Move to Jagran APP

लाखों की एफडीआर भरने को तैयार नहीं निजी कॉलेज, जानिए पूरा मामला

निजी कॉलेज लाखों रुपये की एफडीआ रजमा करने को तैयार नहीं। शासन स्तर पर उन्हें निर्धारित धनराशि संबद्ध विवि के खाते में जमा करने को कहा पर वो इससे कतरा रहे हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 05:52 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 05:52 PM (IST)
लाखों की एफडीआर भरने को तैयार नहीं निजी कॉलेज, जानिए पूरा मामला

देहरादून, जेएनएन। प्रदेश के निजी कॉलेज लाखों रुपये की एफडीआर (प्रतिभूति राशि) जमा करने को तैयार नहीं है। शासन स्तर पर प्रदेश भर के निजी प्रोफेशनल और पारंपरिक कोर्स संचालित करने वाले कॉलेजों को निर्धारित धनराशि संबद्ध विवि के खाते में जमा करने को कहा गया है, लेकिन कॉलेज संचालक इससे कतरा रहे हैं। 

loksabha election banner

बुधवार को सचिवालय में प्रभारी सचिव उच्च शिक्षा विनोद कुमार रतूड़ी ने निजी कॉलेज संचालकों की बैठक ली। इसमें गढ़वाल, देहरादून, हरिद्वार और रुड़की से कॉलेज संचालक शामिल हुए। सचिव ने विवि स्तर पर जब समीक्षा शुरू की तो निजी कॉलेज संचालकों ने तर्क दिया कि कुछ साल पहले तक यह एफडीआर राशि दो से चार लाख रुपये निर्धारित थी, जिससे संस्थानों पर बहुत अधिक आर्थिक बोझ नहीं पड़ता था।

करीब दो साल पहले सरकार ने निजी कॉलेजों में पारंपरिक कोर्स के लिए 15 लाख और प्रोफेशनल कोर्स के लिए 35 लाख रुपये की राशि निर्धारित कर दी, जो बहुत अधिक है। निजी कॉलेज संचालकों ने उदाहरण दिया कि स्नातक कला जैसे कोर्स शुरू करने के लिए कौन संस्थान विवि के खाते में 15 लाख रुपये एफडीआर जमा करवाएगा। 

तर्क दिया कि श्रीदेव सुमन विवि से संबद्ध कुछ निजी संस्थानों ने विवि प्रशासन को इस बात पर राजी कर दिया कि वह एक मुश्त इतनी राशि नहीं दे सकते हैं लिहाजा, वह पांच-पांच लाख रुपये प्रत्येक साल देंगे। जिसे विवि से स्वीकार कर पहले साल पांच लाख रुपये लेकर कोर्स की मान्यता दे दी। संबंधित संस्थान ने आगे धनराशि जमा नहीं की और संबंधित कोर्स की पढ़ाई छात्र पूरी भी कर चुके हैं। ऐसे संस्थान से अब विवि कोर्स की मान्यता समाप्त भी नहीं कर सकता है। 

यह भी पढ़ें: फैकल्टी के 'खेल' पर सीसीआइएम हुआ सख्त, पढ़िए पूरी खबर

एफडीआर की राशि अनुपयोगी: डॉ.सुनील 

एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंस कॉलेज के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने बैठक की पुष्टि करते हुए बताया कि बैठक में यह भी तर्क दिया गया कि इतनी अधिक एफडीआर राशि का उपयोग न विवि कर सकता है और न शासन या संबंधित कॉलेज। इसलिए इस नियम में बदलाव किया जाना चाहिए।

यह भी पढ़ें: विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में व्यवहारिक नहीं है मोबाइल प्रतिबंध


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.