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Uttarakhand News: भारतीय वन्यजीव संस्थान के समक्ष चीतों के कुनबे को बढ़ाने की चुनौती, रहेगी विशेषज्ञों की नजर

Uttarakhand News प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख डा. एसपी यादव ने दैनिक जागरण के साथ चीता के देखभाल की कार्ययोजना साझा की। भारतीय वन्यजीव संस्थान वर्ष 2021 में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर चुका था। चीतों की संख्या 40 होने तक डब्ल्यूआइआइ की नजर रहेगी।

By Sunil NegiEdited By: Published: Sun, 18 Sep 2022 04:00 AM (IST)Updated: Sun, 18 Sep 2022 06:40 AM (IST)
Uttarakhand News: भारतीय वन्यजीव संस्थान के समक्ष चीतों के कुनबे को बढ़ाने की चुनौती, रहेगी विशेषज्ञों की नजर
भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के समक्ष अब चीतों के कुनबे को बढ़ाने की चुनौती है।

सुमन सेमवाल, देहरादून। Cheetah In India करीब 70 साल बाद देश में एक बार फिर चीतों की दहाड़ सुनाई देने लगी है। चीतों को भारत लाने के लिए संभावनाएं तलाश करने से लेकर इस चुनौती को अंजाम तक पहुंचाने में अहम भूमिका अदा करने वाले भारतीय वन्यजीव संस्थान (Wildlife Institute Of India ) के समक्ष अब चीतों के कुनबे को बढ़ाने की चुनौती है।

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क्योंकि शिकार व प्राकृतिक वासस्थलों की कमी के जिन कारणों के चलते चीते भारत की धरती से विलुप्त हो गए थे, उनका समाधान किया जाना है। हालांकि, भारतीय वन्यजीव संस्थान इसके लिए कमर कसकर तैयार है और विशेषज्ञ कम से कम 10 साल की कार्ययोजना पर आगे बढ़ रहे हैं।

प्रोजेक्ट चीता की कमान एक ही व्यक्ति के पास

अच्छी बात ये है कि राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के सदस्य सचिव से लेकर डब्ल्यूआइआइ के निदेशक और प्रोजेक्ट चीता की कमान एक ही व्यक्ति डा. एसपी यादव के हाथ में है। यही कारण भी है कि चीतों को भारत लाने की जो कवायद वर्ष 2010 से पहले से की जा रही थी, वह डा. एसपी यादव की बहुआयामी भूमिका के बाद कम समय के भीतर मंजिल तक पहुंच गई।

असल चुनौती का सामना अब होगा

दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में प्रोजेक्ट चीता के प्रमुख डा. एसपी यादव ने कहा कि अब तक की कवायद चीतों को भारत लाने की थी। असल चुनौती का सामना अब होगा। क्योंकि आठ चीते मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में आ चुके हैं और अब इन्हें नए माहौल में प्राकृतिक रूप से संरक्षित किया जाना है।

निरंतर निगरानी की जाएगी

डा. एसपी यादव के मुताबिक सबसे अहम यह देखना होगा कि चीते अपनी मूल प्रकृति के मुताबिक ही शिकार करें। इसके अलावा चीतों की ब्रीडिंग (प्रजनन) स्थिति, फीडिंग, वन क्षेत्र में सामान्य विचरण व्यवहार, कुनबे में सामान्य व्यवहार आदि की निरंतर निगरानी की जाएगी।

  • जब तक चीतों की संख्या प्राकृतिक रूप से बढ़कर 40 तक नहीं हो जाती, तब तक चीतों के आचार-व्यवहार की निरंतर निगरानी व शोध कार्य किए जाएंगे।
  • उम्मीद की जा रही है कि अधिकतम 10 साल के भीतर यह लक्ष्य हासिल हो जाएंगे।

डब्ल्यूआइआइ वर्ष 2021 में तैयार कर चुका विस्तृत रिपोर्ट

डा. एसपी सिंह के मुताबिक, प्रोजेक्ट चीता के तहत भविष्य में किए जाने वाले कार्यों के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान वर्ष 2021 में ही एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर चुका था। 'असेसमेंट आफ चीता इंट्रोडक्शन साइट्स एंड प्रपोज्ड एक्शन्स-टेक्निकल नोट' नाम की इस रिपोर्ट में चीतों के संरक्षण के लिए हरसंभव अध्ययन किया गया है।

इसमें कुनो नेशनल पार्क के साथ ही मुकुंदरा टाइगर रिजर्व, शेरगढ़ वन्यजीव अभ्यारण, गांधी सागर वन्यजीव अभ्यारण, माधव नेशनल पार्क, नौरादेही वन्यजीव अभ्यारण के प्राकृतिक वासस्थल से लेकर चीतों के लिए खाद्य शृंखला की स्थिति आदि की विस्तृत पड़ताल शामिल है। साथ ही हर एक वन क्षेत्र के हिसाब से एक्शन प्लान प्रस्तावित किया गया है। ताकि सरकार चीतों का वासस्थल जहां भी तय करें, वहां के लिए कार्ययोजना पहले से उपलब्ध रह सके। फिलहाल पूरा ध्यान कुनो नेशनल पार्क पर केंद्रित कर दिया गया है।


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