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Railway Encroachment: आरपीएफ की चुप्पी ने दिया अतिक्रमण के बीज को खाद-पानी, पक्के घरों में तब्दील हुई झुग्गी-झोपड़ियां

Railway Encroachment रायवाला में रेलवे की बेशकीमती जमीन पर अतिक्रमण के मामले में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) मौन रहा।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Sat, 12 Sep 2020 05:01 PM (IST)Updated: Sat, 12 Sep 2020 05:01 PM (IST)
Railway Encroachment: आरपीएफ की चुप्पी ने दिया अतिक्रमण के बीज को खाद-पानी, पक्के घरों में तब्दील हुई झुग्गी-झोपड़ियां

ऋषिकेश, जेएनएन। Railway Encroachment देहरादून जिले के रायवाला में रेलवे की बेशकीमती जमीन पर अतिक्रमण के मामले में रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) मौन रहा। यही वजह रही कि 10 से 15 सालों के भीतर झुग्गी झोपड़ियां पक्के घरों में तब्दील हो गई। इससे आरपीएफ की भूमिका सवालों के घेरे में है।

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1890 के आसपास हरिद्वार-देहरादून के बीच रेल लाइन बिछाई गई थी। इसके कुछ वर्ष बाद रेलवे जंक्शन के समीप भूमि पर अतिक्रमण कर झुग्गी-झोपड़ियां खड़ी होनी शुरू हुई थी। रेलवे संपत्ति की सुरक्षा की जिम्मेदारी रेलवे सुरक्षा बल और रेलवे प्रशासन की है। रेल मंत्रालय के अधीन यह एक ऐसा केंद्रीय सुरक्षा बल है जो रेल यात्रियों की सुरक्षा और भारतीय रेलवे की संपत्तियों की निगरानी करता है। आरपीएफ को आरोपितों को गिरफ्तार करने, जांच पड़ताल करने आदि अधिकार प्राप्त है।

मगर, यहां हुए अतिक्रमण के मामले में आरपीएफ की भूमिका मूकदर्शक ही रही। वहीं स्थानीय प्रशासन रेलवे की जमीन होने का बहाना बनाकर अतिक्रमण रोकने की कार्रवाई से किनारा करता रहा। यही वजह बनी कि अतिक्रमण के बीज को खाद-पानी मिलता रहा और देखते ही देखते रायवाला में जंक्शन के नजदीक रेलवे की भूमि पर 100 परिवारों की बस्ती आबाद हो गयी। छावनी एरिया होने से यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील भी है। ऐसे में सुरक्षा संबंधी खतरा भी है।

आरपीएफ हरिद्वार के असिस्टेंट कमांडेंट मनोज कुमार ने बताया कि रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण को निर्माण निरीक्षक रेलवे चिह्नित कर कार्रवाई करता है। आरपीएफ की भूमिका इसमें कानून व्यवस्था संभालने के लिए फोर्स उपलब्ध कराना होता है।

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दून में भी रेलवे की भूमिका पर अतिक्रमण 

देहरादून में भी रेलवे की भूमि पर अतिक्रमण बढ़ रहा है। यहां मद्रासी कॉलोनी में रेल की पटरी के किनारे झुग्गी-झोपड़ियों की तादाद बढ़ती जा रही है। इससे इतर रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) समेत रेलवे के अन्य तंत्र हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया तो एक दिन दून में भी दिल्ली की तरह रेल ट्रैक के किनारे से अतिक्रमण हटाने के लिए न्यायालय को आदेश देना पड़ेगा।

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