फाग की मस्ती, टिकटों पर कुहासा
भाजपा हो या कांग्रेस उत्तराखंड में दोनों ही दलों के लोकसभा प्रत्याशियों को फाग की मस्ती ज्यादा नहीं सुहाएगी तो टिकट हासिल करने की बाजी में मात खाने वालों को रंगों का पर्व फीका नहीं लगेगा।
राज्य ब्यूरो, देहरादून:
भाजपा हो या कांग्रेस, उत्तराखंड में दोनों ही दलों के लोकसभा प्रत्याशियों को फाग की मस्ती ज्यादा नहीं सुहाएगी तो टिकट हासिल करने की बाजी में मात खाने वालों को रंगों का पर्व फीका नहीं लगेगा। वजह साफ है। होली के सुरूर को देखते हुए दोनों ही राष्ट्रीय दलों ने प्रत्याशी घोषित करने से गुरेज किया है। खास बात ये है कि प्रत्याशियों की सूची को लेकर दोनों ही दलों की रणनीति पहले आप की ज्यादा रही, ताकि प्रतिद्वंद्वियों को देखकर खुद भी वजनदार प्रत्याशी तय किए जा सकें। यह दीगर बात है कि टिकट के जिन दावदारों को प्रत्याशी बनाया जाना है, उन्हें इशारों में ही अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर होली की मस्ती में डूबने को कह दिया गया है।
उत्तराखंड में 11 अपै्रल को होने वाले लोकसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है लेकिन दोनों ही दलों ने अभी तक अपने प्रत्याशियों का ऐलान नहीं किया है। सभी संभावित दावेदार दिल्ली दरबार में दस्तक दे चुके हैं। अब नजरें केंद्रीय नेतृत्व पर टिकी हैं। हालांकि, यह माना जा रहा है कि प्रत्याशी चयन को लेकर भाजपा व कांग्रेस एक-दूसरे पर नजर रखे हुए हैं। टिकट वितरण में हो रही देरी से संभावित प्रत्याशियों की धुकधुकी बढ़ रही है, साथ ही चुनाव प्रचार के लिए समय कम होने की चिंता पार्टी के लिए भी चिंता का सबब बनी है।
भाजपा की बात करें तो मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट की अगुआई में संभावित दावेदार दिल्ली दस्तक दे कर वापस अपने क्षेत्रों में पहुंच चुके हैं और वह अपने समर्थकों से मुलाकात कर रहे हैं। उनकी बॉडी लेंग्वेज यह इशारा कर रही है कि उन्हें हाईकमान से हरी झंडी मिल चुकी है। यहां की पांचों सीटों के पैनल कुछ दिनों पूर्व केंद्रीय नेतृत्व को सौंपे जा चुके हैं। पार्टी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के दो दौर हो चुके हैं। बावजूद इसके अभी तक प्रत्याशियों के नाम घोषित नहीं हुए हैं। हालांकि, मंगलवार शाम को पार्टी पांच संभावित दावेदारों के नामों की चर्चाएं तेजी से चली। सोशल मीडिया पर भी इन्हें बधाई भी दी जा चुकी है। मगर पार्टी स्तर से अधिकारिक तौर पर इस बारे में कोई घोषणा नहीं हुई है।
वहीं, कांग्रेस की स्थिति भी भाजपा से इतर नहीं है। प्रदेश कांग्रेस की ओर से भी संभावित प्रत्याशियों के पैनल तैयार कर केंद्रीय नेतृत्व को भेजे जा चुके हैं। कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की दो दौर की बैठकें हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि पार्टी ने पांचों सीटों पर प्रत्याशियों के नाम फाइनल कर लिए हैं, लेकिन घोषित करने में रणनीति के तहत देरी की जा रही है।
यह बात दीगर है कि सोशल मीडिया में कई बार प्रत्याशियों की सूची वायरल हो रही है। कुछ ऐसे प्रत्याशी जिनका टिकट पक्का माना जा रहा है, उन्होंने सोशल मीडिया के जरिये मतदाताओं तक संदेश पहुंचाना शुरू कर दिया है और कुछ प्रत्याशियों के समर्थकों ने बकायदा चुनाव क्षेत्रों में चुनावी मुहिम सरीखा उत्साह दिखाना शुरू कर दिया है। हालांकि आधिकारिक सूची जारी नहीं होने से दावेदारों और उनके समर्थकों की धड़कनें की बढ़ी हुई हैं।