उत्तराखंड : गांवों से निकले प्लास्टिक कचरे को हरिद्वार में मिलेगी 'मुक्ति'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण मुहिम अब उत्तराखंड के गांवों में भी परवान चढ़ने जा रही है। गांवों को भी प्लास्टिक कचरे से निजात दिलाने के मद्देनजर हरिद्वार में माहभर के भीतर रिसाइक्लिंग प्लांट आकार ले लेगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सिंगल यूज प्लास्टिक के निस्तारण मुहिम अब उत्तराखंड के गांवों में भी परवान चढ़ने जा रही है। गांवों को भी प्लास्टिक कचरे से निजात दिलाने के मद्देनजर हरिद्वार में माहभर के भीतर रिसाइक्लिंग प्लांट आकार ले लेगा। साथ ही गांवों से क्लस्टर आधार पर प्लास्टिक कचरे के एकत्रीकरण के लिए शेड निर्माण व कांपेक्टर लगाने की मुहिम तेज की जा रही है। शासन ने जिला व क्षेत्र पंचायतों को निर्देश दिए हैं कि केंद्र, राज्य वित्त आयोग से मिली अनुदान राशि से इस दिशा में प्रभावी कदम उठाए जाएं।
पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील उत्तराखंड के शहरी क्षेत्रों में चल रही प्लास्टिक उन्मूलन की तरह ही पंचायतीराज विभाग ने गांवों में ऐसा ही अभियान चलाने का निश्चय किया। राष्ट्रीय ग्राम स्वराज योजना के तहत राज्य की ओर से भेजे गए इससे संबंधित प्रस्ताव को केंद्र ने भी हाथों हाथ लिया। केंद्र सरकार ने राज्य के इस प्रयास की सराहना करते हुए योजना को तत्काल मंजूरी दे दी। साथ ही रिसाइक्लिंग प्लांट के अलावा कांपेक्टर मशीनों की खरीद के लिए धनराशि भी अवमुक्त कर दी।
योजना के तहत प्रथम चरण में प्रदेश के सभी 95 विकासखंडों में एक-एक ग्राम पंचायत में प्लास्टिक-पॉलीथिन कचरे के एकत्रीकरण के लिए शेड निर्माण के साथ ही वहां कांपेक्टर मशीन लगनी है। कांपेक्टर के लिए गवर्नमेंट ई मार्केट पोर्टल (जैम) से उपकरण खरीद होनी है। शेड ऐसी जगह बनेंगे, जिनके आसपास आठ-दस गांव हों। इन गांवों के निवासी ही प्लास्टिक कचरा एकत्र करेंगे, जिससे उन्हें रोजगार भी मिलेगा। ग्रामीणों से चार रुपये प्रति किलो की दर पर कचरे की खरीद कर इसे हरिद्वार स्थित रिसाइक्लिंग प्लांट में भेजा जाएगा। वहां इससे चौखट, दरवाजे समेत प्लास्टिक के अन्य उत्पाद बनाए जाएंगे।
कोरोना संक्रमण के कारण पिछले साल से गांवों में शेड निर्माण व कांपेक्टर स्थापना की मुहिम मंद पड़ी, लेकिन इस बीच शासन ने हरिद्वार के मुजाहिदपुर में भूमि चयनित कर रिसाइक्लिंग प्लांट का काम शुरु करा दिया। अब यह अंतिम चरण में है। सचिव पंचायतीराज हरि चंद्र सेमवाल के अनुसार कोशिश ये है कि माहभर के भीतर प्लांट अस्तित्व में आ जाए। इसके लिए गंभीरता से कदम बढ़ाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जिला व क्षेत्र पंचायतों के लिए यह अनिवार्य है कि वे केंद्र व राज्य से मिली अनुदान राशि से स्वच्छता संबंधी कार्यों पर खास फोकस करेंगे। इसी कड़ी में उन्हें प्लास्टिक कचरे के एकत्रीकरण को शेड निर्माण व कांपेक्टर की स्थापना की मुहिम तेज करने को कहा गया है।
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