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आज साकार हो रहा बाल गंगाधर तिलक का स्वदेशी संकल्प

महान स्वाधीनता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक के जन्मदिवस पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि स्वदेशी उत्पादों और स्वदेशी आंदोलनों के माध्यम से बाल गंगाधर तिलक ने आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को देखा।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 08:50 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 08:50 PM (IST)
आज साकार हो रहा बाल गंगाधर तिलक का स्वदेशी संकल्प

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : महान स्वाधीनता संग्राम सेनानी बाल गंगाधर तिलक के जन्मदिवस पर स्वामी चिदानंद सरस्वती ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि स्वदेशी उत्पादों और स्वदेशी आंदोलनों के माध्यम से बाल गंगाधर तिलक ने आत्मनिर्भर भारत के स्वप्न को देखा, आज हम उस संकल्पना को साकार होते देख रहे हैं।

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स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि तिलक को अपनी मातृभाषा और मातृभूमि से अत्यंत लगाव था। उन्होंने हिन्दी, संस्कृत और स्थानीय भाषाओं को अपनाने पर बल दिया। तिलक की दूरदृष्टि ही थी कि उन्होंने 'गणेश महोत्सव' व 'शिवाजी उत्सव' का शुभारंभ ही समाज को एकजुट करने और देशभक्ति की भावना जाग्रत करने लिए किया था। वर्तमान समय में भी इसे अपनाने और इस पर कार्य करने की जरूरत है ताकि भारतीय समाज को एकजुट किया जा सके। 'स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूंगा' सूत्र वाक्य देने वाले तिलक में उनके देशप्रेम के व्यक्तित्व की स्पष्ट झलक दिखाई देती है। स्वामी चिदानंद ने कहा कि हमारे महापुरुषों ने अपनी मातृभूमि और मातृभाषा की गरिमा को बनाए रखने के लिए अपने प्राणों तक का बलिदान किया है। उन्होंने युवाओं से मानवता और पर्यावरण की सेवा के लिए आगे आने का आह्वान किया।

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महापुरुषों के जीवन से लें प्रेरणा

स्वाधीनरता सेनानी लोकमान्य गंगाधर तिलक व चंद्रशेखर आजाद की जन्मदिवस पर सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज आवास विकास में दोनों महानायकों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। प्रधानाचार्य राजेंद्र प्रसाद पांडेय ने कहा कि महापुरुषों के जीवन से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए। हमारा प्रयास होना चाहिए कि हम महापुरुषों के जीवन के सकारात्मक पहलुओं को अपने जीवन में अंगीकृत करें। वरिष्ठ आचार्य वीरेंद्र कंसवाल ने बताया कि लोकमान्य गंगाधर तिलक हिन्दुस्तान के एक प्रमुख नेता, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के पहले लोकप्रिय नेता थे। इन्होंने सबसे पहले ब्रिटिश राज के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग की थी। रजनी गर्ग के संचालन में चले कार्यक्रम में सतीश चौहान, रामगोपाल रतूड़ी, कर्णपाल बिष्ट, नरेंद्र खुराना, प्रवेश कुमार, मीनाक्षी उनियाल, अनिल भंडारी, सुनील बलूनी आदि मौजूद रहे।


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