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आयुर्वेद विश्वविद्यालय में छात्रों का हंगामा

उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेज शासन का आदेश मान रहे हैं न अदालत का।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Nov 2018 03:00 AM (IST)Updated: Fri, 23 Nov 2018 03:00 AM (IST)
आयुर्वेद विश्वविद्यालय में छात्रों का हंगामा
आयुर्वेद विश्वविद्यालय में छात्रों का हंगामा

जागरण संवाददाता, देहरादून: उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से संबद्ध निजी कॉलेज शासन का आदेश मान रहे हैं और न विवि का। यहां तक कि वह अब अदालत के आदेश की भी नाफरमानी कर रहे हैं। हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी बढ़ी फीस छात्रों को लौटाई नहीं गई। उल्टा उन पर फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है। फीस जमा न करने पर परीक्षा में न बैठने की धमकी दी जा रही है। जिसके खिलाफ बीएएमएस और बीएचएमएस के सैकड़ों छात्र-छात्राओं ने गुरुवार को विवि पहुंचकर प्रदर्शन किया। उन्होंने परीक्षाओं के बहिष्कार की चेतावनी दी है। विवि के कुलसचिव द्वारा कॉलेजों की बैठक बुलाने और इस संबंध में पुन: आदेश जारी के आश्वासन पर छात्र माने। यही नहीं विवि ने अग्रिम आदेशों तक परीक्षाएं भी स्थगित कर दी हैं।

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छात्रों ने बताया कि बीएएमएस की फीस 80500 से बढ़ाकर दो लाख पंद्रह हजार और बीएचएमएस की 73600 से एक लाख कर दी गई थी। जिसके विरोध में छात्र हाईकोर्ट गए थे। हाईकोर्ट ने 9 जुलाई 2018 को बढ़ी हुई फीस लौटाने का आदेश जारी किया था। उस पर शासन भी इस संदर्भ में आदेश जारी कर चुका है। विवि प्रशासन ने भी कॉलेजों को पत्र जारी कर कोर्ट के आदेशों का अनुपालन करने को कहा था। लेकिन कॉलेज किसी भी आदेश पर अमल नहीं कर रहे। उन पर फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं। इस बीच विवि ने परीक्षा तिथि घोषित कर दी है। कॉलेज प्रशासन उन्हें धमकी दे रहा है कि फीस जमा न करने पर उन्हें परीक्षा में बैठने नहीं दिया जाएगा। ऐसे में उन्होंने यह निर्णय लिया है कि विवि द्वारा आवश्यक कदम नहीं उठाए गए तो वह खुद परीक्षाओं का बहिष्कार कर देंगे। हटाए गए कर्मियों ने भी गेट बंद कर किया प्रदर्शन

आयुर्वेद विश्वविद्यालय से हटाए गए कर्मचारी भी पिछले कई दिन से विवि गेट पर क्रमिक अनशन पर हैं। गुरुवार को उन्होंने विवि का गेट बंद कर प्रदर्शन किया। छात्र और कर्मचारियों के संयुक्त प्रदर्शन से विवि परिसर में अफरातफरी मची रही। चिकित्सक व कर्मचारियों को विवि के अंदर-बाहर आने जाने में भी परेशानी का सामना करना पड़ा। इस दौरान नरेंद्र नेगी, पंकज कुमार, दीपक बर्थवाल, अनिल नौटियाल, प्रियंका पाडेय, रेनू बाला, रेखा काला, अर्चना, पूरण सिंह, चंद्रकाता, आशीष, विजय, अमरदीप आदि मौजूद रहे। उन्होंने बताया कि करीब 40 कर्मचारी धन्वंतरि वैद्यशाला के माध्यम से वर्ष 2016 से विभिन्न पदों पर सेवाएं दे रहे थे। 21 मई 2018 में उन्हें अचानक बिना कारण बाहर कर दिया गया। इतना ही नहीं, उनके विवि में प्रवेश पर भी रोक लगा दी गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि उनके प्रमाण-पत्र भी विवि में जमा हैं। वह विवि में पुनर्नियुक्ति की माग कर रहे हैं। मांग पूरी न होने पर उन्होंने आमरण अनशन की चेतावनी दी है। कुलसचिव ने मांगा पुलिस से सहयोग

बहाली की माग को लेकर एक माह से धरना-प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का मामला पुलिस तक पहुंच गया है। प्रभारी कुलसचिव ने इस मामले में डोईवाला थाने में तहरीर दी है। जिसमें कहा गया है कि कुछ लोग एक माह से लगातार विवि गेट के हंगामा कर रहे हैं। इससे विवि के कार्य में व्यवधान पड़ रहा है। गुरुवार को भी इन्होंने गेट बंद कर डॉक्टर व अधिकारी-कर्मचारियों को बाहर नहीं आने दिया। उनके साथ अभद्र व्यवहार किया। कुलसचिव ने पुलिस से कार्रवाई की माग की है। परीक्षाएं की स्थगित

आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने एक दिसम्बर से होने वाली बीएएमएस प्रथम, द्वितीय व तृतीय व्यवसायिक की मुख्य/पूरक परीक्षाएं स्थगित कर दी हैं। इस संबंध में वेबसाइट पर सूचना अपलोड की गई है। जिसमें कहा गया है कि 11 निजी संस्थानों के छात्र-छात्राओं ने इस संबंध में लिखित प्रार्थना पत्र दिया था। जिस पर यह निर्णय लिया गया है। उच्च न्यायालय के आदेश के क्रम में निजी कॉलेजों को बढ़ी हुई फीस लौटाने और फीस के लिए दबाव न बनाने का आदेश पुन: जारी किया जा रहा है। इस आदेश का पालन न करने पर संबंधित कॉलेज के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। जहां तक बाहर धरना देने वालों का प्रश्न है, वह विवि के कर्मचारी नहीं हैं।

-डॉ. राजेश कुमार, प्रभारी कुलसचिव, उत्तराखंड आयुर्वेद विवि


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