बेटिकट थे, लेकिन परिचालक ने टीम को देखते ही छह यात्रियों के आनन-फानन टिकट बना दिए, लेकिन पांच यात्रियों के टिकट नहीं बना पाई। रोडवेज के तय नियमानुसार 10 से अधिक बेटिकट पर नियमित परिचालक का दूसरे रीजन में तबादले का प्रावधान है। 

वाया शामली निकाली गई बसें

कांवड़ यात्रा के मद्देनजर देहरादून से दिल्ली के लिए संचालित रोडवेज बसों का रूट रविवार से बदल गया। हालांकि, शाम तक बसों का संचालन मेरठ रूट पर किया गया लेकिन देर रात से बसें सहारनपुर की तरफ से वाया शामली-बड़ौत-दिल्ली भेजी गईं। सोमवार सुबह से सभी बसें शामली मार्ग से निकलेंगी। रूट पर यातायात दबाव बढऩे पर दून से जाने वाली बसें पांवटा से करनाल होकर भेजी जाएंगी। शामली रूट पर बसों का किराया नहीं बढ़ेगा मगर बसें करनाल रूट से गई तो किराए बढ़ाकर ही लिया जाएगा। साधारण बसों में करीब 60 रुपये तो वाल्वो बसों में डेढ़ सौ रुपये की बढ़ोत्तरी हो जाएगी।

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