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Rishikesh Municipal Corporation: पार्किंग ठेका नहीं देकर ऋषिकेश नगर निगम को लगाया 50 लाख का चूना, पढ़िए पूरी खबर

Rishikesh Municipal Corporation ऋषिकेश नगर निगम ने चार धाम यात्रा बस कंपाउंड समेत विभिन्न स्थानों पर पार्किंग ठेका नहीं देकर 50 लाख के राजस्व का चूना लगाया।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sat, 08 Aug 2020 11:40 AM (IST)Updated: Sat, 08 Aug 2020 11:40 AM (IST)
Rishikesh Municipal Corporation: पार्किंग ठेका नहीं देकर ऋषिकेश नगर निगम को लगाया  50 लाख का चूना, पढ़िए पूरी खबर
Rishikesh Municipal Corporation: पार्किंग ठेका नहीं देकर ऋषिकेश नगर निगम को लगाया 50 लाख का चूना, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, राज्य ब्यूरो। Rishikesh Municipal Corporation ऋषिकेश नगर निगम ने चार धाम यात्रा बस कंपाउंड समेत विभिन्न स्थानों पर पार्किंग ठेका नहीं देकर 50 लाख के राजस्व का चूना लगाया। बगैर निविदा के ही लाखों की धनराशि से निर्माण कार्य और पथप्रकाश, सफाई उपकरण व रसायन सामग्री की खरीद कर करीब डेढ़ करोड़ की वित्तीय अनियमितता की गई। 

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ऋषिकेश नगर निगम की वित्तीय वर्ष 2017-18 में करीब तीन करोड़ से ज्यादा की वित्तीय गड़बड़ी का खुलासा ऑडिट रिपोर्ट में हुआ है। वित्त सचिव अमित नेगी ने शहरी विकास सचिव को यह रिपोर्ट भेजी है। इसमें पता चला कि नगरपालिका परिषद ऋषिकेश के रोकड़ बही की जांच में ही गड़बड़ी मिली। 31 मार्च 2018 को 13.99 करोड़ की धनराशि अवशेष दर्शाई गई थी, जबकि पालिका से उपलब्ध कराए गए बैंक खातों में 14.22 करोड़ की धनराशि पाई गई। रोकड़ बही में दर्ज से करीब 23 लाख अधिक धनराशि बैंक खातों में मिली। इसीतरह वित्तीय वर्ष 2016-17 की रोकड़ बही के मुताबिक 31 मार्च, 2017 को अंतिम अवशेष एक अप्रैल, 2017 को 4.01 लाख रुपये अधिक रही। इस धनराशि के दुरुपयोग का अंदेशा जताया गया।   

चार धाम यात्रा बस कंपाउंड अस्थायी पार्किंग का ठेका वर्ष 2017-18 के लिए अंतिम निविदा धनराशि 41.25 लाख तय थी। वर्ष 2018-19 में चार धाम यात्रा बस कंपाउंड की अस्थायी पार्किंग का ठेका नहीं दिया गया। इससे निगम को 41.25 लाख का नुकसान उठाना पड़ा। त्रिवेणी घाट स्थित पार्किंग का ठेका नहीं देकर 9.40 लाख की आर्थिक क्षति हुई। निगम ने प्रीमियम राशि लिए बगैर ही कियोस्क के आवंटन के लिए निविदादाता को कब्जा दे दिया। 

नगर पालिका परिषद ऋषिकेश ने बगैर निविदा के 5.68 लाख के निर्माण कार्य कराए। इसमें ई-प्रोक्योरमेंट नियमों की अनदेखी की गई। जांच में पाया गया कि 64.26 लाख के पथप्रकाश उपकरण, 41.45 लाख की अन्य सामग्री, 22.81 लाख से सफाई उपकरण व रसायन सामग्री बगैर निविदा के ही खरीदी गई। 

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