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    Pushkar Singh Dhami: हरिद्वार में हुआ सीएम के बेटे का यज्ञोपवीत, पहाड़ी परिधान में सजी दिखीं पत्‍नी गीता धामी

    By Vikas dhuliaEdited By: Nirmala Bohra
    Updated: Sat, 04 Feb 2023 03:04 PM (IST)

    Pushkar Singh Dhami हरिद्वार में पूरे विधिविधान के साथ उत्‍तराखंड के मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी के बड़े बेटे दिवाकर का यज्ञोपवीत संस्‍कार किया गया। इस दौरान मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी की पत्नी गीता धामी कुमाऊंनी परिधान में खूब खिल रही थीं।

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    Pushkar Singh Dhami: मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी के बड़े बेटे दिवाकर का यज्ञोपवीत संस्‍कार किया गया।

    टीम जागरण, देहरादून: Pushkar Singh Dhami: कुमाऊंनी पद्धति से हुए यज्ञोपवीत संस्कार उनके तीर्थ पुरोहित रामप्रताप भगत के पुत्र-पौत्र संजय भगत, शगुन भगत और ईशान भगत ने संपन्न कराया।

    यज्ञोपवीत संस्कार के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने तीर्थ पुरोहित रामप्रताप भगत के यहां बही वंशावली में आने का प्रयोजन व नाम दर्ज कराया।

    मुख्यमंत्री के इस निजी कार्यक्रम को पूरी तरह गोपनीय रखा गया और अंत तक इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं होने दी गई। पार्टी कार्यकर्त्ताओं, स्थानीय पदाधिकारियों तक को इससे दूर रखा गया। इस दौरान मुख्‍यमंत्री पुष्‍कर सिंह धामी की पत्नी गीता धामी कुमाऊंनी परिधान में खूब खिल रही थीं। कुमाऊंनी पिछौड़ा और नथ में वह बेहद खूबसूरत लग रही थीं।

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    इससे पहले शनिवार सुबह मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी गीता धामी, माता विश्नी देवी और बहन नंदी देवी, पारिवारिक पुरोहित पाठक के अलावा अन्य परिवारिक सदस्यों के साथ हरिद्वार पहुंचे और सबसे पहले पतित-पावनी मां गंगा का आचमन कर आशीर्वाद लिया। 

    इसके बाद तीर्थ-पुरोहित ने पूर्ण विधि-विधान के साथ मुख्यमंत्री के ज्येष्ठ पुत्र दिवाकर धामी का यज्ञोपवीत संस्कार संपन्न कराया। तीर्थ पुरोहित शगुन भगत ने बताया कि यज्ञोपवीत संस्कार सनातन धर्म के 16 संस्कारों में से एक प्रमुख संस्कार है। 

    जनेऊ धारण करने के बाद व्यक्ति को अपने जीवन में नियमों का कड़ाई से पालन करना पड़ता है, यहां तक कि उसे दैनिक जीवन के कार्यों को भी जनेऊ की मर्यादा व पवित्रता को ध्यान में रखते हुए ही करना होता है। यज्ञोपवीत संस्कार के बाद वह दोपहर बाद परिवारिक सदस्यों सहित देहरादून चले गए।

    भगवान गणेश आदि देवताओं का पूजन की बालक को अधोवस्त्र के साथ फूलों की माला पहनाकर बैठाया जाता है। इसके बाद दस बार गायत्री मंत्र पढ़कर देवताओं का आह्वान किया जाता है। इस दौरान बालक से शास्त्र शिक्षा और व्रतों के पालन का वचन लिया जाता है।

    गुरु मंत्र सुनाकर कहता है कि आज से तू अब ब्राह्मण हुआ अर्थात ब्रह्म (सिर्फ ईश्वर को मानने वाला) को माने वाला हुआ। इसके बाद मृगचर्म ओढ़कर मुंज (मेखला) का कंदोरा बांधते हैं और एक दंड हाथ में दे देते हैं। वह बालक उपस्थित लोगों से भिक्षा मांगता है।