Move to Jagran APP

दून के 167 सरकारी भवनों में होगी रेन वाटर हार्वेस्टिंग

दून के सरकारी भवनों में वर्षा जल संरक्षण किया जाएगा। इसके लिए 167 सरकारी भवनों का चिह्नीकरण किया गया है। इसमें करीब 20 करोड़ रुपये लागत आंकी गई है।

By BhanuEdited By: Published: Tue, 20 Mar 2018 12:05 PM (IST)Updated: Thu, 22 Mar 2018 10:51 AM (IST)
दून के 167 सरकारी भवनों में होगी रेन वाटर हार्वेस्टिंग

देहरादून, [जेएनएन]: भूजल पर बढ़ते दबाव को कम करने के लिए पहली बार वर्षा जल संग्रहण (रेन वाटर हार्वेस्टिंग) की दिशा में धरातलीय प्रयास नजर आ रहे हैं। इस काम की शुरुआत सरकारी भवनों से की जा रही है। शासन के निर्देश पर जल संस्थान ने दून में 167 सरकारी भवनों का चिह्नीकरण किया है और भवन परिसर में भूमिगत टैंक बनाने के लिए सर्वे का कार्य भी शुरू हो चुका है। शुरुआती आकलन के अनुसार इन सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की लागत करीब 20 करोड़ रुपये आंकी गई है।

loksabha election banner

रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए चिह्नित किए गए भवनों में राजभवन से लेकर विधानसभा, मुख्यमंत्री आवास, सचिवालय समेत तमाम सरकारी कार्यालय, आवासीय परिसर, चिकित्सा प्रतिष्ठान व स्कूल आदि शामिल हैं। तय किया गया है कि हर भवन परिसर में 30 किलोलीटर (30 हजार लीटर) क्षमता का भूमिगत टैंक बनाया जाएगा। 

इस तरह कुल 167 भवनों के टैंकों में 50 लाख लीटर से अधिक पानी का संग्रह किया जा सकता है। दून में सालभर में 2350 मिलीमीटर बारिश का अनुमान लगाते हुए टैंक की क्षमता तय की गई है। भवन के आकार के हिसाब से छत पर 200 व 400 वर्गमीटर क्षेत्रफल पर वर्षा जल संग्रहण की व्यवस्था की जाएगी। 

भवन के छत के आकार के अनुसार बारिश के पानी का जो संग्रह किया जाएगा, उससे रोजाना 150 से 500 लीटर पानी उपलब्ध होने का अनुमान लगाया गया है। जल संस्थान के मुख्य महाप्रबंधक एसके गुप्ता के अनुसार सर्वे कार्य पूरा होने के बाद उसकी रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी और फिर बजट के आवंटन के बाद निर्माण कार्य शुरू कराया जाएगा। 

प्रमुख भवन, जहां होगा जल संग्रहण

राजभवन (तीन स्थल), विधानसभा परिसर, मुख्यमंत्री आवास, कार्यालय व संबंधित भवन (पांच स्थल), सचिवालय (नौ स्थल), कलक्ट्रेट व कचहरी परिसर (नौ स्थल), यमुना कॉलोनी में मंत्री आवास समेत अन्य कार्यालय व संबंधित भवन (14 स्थल), टिहरी हाउस में सचिव-अपर सचिव आवास (दो स्थल)   

इस तरह संरक्षित होगा वर्षा जल

चिह्नित भवनों की छत पर बारिश के पानी को टेप कर उसकी सप्लाई भूमिगत टैंक में की जाएगी। इसके साथ ही टैंक का कनेक्शन जहां कहीं पर भी होगा, वहां पर पानी का प्रयोग किया जा सकेगा।

इस कार्य में लाया जा सकेगा वर्षा जल

बागवानी कार्य, शौचालय में प्रयोग, वाहन धोने, फर्श आदि की सफाई।

इसलिए वर्षा जल संग्रहण जरूरी

-दून में इस समय 200 से अधिक ट्यूबवेल से भूजल का दोहन किया जा रहा है। जबकि इनके रीचार्ज के इंतजाम नहीं किए जा रहे।

-सिर्फ दोहन की प्रवृत्ति के चलते 20 ट्यूबवेल का पानी निरंतर घट रहा है।

-इन सबके बाद भी करीब 60 एमएलडी पानी कम पड़ जाता है।

-इस कमी को पूरा करने में रेन वाटर हार्वेस्टिंग को बढ़ावा किया जाए तो भूजल पर भी दबाव कम होगा।

-भूजल पर दबाव बढ़ने के चलते राज्य बनने से अब तक विभिन्न क्षेत्रों में जल स्तर 17 मीटर तक नीचे चला गया है।

दून के विभिन्न जोन में पानी की कमी

दक्षिण जोन------30.9 एमएलडी

उत्तर जोन-------21.5 एमएलडी

पित्थूवाला जोन--7.8 एमएलडी

रायपुर जोन---10.8 एमएलडी

यह भी पढ़ें: दस दिन से पानी नहीं मिलने से गुस्साए ग्रामीणों का प्रदर्शन

यह भी पढ़ें: प्रदेश के 75 फीसद आंगनबाड़ी केंद्रों में पीने योग्य पानी नहीं

यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में 500 योजनाओं के सूख रहे जलस्रोत, गर्मियों में होगा जलसंकट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.