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माता के दिव्य स्वरूप सिद्धीदात्री की पूजा कर भक्तों ने लगाया भोग

बुधवार को राम नवमी पर भक्तों ने मां दुर्गा के दिव्य स्वरूप माता सिद्धिदात्री का गुणगान किया और हलवा पूरी कर भोग लगाकर खुशहाली की कामना की। कोरोना संक्रमण के चलते गिने चुने घरों व मंदिरों में कन्या पूजन किया गया।

By Edited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 08:07 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 08:07 PM (IST)
माता के दिव्य स्वरूप सिद्धीदात्री की पूजा कर भक्तों ने लगाया भोग
माता के दिव्य स्वरूप सिद्धीदात्री की पूजा कर भक्तों ने लगाया भोग।

जागरण संवाददाता, विकासनगर: बुधवार को राम नवमी पर भक्तों ने मां दुर्गा के दिव्य स्वरूप माता सिद्धिदात्री का गुणगान किया और हलवा पूरी कर भोग लगाकर खुशहाली की कामना की। कोरोना संक्रमण के चलते गिने चुने घरों व मंदिरों में कन्या पूजन किया गया। अधिकांश श्रद्धालुओं ने कन्याओं के नाम के बने खाने को जरूरतमंदों और गाय को खिलाया। वहीं मंदिरों में रामनवमी को पुजारियों ने सीमित संख्या में श्रद्धालुओं के साथ श्रीराम चरितमानस और सुंदर कांड का पाठ किया। मान्यता है कि नवमी को शास्त्रीय विधि-विधान और पूर्ण निष्ठा के साथ साधना करने वाले साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए असंभव नहीं रह जाता। ब्रह्मांड में जटिल परिस्थितियों पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की साम‌र्थ्य उसमें आ जाती है। इसी के चलते पछवादून में श्रद्धालुओं ने दुर्गा सप्तशती का पाठ कर सिद्धिदात्री मां की उपासना की और खुशहाली की कामना की। धार्मिक मान्यता के अनुसार सिद्धिदात्री मां की उपासना पूर्ण कर लेने के बाद भक्तों और साधकों की लौकिक, पारलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। सिद्धिदात्री मां के कृपापात्र भक्त के भीतर कोई ऐसी कामना शेष बचती ही नहीं है, जिसे वह पूर्ण करना चाहे। मां भगवती का परम सान्निध्य ही उसका सर्वस्व हो जाता है। इस परम पद को पाने के बाद उसे अन्य किसी भी वस्तु की आवश्यकता नहीं रह जाती। ऐसा माना गया है कि मां भगवती का स्मरण, ध्यान, पूजन, हमें इस संसार का बोध कराते हुए वास्तविक परम शांतिदायक अमृत पद की ओर ले जाने वाला है। आराधना के साथ ही कन्या पूजन के नाम पर भक्तों ने मां को भोग लगाया और कन्या पूजन किया। पछवादून के हनुमदधाम में रामनवमी पर श्रीरामचरित मानस का पाठ किया गया।

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