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एनएच घोटालाः दस्तावेजों में हेराफेरी पर उठे सवाल, पंचायत घोटाले की होगी एसआइटी जांच

राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के चौड़ीकरण के लिए ऊधमसिंह नगर में दिए गए मुआवजे में घोटाले के मामले में लगातार नए मोड़ आ रहे हैं। वहीं, पंचायतों में घपले की जांच एसआइटी से कराने की तैयारी है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 12:31 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2018 03:26 PM (IST)
एनएच घोटालाः दस्तावेजों में हेराफेरी पर उठे सवाल, पंचायत घोटाले की होगी एसआइटी जांच
एनएच घोटालाः दस्तावेजों में हेराफेरी पर उठे सवाल, पंचायत घोटाले की होगी एसआइटी जांच

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: बरेली-किच्छा-काशीपुर-हरिद्वार राष्ट्रीय राजमार्ग 74 के चौड़ीकरण के लिए ऊधमसिंह नगर में दिए गए मुआवजे में घोटाले के मामले में लगातार नए मोड़ आ रहे हैं। एसआइटी द्वारा आर्बिट्रेटर की भूमिका पर सवाल उठाने के बाद एडीशनल आर्बिट्रेटर आरसी पाठक इस पद पर कार्य करने से असमर्थता जाहिर कर चुके हैं। उनके इस कदम के कई मायने निकाले जा रहे हैं। 

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दरअसल, सूत्रों की मानें तो एसआइटी की पहली जांच रिपोर्ट में आर्बिट्रेटर के निर्णय पर कभी सवाल उठाए ही नहीं गए। जांच रिपोर्ट में बैक डेट में किए गए हस्ताक्षर और जहां नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) के नियमों का अनुपालन नहीं किया गया है, उन तथ्यों को सामने लाया गया है। 

इन दस्तावेजों में जिसके हस्ताक्षर हुए हैं वे ही जांच के दायरे में आए हैं। जानकार एडीशनल आर्बिट्रेटर के इस कदम को एसआइटी पर दबाव बनाने के कदम के रूप में देख रहे हैं। ऊधमसिंह नगर में एनएच -74 चौड़ीकरण मुआवजा प्रकरण में अभी एसआइटी की जांच जारी है। 

बीते वर्ष प्रदेश में भाजपा सरकार बनने के बाद भू-उपयोग बदल कर मुआवजा देने के मामले में सात पीसीएस अधिकारी निलंबित कर दिए गए थे, जबकि एक अन्य पर सेवानिवृत्ति के बाद कार्रवाई की गई। यह घोटाला 300 करोड़ से अधिक का बताया जा रहा है। 

शुरुआती कदम के बाद शासन ने इस मामले की जांच एसआइटी को सौंपी थी। इसके साथ ही मामले की जांच सीबीआइ से कराने की भी संस्तुति की। सीबीआइ ने जब इस मामले की जांच से इन्कार कर दिया तो एसआइटी की जांच ने रफ्तार पकड़ी। 

कुछ समय पहले एसआइटी ने इस मामले की अनंतिम जांच रिपोर्ट शासन को सौंपी। इसमें वर्ष 2011 से वर्ष 2016 के बीच ऊधमसिंह नगर में जिलाधिकारी पद पर तैनात रहे डॉ. पंकज कुमार पांडेय और चंद्रेश यादव द्वारा आर्बिट्रेटर के रूप में जारी किए गए कुछ दस्तावेजों को संदेह के दायरे में लिया गया। 

पहली बार किसी आइएएस अधिकारी का नाम इस प्रकरण में आया था तो सरकार व शासन ने मामले को गंभीरता से लिया। दोनों अधिकारियों को शासन स्तर से नोटिस भेजने के साथ ही एसआइटी को पूछताछ की अनुमति भी दी गई। इसके साथ ही एसआइटी को अनंतिम जांच रिपोर्ट वापस भेजकर आइएएस अधिकारियों के पूछताछ में मिले बिंदुओं को शामिल करने को कहा गया। 

सूत्रों की मानें तो आइएएस अधिकारियों के जवाब से एसआइटी की जांच को आगे बढ़ाने के लिए कुछ और अहम जानकारी मिली है। इन कड़ियों को जोड़ने के बाद ही एसआइटी अपनी अंतिम रिपोर्ट बनाकर शासन को सौंपेगी। 

