पुलवामा आतंकी हमले में उत्तरकाशी का लाल शहीद
पुलवामा आतंकी हमले में बनकोट (उत्तरकाशी) निवासी सीआरपीएफ में एएसआइ मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए हैं। जम्मू-श्रीनगर हाईवे की सुरक्षा गश्त में तैनात मोहनलाल आतंकियों के निशाने पर आए। मोहनलाल की शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया।
जागरण संवाददाता, देहरादून: पुलवामा आतंकी हमले में बनकोट (उत्तरकाशी) निवासी सीआरपीएफ में एएसआइ मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए हैं। जम्मू-श्रीनगर हाईवे की सुरक्षा गश्त में तैनात मोहनलाल आतंकियों के निशाने पर आए। मोहनलाल की शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। सीआरपीएफ के अफसरों ने शहीद मोहनलाल के घर पहुंचकर परिजनों का ढांढस बंधाया। इधर, देर रात शहीद मोहनलाल का पार्थिव शरीर दून पहुंच सकता है। शनिवार को हरिद्वार में सैन्य सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी।
देश की रक्षा में उत्तराखंड के लाल हमेशा शहादत देने में आगे रहे हैं। गुरुवार को पुलवामा के गोरीपोरा (अवंतीपोरा) में सीआरपीएफ बटालियन पर हुए आतंकी हमले में भी प्रदेश के दो लाल शहीद हुए हैं। इनमें उत्तरकाशी, बनकोट के मूल निवासी और हाल निवासी कांवली रोड, एमडीडीए कॉलोनी के एएसआइ 55 वर्षीय मोहनलाल रतूड़ी भी शहीद हुए हैं। मोहन लाल रतूड़ी रामपुर ग्रुप सेंटर की 110 बटालियन में जम्मू-श्रीनगर हाईवे पर रोड गश्त ड्यूटी में तैनात थे। मोहनलाल की शहादत की खबर सुनते ही परिजनों में कोहराम मच गया। मोहनलाल की पत्नी सरिता देवी, बेटा शंकर, श्रीराम, बेटी अनुसूइया, वैष्णवी और गंगा के आंखों के आंसू थमने के नाम नहीं ले रहे हैं। रोते हुए सरिता देवी ने बताया कि 27 दिसंबर को उनके पति मोहनलाल एक माह की छुट्टी बिताकर ड्यूटी गए थे। जहां फोन कर उन्होंने जल्द घर आने की बात कही थी। इधर, मोहनलाल की शहादत की सूचना पर सीआरपीएफ की दून स्थित बटालियन के डीआइजी दिनेश उनियाल, विमल कुमार बिष्ट, कमांडेंट किशोर प्रसाद आदि ने घर पहुंचकर परिजनों को ढांढस बंधाया। कहा कि परिवार की मदद को फोर्स हमेशा उन्हें अपने साथ पाएगी। इसके अलावा कैंट विधायक हरबंस कपूर, कांग्रेस नेता सूर्यकांत धस्माना समेत अन्य ने उनके घर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी। देश की रक्षा को हर वक्त आगे रहते थे मोहनलाल
बनकोट निवासी मोहनलाल रतूड़ी वर्ष 1988 में सीआरपीएफ के लुधियाना कैंप में भर्ती हुए थे। इसके बाद मोहनलाल ने श्रीनगर, छत्तीसगढ़, पंजाब, जालंधर , जम्मू-कश्मीर जैसे आतंकी और नक्सल क्षेत्र में भी ड्यूटी की है। परिजनों ने बताया कि मोहनलाल हमेशा ही देश रक्षा के ऑपरेशन में आगे रहते थे। एक साल पहले ही मोहनलाल की झारखंड से पोस्टिंग पुलवामा हुई थी। मोहनलाल के बड़े बेटे शंकर रतूड़ी ने बताया कि पिता हमेशा देश की रक्षा को लेकर उनसे बातें करते थे। छत्तीसगढ़ में नक्सली क्षेत्र हो या फिर जम्मू के आतंकी क्षेत्र इनके कई किस्से मोहनलाल ने बच्चों को सुनाए थे।
वीआरएस लेने से किया मना
दिसंबर में जब मोहनलाल घर पहुंचे थे तो उनके भतीजे सूर्यप्रकाश रतूड़ी, दामाद सर्वेश नौटियाल आदि ने उन्हें वीआरएस लेने का सुझाव दिया। मगर, मोहनलाल ने कहा कि देश को हमारी जरूरत है। देश की सेवा पूरी करने के बाद ही वह सेवानिवृत्ति होंगे। इस दुख की घड़ी में परिजनों को उनकी देश के लिए दी गई शहादत पर गर्व है।