सांसद कोटे में टिकट बनाने का मामला, 500 परिचालकों से होगी रिकवरी
प्रबंध निदेशक ने सांसद कोटे में टिकट बनाने वाले तकरीबन 500 परिचालकों से वसूली केे आदेश दे दिए हैं।
देहरादून, [जेएनएन]: सांसद कोटे में टिकट बनाने वाले तकरीबन 500 परिचालक ऐसे हैं, जिन्होंने महज 28-30 रुपये की यात्रा के टिकट बनाए हैं। इसके बाद करीब 100 परिचालक ऐसे बताए जा रहे, जिन्होंने 200-500 रुपये की यात्रा के टिकट बनाए। लगभग 50 परिचालकों द्वारा 1000-2000 रुपये तक की यात्रा, जबकि 32 परिचालकों द्वारा इससे ज्यादा की यात्रा के टिकट बनाए गए। यह राशि तीन लाख 21 हजार रुपये बैठ रही। प्रबंध निदेशक ने इन सभी परिचालकों से रिकवरी के आदेश दिए हैं। वहीं, बी डिपो, श्रीनगर डिपो और रानीखेत डिपो के एजीएम को छोड़कर शेष 19 एजीएम को लापरवाही में निंदा प्रविष्टि के आदेश दिए गए।
रोडवेज के 22 डिपो में सांसद कोटे में तीन माह में 4257 टिकट बनाने के आरोप में चल रही विभागीय जांच के बीच प्रबंध निदेशक बृजेश कुमार संत ने गुरुवार शाम यह आदेश जारी किए। जनवरी से मार्च के बीच बने इन टिकटों में सिर्फ तीन डिपो ही ऐसे हैं, जिनमें ऐसे टिकटों की संख्या 100 से कम है। बी डिपो में महज तीन टिकट, श्रीनगर में छह और रानीखेत में 87 टिकट बने हैं। इनके एजीएम को संदेह का लाभ देते हुए निंदा प्रविष्टि नहीं दी गई। प्रकरण को लेकर रोडवेज यूनियनों के पदाधिकारी भी गुरुवार को प्रबंध निदेशक से मिले व इसे टिकट मशीनों में नंबर अपडेट होने के कारण हुई मानवीय चूक बताया।
उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष अशोक चौधरी ने प्रबंध निदेशक को डाटा रिकार्ड के साथ जानकारी दी कि ज्यादातर टिकट 23 मार्च के बाद बने, जब मशीनों में बुजुर्गजन कोटे के नंबर पर सांसद कोटे का नंबर दर्ज हुआ। इधर, जांच अधिकारी वित्त नियंत्रक पंकज तिवारी ने परिचालकों की स्क्रूटनी जारी रखी। यह जांचा जा रहा कि 23 मार्च से पहले जिन परिचालकों ने सांसद कोटे में टिकट बनाए, क्या उन्होंने ही 23 मार्च के बाद सर्वाधिक टिकट इस कोटे में बनाए या नहीं। चूंकि, परिचालकों की संख्या 682 है, इसलिए प्रबंधन जांच में हर कदम फूंक-फूंककर रख रहा। यह डर भी है कि अगर परिचालकों के विरुद्ध बर्खास्तगी या निलंबन जैसा कदम उठाया गया जो बस संचालन ठप पड़ सकता है।
जांच चल रही है, होगी कार्रवाई
सांसद कोटे के टिकटों को लेकर छिड़े विवाद पर गुरूवार को मुख्य सचिव उत्पल कुमार ने बताया कि मामला गंभीर है और इसकी जांच चल रही है। जांच रिपोर्ट आने पर ही पता चलेगा कि दोष किसका है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने ये बयान सचिवालय में मीडिया कर्मियों द्वारा पूछे गए सवाल पर दिया।
प्रबंध निदेशक बृजेश कुमार संत ने बताया कि जो रिकार्ड सामने आ रहे हैं, उससे यह मामला घोटाले का कम बल्कि लापरवाही का ज्यादा प्रतीत हो रहा है। परिचालकों से ऐसी लापरवाही नहीं होनी चाहिए, क्योंकि वे 12वीं पास होते हैं। प्रबंधन इसे किसी सूरत में नजरअंदाज नहीं कर सकता। यही वजह है कि 19 एजीएम को निंदा प्रविष्टि दी गई है, जबकि परिचालकों से रिकवरी होगी। जो एंट्री 23 मार्च से पहले दर्ज हुई हैं, उनकी जांच पर विशेष फोकस किया जा रहा है। यह जांचा जा रहा कि मशीनों के अपडेट होने से पहले कितनी एंट्री हुई हैं। उसके बाद परिचालकों पर विभागीय कार्रवाई का निर्णय लिया जाएगा।
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