पहले विलेन से होती थी फिल्म की पहचान, अब हाशिए पर विलेन किरदार
प्रसिद्ध कलाकार प्रेम चोपड़ा और रजा मुरीद का मानना है कि अब विलेन का किरदार धीरेे-धीरे कर अपनी पहचान खोता जा रहा है। जबकि पहले विलेन के किरदार से ही फिल्म की पहचान होती थी।
देहरादून, [जेएनएन]: फिल्म जगत के दो प्रसिद्ध कलाकार और सबसे बड़े विलेेन के रूप में पहचाने जाने वाले प्रेम चोपड़ा और रजा मुराद का कहना है कि पुरानी फिल्मों में विलेन का खास किरदार होता था। विलेन के नाम से फिल्मों की पहचान हुआ करती थी। लेकिन आज की फिल्मों में अभिनेता ही सब कुछ है। उन्होंने नई पीढ़ी के कलाकारों को यह सलाह भी दी कि एक सुपरहिट फिल्म से सुपरस्टार नहीं बन जाते।
देहरादून में एक कार्यक्रम में शरीक होने आए हिंदी सिनेमा जगत के प्रसिद्ध अभिनेता प्रेम चोपड़ा और रजा मुराद पत्रकारों से भी मुखातिब हुए। प्रेम चोपड़ा ने कहा कि पुरानी फिल्मों का अपना मजा होता था। उस समय की फिल्मों में अभिनेता, अभिनेत्री, विलेन और कॉमेडियन चार मुख्य किरदार होते थे। फिल्म की सफलता में चारों को श्रेय मिलता था। उन्होंने कहा कि आज की फिल्मों में अभिनेता ने कॉमेडियन और विलेन के किरदारों को गायब कर दिया है। आज विलेन का रोल सिर्फ खलनायक की औपचारिकता पूरी करने मात्र तक सीमित है।
बातचीत के अंत में प्रेम चोपड़ा ने अपना लोकप्रिय डायलॉग 'नंगा नहाएगा क्या, नंगा निचोड़ेगा क्या', 'प्रेम चोपड़ा नाम है मेरा' से अपनी पुरानी फिल्मों की यादें ताजा की।
वहीं, अभिनेता रजा मुराद ने भी प्रेम चोपड़ा की राय से सहमति जताते हुए कहा कि आज विलेन का किरदार हाशिये पर चला गया है। उन्होंने कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि फिल्म में हर किरदार का अपना महत्व होता है। रजा मुराद ने उत्तराखंड की नई प्रतिभाओं की भी सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखंड सरकार को सिनेमा इंडस्ट्री को प्रोत्साहन देना होगा। कहा कि सिनेमा इंडस्ट्री बनेगी तो 20 प्रतिशत स्थानीय कलाकारों को किरदार दिए जाएं, ताकि उन्हें प्रोत्साहन मिले।
प्रेम चोपड़ा को पिता ने डांटा
प्रेम चोपड़ा ने सालों पुराने एक वाक्ये का जिक्र करते हुए बताया कि एक बार वह अपने पिता के साथ पंचकूला में सुबह की सैर पर निकले थे। तभी वहीं से कुछ युवक-युवतियों के जोड़े जा रहे थे और दबी जुबां में कह रहे थे कि लड़कियों को छिपा लो। प्रेम चोपड़ा आ रहा है। तब उनके पिता ने मुझसे हंसते हुए कहा कि देख तेरे कारण मुझे शर्मिंदगी उठानी पड़ रही है।
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