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रेखा नेगी को कुसुमकांता निशंक स्मृति वीरांगना तीलू रौतेली सम्मान, केंद्रीय मंत्री बोले- मातृशक्ति को मिलेगी प्रेरणा

उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान और हिमालय विरासत ट्रस्ट उत्तराखंड की ओर से सोमवार को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रेखा नेगी को कुसुमकांता निशंक स्मृति वीरांगना तीलू रौतेली सम्मान-2020 से नवाजा।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Tue, 23 Feb 2021 02:03 PM (IST)Updated: Tue, 23 Feb 2021 02:03 PM (IST)
रेखा नेगी को कुसुमकांता निशंक स्मृति वीरांगना तीलू रौतेली सम्मान।

राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड फिल्म एवं नाट्य संस्थान और हिमालय विरासत ट्रस्ट उत्तराखंड की ओर से सोमवार को दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रेखा नेगी को कुसुमकांता निशंक स्मृति वीरांगना तीलू रौतेली सम्मान-2020 से नवाजा। इस मौके पर केंद्रीय मंत्री निशंक ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र में संघर्ष और विशिष्ट कार्य करने वाली मातृशक्ति को सम्मानित किया जाना बेहद उल्लेखनीय है। इससे निश्चित रूप से समाज में और समाज में कार्य करने वाली मातृशक्ति को प्रेरणा मिलेगी। 

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बता दें कि कुसुमकांता निशंक स्मृति वीरांगना तीलू रौतेली सम्मान समाज सेवा, महिला सशक्तीकरण व बाल विकास के क्षेत्र में कार्य करने वाली महिलाओं को प्रदान किया जाता है। कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री निशंक के कहानी संग्रह 'अंतहीन: विमर्शों का पुंज' पर वारसा विश्वविद्यालय पोलैंड के डा. सुधांशु शुक्ला की समीक्षा पुस्तक का विमोचन भी किया गया। विमोचन गौड़ संस इंडिया के अध्यक्ष डा. बीएल गौड़ ने किया। 

उन्होंने केंद्रीय मंत्री निशंक के साहित्यक संसार पर भी रोशनी डाली और कहा कि उनके साहित्य से समाज के पिछड़े और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को प्रेरणा मिलती है। कार्यक्रम में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय संस्कृति संस्थान के कुलपति प्रो. रमेश पांडेय, साहित्यकार विवेक गौतम, डा.बेचैन कंडियाल सहित दोनों संस्थाओं के पदाधिकारी व सदस्य और साहित्यकार मौजूद थे।

राज्यपाल ने राष्ट्रीय अधिवेशन में किया प्रतिभाग

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने नई दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में आयोजित श्री गुरू रविदास विश्व महापीठ राष्ट्रीय अधिवेशन में हिस्सा लिया। कार्यक्रम में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि थे। राज्यपाल ने कहा कि संत रविदास किसी जाति या समुदाय विशेष के गुरू नहीं बल्कि समस्त मानवजाति के मार्गदर्शक थे। उनके आदर्श एवं संदेश संपूर्ण मानवता को सदियों से प्रेरित कर रहे हैं।

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