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    Rahul Gandhi को लेकर टिप्पणी पर हरीश रावत और करन माहरा का पलटवार, कहा- संत-महात्मा, पीर-फकीर सब रखते हैं दाढ़ी

    By Jagran NewsEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sun, 27 Nov 2022 10:25 AM (IST)

    Rahul Gandhi हरीश रावत और करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की राहुल गांधी पर दाढ़ी को लेकर टिप्पणी पर पलटवार किया। कहा कि दाढ़ी सम्मान का प्रतीक है और देश के एक प्रतिष्ठित समाज के लिए वह धर्म का हिस्सा भी है।

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    Rahul Gandhi : राहुल गांधी पर दाढ़ी को लेकर टिप्पणी पर पलटवार किया।

    राज्य ब्यूरो, देहरादून : Rahul Gandhi : पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की राहुल गांधी पर दाढ़ी को लेकर टिप्पणी पर पलटवार किया। उन्होंने कहा कि देश में दाढ़ी रखने वाले महामहिम राष्ट्रपति भी हुए हैं और प्रधानमंत्री भी हुए हैं।

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    इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में हरीश रावत ने कहा कि दाढ़ी सम्मान का प्रतीक है और देश के एक प्रतिष्ठित समाज के लिए वह धर्म का हिस्सा भी है। संत-महात्मा, पीर, फकीर सब दाढ़ी रखते हैं।

    उधर, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने भी मुख्यमंत्री पर उनकी टिप्पणी को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को संभलकर बोलना चाहिए। धामी के बहाने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर भी टिप्पणी करते हुए माहरा ने कहा कि जिस व्यक्ति का गुरु प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के नामकरण पर बगैर सोचे टिप्पणी करे तो चेले से क्या अपेक्षा की जा सकती है।

    सीएम विचलन से भर्तियों को अनुमति पर दें जवाब : माहरा

    प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष व कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल को निशाने पर लिया। माहरा ने आरोप लगाया कि तत्कालीन विधानसभा अध्यक्ष के विधानसभा में नियुक्तियों के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री ने विचलन से अनुमति दी।

    कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष माहरा ने एक बयान में कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विधानसभा में नियुक्तियों के प्रस्ताव को अनुमति नहीं दी थी। मुख्यमंत्री धामी को विचलन से इन नियुक्तियों को अनुमति देने के कारण स्पष्ट करने चाहिए। उन्होंने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने अदालत में दिए शपथ पत्र में इन नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष के निर्णय पर प्रश्न उठाए हैं।

    माहरा ने कहा कि विधानसभा में नियुक्तियों की जांच को गठित कोटिया समिति की रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए। वह इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करेंगे। कोटिया समिति ने राज्य गठन के बाद से अब तक विधानसभा में नियुक्तियों को गलत ठहराया तो कुछ ही नियुक्तियों को निरस्त करने के बारे में भी जनता को जानकारी दी जानी चाहिए।

    सरकार की मंशा साफ, पूर्व में मिली स्वीकृति का अध्ययन करे कांग्रेस: भट्ट

    विधानसभा के भर्ती प्रकरण को लेकर कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों पर भाजपा ने पलटवार करते हुए कहा कि अब इसका कोई मतलब नहीं है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री की मंशा शुरू से ही साफ है और इसी के चलते विधानसभा की नियुक्तियों की गहन जांच हुई। नियम विरुद्ध हुई नियुक्तियां निरस्त की जा चुकी हैं।

    भट्ट ने कहा कि केवल विधानसभा की नियुक्ति नहीं, बल्कि जहां भी गड़बड़ है, वहां पूरी पारदर्शिता से जांच व कार्रवाई की जा रही है। जहां तक विधानसभा की नियुक्तियों के संबंध में मुख्यमंत्री के निर्देश का प्रश्न है तो वर्ष 2005-07 के बीच तत्कालीन मुख्यमंत्री एनडी तिवारी और वर्ष 2016 में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी विधानसभा में पद स्वीकृत किए थे। तब राज्य में कांग्रेस सरकार थी। कांग्रेस को खुद का अवलोकन करने की आवश्यकता है।

    उन्होंने कहा कि विधानसभा पदों की स्वीकृति मांगती है तो सरकार स्वीकृति देती है। भर्ती कैसे करनी है, यह सरकार तय नहीं करती। मुख्यमंत्री ने जांच समिति की रिपोर्ट के बाद भर्तियों को निरस्त करने की स्वीकृति भी दी।

    हरिद्वार के गन्ना किसानों की अनदेखी की रही सरकार: हरीश रावत

    पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार को अपने निवास पर हरिद्वार जनपद की विभिन्न समस्याओं को लेकर एक घंटे का मौन उपवास रखा। ओल्ड मसूरी रोड स्थित अपने आवास पर उपवास के बाद उन्होंने राज्य सरकार पर हमला बोला।

    उन्होंने कहा कि राज्य सरकार हरिद्वार की ज्वलंत समस्याओं पर आंखें बूंदे है। कहा कि मेरा यह मौन उपवास, हरिद्वार के उन संघर्षशील किसानों को समर्पित है, जो अपनी मेहनत के गन्ने को देखकर अभी सरकार की ओर से उसका समर्थन मूल्य घोषित न किए जाने से निराश हो रहे हैं। तोल केंद्रों पर लगातार गन्ना खरीदा नहीं जा रहा है।

    यहां की सड़कें ध्वस्त पड़ी हैं, बुग्गी व गाड़ी ले जाना बड़ा कठिन हो रहा है। सरकार सड़कों की मरम्मत व डामरीकरण का दावा तो कर रही है, लेकिन धरातल पर कुछ भी नहीं हो रहा है। बिजली कटौती से गेहूं की सिंचाई नहीं हो पा रही है।

    समय पर पानी नहीं मिलने से खेतों में खड़ी फसल खराब होने की संभावना बढ़ती जा रही है। उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके मौन उपवास से प्रदेश सरकार के कानों तक यह आवाज पहुंचेगी।

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