आइइएस अधिकारियों पर ये उठे सवाल 

सूत्रों की मानें तो एसआइटी ने पहले शासन को जो जांच रिपोर्ट सौंपी थी, उसमें यह कहा गया था कि आर्बिट्रेशन के आदेशों में बैकडेट में हस्ताक्षर किए गए हैं। कुछ मामलों में एनएच एक्ट का अनुपालन नहीं किया गया है तो कुछ में कहीं अधिक मुआवजा दिया गया है। हालांकि, आइएएस अधिकारी इस मामले में शासन को अपना पक्ष दे चुके हैं। 

अभी मुख्यमंत्री से नहीं हुई मुलाकात 

आइएएस एसोसिएशन ने आर्बिट्रेटर के रूप में अधिकारियों की जांच को एक मुद्दा बनाते हुए कुछ समय पूर्व अपर मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री ओमप्रकाश से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मिलने का भी समय मांगा था। हालांकि, तब से ही मुख्यमंत्री व्यस्त चल रहे हैं। माना जा रहा है कि बैंगलुरू से वापस आने के बाद अधिकारियों की मुख्यमंत्री से मुलाकात हो सकती है। 

एसआइटी सही या अधिकारी 

इस समय मामले को लेकर एसआइटी और आइएएस अधिकारी आमने-सामने हैं। आइएएस अधिकारी एसआइटी की आर्बिट्रेटर के रूप में उनके द्वारा लिए गए निर्णयों पर पर सवाल उठा रहे हैं। उनका तर्क है कि इसकी जांच करना एसआइटी के दायरे में नहीं आता है। वहीं जानकारों की मानें तो एसआइटी ने केवल दस्तावेजों की जांच की है, जो गलत नहीं है। 

सूत्रों की मानें तो यही कारण है कि एसआइटी केवल उन्हीं दस्तावेजों की जांच कर रही है जो किसी अधिकारी के हस्ताक्षर से जारी हैं और जिसमें गड़बड़ी की आशंका है। 

मुख्यमंत्री लेंगे इस्तीफे पर निर्णय 

एडीशनल आर्बिट्रेटर आरसी पाठक द्वारा पद छोड़ने के संबंध में जो पत्र शासन को दिया गया है उस पर निर्णय मुख्यमंत्री के आने के बाद ही होगा। दरअसल, आरसी पाठक ने आर्बिट्रेटर की एसआइटी जांच को लेकर शासन से कुछ सवाल किए थे। वह पांच जून से कोर्ट भी नहीं लगा रहे थे। अब उन्होंने इस पर पर काम न करने की बात कहते हुए अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश को पत्र सौंपा है। अपर मुख्य सचिव का कहना है कि मुख्यमंत्री के आने के बाद ही इस पर निर्णय लिया जाएगा।

पंचायतों में घपले की जांच एसआइटी से कराने की कसरत

पंचायतों में 14 वें वित्त आयोग से आवंटित धनराशि से खरीद और निर्माण कार्यां में हुए घपले की जांच के लिए एसआइटी (विशेष जांच दल) गठित करने के प्रस्ताव को मुख्यमंत्री की मंजूरी मिलने के बाद पंचायती राज विभाग ने इस सिलसिले में फाइल गृह विभाग को भेज दी है। गृह विभाग से ही एसआइटी के विधिवत आदेश निर्गत होने हैं। 

प्रदेशभर में पंचायतों में हुए घपले की शिकायतें आने के बाद पंचायतीराज मंत्री अरविंद पांडेय ने इसकी एसआइटी जांच के निर्देश दिए थे। इस कड़ी में बीती 14 अगस्त को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने एसआइटी जांच को मंजूरी प्रदान कर दी थी। अपर सचिव पंचायती राज एचसी सेमवाल के मुताबिक एसआइटी जांच के संबंध में आदेश गृह विभाग से होने हैं।

मुख्यमंत्री के अनुमोदन के बाद विभाग ने इस सिलसिले में फाइल गृह को भेज दी है। गौरतलब है कि पंचायतों में 14 वें वित्त आयोग से जारी धनराशि से हुए घपले का मामला तब आया, जब उत्तरकाशी जिले में आपदा से निबटने को खरीदी गई सामग्री में गड़बड़ी की शिकायत हुई। जांच में इसकी पुष्टि भी हुई। 

इसके बाद अन्य जिलों से भी इस प्रकार की लगातार शिकायतें विभागीय मंत्री अरविंद पांडेय तक पहुंची। बात सामने आई कि एमआरपी से कई-कई गुना अधिक मूल्य पर सामग्री खरीदी गई। यही नहीं, निर्माण कार्यां में भी भारी अनियमितता की शिकायतें आई। अब एसआइटी जांच होने पर पंचायतों में हुए पूरे घपले का सच सामने आ जाएगा।

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