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उत्तराखंड की राज्यपाल मौर्य बोलीं, कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर रेडक्रास के अस्पतालों का हो उपयोग

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर राज्य में रेडक्रास के अस्पतालों का पूर्ण उपयोग करने के निर्देश स्वास्थ्य महानिदेशक को दिए। महानिदेशक डा तृप्ति बहुगुणा ने राज्यपाल को बताया कि 10 अगस्त से सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों पर आवश्यक दवाइयां उपलब्ध होंगी।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Fri, 30 Jul 2021 09:01 AM (IST)Updated: Fri, 30 Jul 2021 09:01 AM (IST)
उत्तराखंड की राज्यपाल मौर्य बोलीं, कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर रेडक्रास के अस्पतालों का हो उपयोग
कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर रेडक्रास के अस्पतालों का हो उपयोग। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, देहरादून। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर राज्य में रेडक्रास के अस्पतालों का पूर्ण उपयोग करने के निर्देश स्वास्थ्य महानिदेशक को दिए। महानिदेशक डा तृप्ति बहुगुणा ने राज्यपाल को बताया कि 10 अगस्त से सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और उपकेंद्रों पर आवश्यक दवाइयां उपलब्ध होंगी।

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राज्यपाल ने गुरुवार को राजभवन में चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण महानिदेशक डा तृप्ति बहुगुणा से कोरोना की तीसरी लहर से निपटने को की जा रही तैयारियों की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि रेडक्रास के अस्पतालों की व्यवस्था दुरुस्त की जानी चाहिए। चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टाफ की व्यवस्था कर इन अस्पतालों को शीघ्र संचालित किया जाए। उन्होंने बच्चों के उपचार के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए।

स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि कोरोना की तीसरी लहर के मद्देनजर राज्य में 28112 आइसोलेशन वार्ड, आक्सीजनयुक्त 6572 आइसोलेशन वार्ड, 1655 आइसीयू बेड, 1014 वेंटिलेटर, 459 एंबुलेंस, 5600 आक्सीजन कंसन्ट्रेटर, 11 आरटीपीसीआर टेस्टिंग लैब, 64 ट्रू-नेट मशीन, 15803 आक्सीजन सिलेंडर उपलब्ध हैं। बच्चों को ध्यान में रखकर 1945 आक्सीजन बेड तैयार हैं। 2351 मेडिकल आफिसर्स कार्यरत हैं।

739 एनआइसीयू बेड कोविड पीड़ित बच्चों के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि सभी जिलों में बाल रोग विशेषज्ञों विभिन्न सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, जिला अस्पतालों व मेडिकल कालेजों में कार्यरत हैं। सरकारी व निजी क्षेत्र में कुल 300 बाल रोग विशेषज्ञ कार्यरत हैं। सामान्य चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ व आशा को भी बच्चों के सामान्य उपचार के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है।

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