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देहरादून के झोल-सेरकी गांव में हुए हादसे की मुश्किल घड़ी में भी नेताओं पर हावी रही राजनीति

झोल-सेरकी गांव में हुए हादसे पर राजनीति हावी रही। मालदेवता क्षेत्र में जिस जगह यह हादसा हुआ वह रायपुर और मसूरी विधानसभा की सीमा पर है। ऐसे में हादसे की सूचना मिलते काबीना मंत्री एवं मसूरी विधायक गणेश जोशी के साथ रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ भी सक्रिय हो गए।

By Sunil NegiEdited By: Published: Fri, 11 Jun 2021 12:09 PM (IST)Updated: Fri, 11 Jun 2021 12:09 PM (IST)
मालदेवता क्षेत्र में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी को स्थानीय निवासियों के आक्रोश का सामना करना पड़ा।

जागरण संवाददाता, देहरादून। झोल-सेरकी गांव में हुए हादसे पर भी राजनीति हावी रही। मालदेवता क्षेत्र में जिस जगह यह हादसा हुआ, वह रायपुर और मसूरी विधानसभा की सीमा पर है। ऐसे में हादसे की सूचना मिलते ही काबीना मंत्री एवं मसूरी विधायक गणेश जोशी के साथ रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ भी सक्रिय हो गए। दोनों प्रभावित क्षेत्र का हालचाल जानने पहुंचे, मगर ग्रामीणों की पीड़ा पर मरहम लगाने से ज्यादा जोर एक-दूसरे पर तंज कसने पर रहा। रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ ने तो इशारों में इस हादसे के लिए कबीना मंत्री गणेश जोशी को दोषी भी ठहरा दिया। दोनों के बीच मनमुटाव के चलते राहत कार्य शुरू होने में भी देरी हुई।

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गुरुवार को तड़के झोल-सेरकी गांव में मलबा पहुंचा तो ग्रामीणों ने प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक को इसकी जानकारी दी। इसके बाद एक-एक कर सभी का गांव पहुंचना शुरू हो गया। सुबह करीब साढ़े सात बजे रायपुर विधायक उमेश शर्मा काऊ यहां पहुंचे। उन्होंने स्थिति का जायजा लेने के बाद जेसीबी बुलवाई। सवा आठ बजे के करीब जेसीबी यहां पहुंच तो गई, मगर काबीना मंत्री गणेश जोशी के समर्थकों ने मलबा हटाने का कार्य शुरू नहीं होने दिया। उनका आरोप था कि पूर्व में भी जब भी बरसात में सड़क बाधित हुई है, तब रायपुर विधायक केवल अपने क्षेत्र का मलबा साफ करवाते आए हैं। ऐसे में मलबा हटाने का काम काबीना मंत्री के आने के बाद ही शुरू होगा।

हालांकि, बाद में विधायक ने जिला प्रशासन और पुलिस की टीम को मौके पर बुलाकर काम शुरू करवाया। इसके बाद करीब 11 बजे कबीना मंत्री गणेश जोशी मौके पर पहुंचे तो रायपुर विधायक अपने विधानसभा क्षेत्र की सीमा पर कुर्सी पर जम गए और काम करवाने लगे। गणेश जोशी अपनी विधानसभा की सीमा में मलबा हटवाने चले गए। कुछ देर बाद दोनों विधायक अपनी-अपनी विधानसभा की सीमा पर एक साथ बैठे दिखे। इसी दौरान मलबे को डंप करने को लेकर दोनों विधायकों और उनके समर्थकों में बहस छिड़ गई।

कबीना मंत्री मलबे को डंपर से उठाकर घटनास्थल से दूर डंप करवाने के पक्ष में थे। वहीं, रायपुर विधायक मलबे को सड़क से नीचे सौंग नदी के किनारे ही डंप करवाने के पक्ष में थे। इस मसले पर दोपहर से शाम चार बजे तक बहस छिड़ी रही। उधर, काबीना मंत्री गणेश जोशी ने आपदा प्रभावितों के लिए पंचायत घर में 12 बेड, बिस्तर आदि का इंतजाम करवाया है।

लोन लेकर अदरक की फसल बोई, मलबे में दब गए अरमान

झोल-सेरकी में मलबा आने से घर तो क्षतिग्रस्त हुए ही, किसानों की फसल भी बरबार हो गई। जय लक्ष्मी महिला समूह की अध्यक्ष प्रमिला पयाल ने बताया कि उनके समूह ने एक लाख रुपये का लोन लेकर इस साल अदरक की फसल बोई थी, जो अब मलबे से पट गई है। इसी तरह कुछ ग्रामीणों ने आलू और धनिया की फसल बोई थी। उनकी फसल भी मलबे की भेंट चढ़ गई। वहीं, मालदेवता-धनोल्टी मार्ग के किनारे बसे भैसवाण, क्यारा, सरोना, गोठ, रंवाली, फुलेत, किन्यारी समेत 40 गांवों के लोग सब्जी का उत्पादन करते हैं। यही इनकी आजीविका का सहारा है। गुरुवार को हुए हादसे के बाद मुख्य सड़क बंद होने से इन गांवों के किसान सब्जी लेकर दून नहीं आ पाए। इससे उन्हें खासा नुकसान हुआ।

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