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भाजपा का विजयरथ एक और मुकाम हासिल करने की ओर

उत्तराखंड में साढे़ छह साल पहले शुरू हुआ भाजपा की चुनावी जीत का सिलसिला अब राज्यसभा की एक सीट के चुनाव में भी आगे बढ़ने को तैयार है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 27 Oct 2020 09:29 PM (IST)Updated: Tue, 27 Oct 2020 09:29 PM (IST)
भाजपा का विजयरथ एक और मुकाम हासिल करने की ओर

राज्य ब्यूरो, देहरादून

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उत्तराखंड में साढे़ छह साल पहले शुरू हुआ भाजपा की चुनावी जीत का सिलसिला अब राज्यसभा की एक सीट के चुनाव में भी आगे बढ़ने को तैयार है। विधानसभा की गणित कुछ ऐसी है कि विपक्ष कांग्रेस ने मुकाबले से पहले ही भाजपा को वाकओवर देना मुनासिब समझा। चुनाव नतीजे की घोषणा की औपचारिकता पूरी हो जाने के बाद उत्तराखंड की तीन राज्यसभा सीटों में से दो पर भाजपा काबिज जाएगी।

भाजपा के चुनावी जीत के सफर की शुरुआत वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से हुई थी। तब भाजपा ने पांचों सीटों पर कांग्रेस को करारी शिकस्त दी। इसके बाद वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में तो भाजपा ने एतिहासिक प्रदर्शन किया। 70 सदस्यों वाली विधानसभा में भाजपा के 57 विधायक चुने गए। उत्तराखंड के अलग राज्य बनने के बाद चार विधानसभा चुनावों में यह पहली बार हुआ, जब किसी पार्टी को अतना अधिक बहुमत हासिल हुआ।

इस भारी भरकम बहुमत का नतीजा यह हुआ कि वर्ष 2018 में एक राज्यसभा सीट के चुनाव में भाजपा की राह निष्कंटक रही। वर्तमान में भाजपा के मुख्य प्रवक्ता और राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख अनिल बलूनी तब उत्तराखंड से राज्यसभा सदस्य बने। इसके बाद राज्य में हुए नगर निकाय और फिर त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में भाजपा प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़ी। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा अपने पुराने प्रदर्शन को दोहराने में कामयाब रही और फिर पांचों सीटें जीती।

अब राज्यसभा सीट के चुनाव में भाजपा की जीत तय है, बस औपचारिक घोषणा का इंतजार है। इसके बाद पार्टी के समक्ष लक्ष्य होगा वर्ष 2022 में होने पाले राज्य विधानसभा चुनाव में अपने पिछले प्रदर्शन की पुनरावृत्ति का। इसके लिए पार्टी पूरी शिददत से जुट भी गई है। अगर भाजपा अपने कामयाब सफर को विधानसभा चुनाव में भी जारी रखती है तो फिर राज्य की तीसरी राज्यसभा सीट भी अपने पास लाने का रास्ता साफ हो जाएगा, जिसका चुनाव उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के बाद होगा। इनसेट बंसल को टिकट रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है कि भाजपा ने वरिष्ठ पार्टी नेता नरेश बंसल को राज्यसभा टिकट सोची-समझी रणनीति के तहत दिया। इसका मकसद आगामी विधानसभा चुनाव के मददेनजर क्षेत्रीय व जातीय संतुलन साधना है। दरअसल, राज्य से भाजपा के पांचों लोकसभा सदस्य पर्वतीय क्षेत्र से आते हैं। इसके अलावा राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी भी पर्वतीय क्षेत्र से हैं। अब मैदानी क्षेत्र की नुमाइंदगी नरेश बंसल के जरिये सुनिश्चित हो जाएगी। साथ ही, बंसल वैश्य समाज से हैं और उनके राज्यसभा पहुचने से वैश्य समाज को भी प्रतिनिधित्व मिल जाएगा। यह संतुलन वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए मुफीद साबित हो सकता है।


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