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पत्नी की हत्या करने वाला इनामी गिरफ्तार, बचपन में छोटी सी बात पर भाई को भी उतार दिया था मौत के घाट

पांच वर्ष पहले हरिद्वार में पत्नी की हत्या कर फरार हुए इनामी बदमाश को एसटीएफ ने कानपुर में गिरफ्तार कर लिया है। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि विश्वजीत मलिक 25 नवंबर 2015 को अपनी पत्नी की हत्या कर फरार हो गया था।

By Raksha PanthriEdited By: Published: Sat, 09 Jan 2021 08:26 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jan 2021 08:26 AM (IST)
पत्नी की हत्या करने वाला इनामी गिरफ्तार, बचपन में छोटी सी बात पर भाई को भी उतार दिया था मौत के घाट
पत्नी की हत्या करने वाला इनामी गिरफ्तार।

जागरण संवाददाता, देहरादून। पांच वर्ष पहले हरिद्वार में पत्नी की हत्या कर फरार हुए इनामी बदमाश को स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने कानपुर (उत्तर प्रदेश) में गिरफ्तार कर लिया है। एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अजय सिंह ने बताया कि विश्वजीत मलिक मूल निवासी तीन नंबर जेल कैंप सितारगंज (ऊधमसिंह नगर) 25 नवंबर 2015 को अपनी पत्नी की हत्या कर फरार हो गया था। इसके बाद से ही पुलिस और एसटीएफ उसकी तलाश कर रहे थे। हरिद्वार पुलिस ने उसपर पांच हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया था। 

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बीते दिनों एसटीएफ को सूचना मिली कि विश्वजीत कानपुर में कहीं छिपा हुआ है। इसके बाद उसकी गिरफ्तारी के लिए एसटीएफ और हरिद्वार पुलिस की संयुक्त टीम गठित की गई, जिसका नेतृत्व एसटीएफ की कुमाऊं यूनिट के निरीक्षक एमपी सिंह को सौंपा गया। टीम में शामिल एसटीएफ के आरक्षी किशोर कुमार और महेंद्र गिरी ने कानपुर पहुंचकर विश्वजीत की तलाश शुरू की। तकरीबन दस दिन की मेहनत के बाद पता चला कि वह कानपुर के रसूलाबाद में महेंद्र नगर गांव में पहचान बदलकर निवास कर रहा है। शुक्रवार को टीम ने गांव में छापा मारकर विश्वजीत को गिरफ्तार कर लिया।

विश्वजीत ने पुलिस को बताया कि पत्नी से उसके संबंध अच्छे नहीं थे। वह छोटी-छोटी बातों पर झगड़ा करती थी। इससे परेशान होकर वह 25 नवंबर को अपनी ससुराल हरिद्वार पहुंचा और वहां पत्नी की हत्या करने के बाद फरार हो गया। इसके बाद से वह पुलिस से बचने के लिए उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में छिपता फिर रहा था।

1994 में की थी बड़े भाई की हत्या

विश्वजीत बचपन से ही आपराधिक प्रवृत्ति का था। 1993-94 में उसने मामूली बात पर अपने बड़े भाई गोपाल मलिक की हत्या कर दी थी। इस मामले में सितारगंज थाना पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर बाल गृह हल्द्वानी भेज दिया था, जहां से वह छह महीने बाद छूट गया। 

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