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इसबार निकाय चुनाव में जुड़ी एक नर्इ शर्त, नहीं माने तो भुगतना पड़ेगा हर्जाना

राज्य निर्वाचन आयोग ने इसबार निकाय चुनाव आयोग में एक नर्इ शर्त जोड़ी है। जिसके मुताबिक प्रत्याशी चुनाव प्रचार में प्लास्टिक या पॉलीथिन से बनी सामग्री का प्रयोग नहीं करेंगे।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Mon, 22 Oct 2018 05:55 PM (IST)Updated: Mon, 22 Oct 2018 05:55 PM (IST)
इसबार निकाय चुनाव में जुड़ी एक नर्इ शर्त, नहीं माने तो भुगतना पड़ेगा हर्जाना

देहरादून, [जेएनएन]: उत्तराखंड में हो रहे निकाय चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग ने एक अनोखी पहल की है। इसबार चुनाव में आयोग प्रत्याशियों को स्वच्छता का पाठ भी पढ़ा रहा है। दरअसल, आयोग ने फैसला लिया है कि हर प्रत्याशी को अपने नामांकन पत्र के साथ ही इस आशय का शपथ पत्र भी भरना होगा कि वह चुनाव में प्लास्टिक या पॉलीथिन से बनी किसी तरह की प्रचार सामग्री का इस्तेमाल नहीं करेगा।  

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किसी भी शहर को स्वच्छ रखने की पहली जिम्मेदारी, संबंधित नगर निकाय की होती है। लेकिन हम अक्सर देखते हैं कि जिम्मेदार निकाय प्रतिनिधि ही अपनी जिम्मेदारी से निगाह फेर लेते हैं। ऐसे में कैसे शहर स्वच्छ हो ये बड़ा सवाल बनकर रह जाता है। हालांकि अब उम्मीद है कि यही जिम्मेदार प्रतिनिधि अपनी जिम्मेदारियों का अच्छे से निर्वहन करेंगे और ऐसा हो इसके लिए निर्वाचन आयोग ने भी कमर कस ली है। 

आपको बता दें कि नगर निकाय चुनाव में निर्वाचन से पहले ही राज्य निर्वाचन आयोग ने प्रत्याशियों के लिए साफ शब्दों में गाइडलाइन जारी कर दी है। इस गाइडलाइन के मुताबिक हर प्रत्याशी को अपने नामांकन पत्र के साथ इस आशय का शपथ पत्र भी भरना होगा कि वह चुनाव में प्लास्टिक या पॉलीथिन से बनी प्रचार सामग्री का प्रयोग नहीं करेंगे। नामांकन पत्र में अधिकांश एंट्री लगभग पहले जैसी ही है। इसमें सिर्फ इस नए प्रपत्र को शामिल किया किया है। 

नहीं किया पालन तो होगी कड़ी कार्रवार्इ 

सहायक निर्वाचन अधिकारी (पंचास्थानी चुनावालय) वीएस चौहान ने कहा कि अगर इस शपथ पत्र को भरने के बाद अगर किसी प्रत्याशी ने इसका उल्लंघन किया तो न सिर्फ उन्हें चुनाव लड़ने से रोका जा सकता है, बल्कि निर्वाचित होने के बाद सदस्यता समाप्त भी की जा सकती है।

शिकायत मिलने पर उठाए जाएं प्रभावी कदम 

वहीं पूर्व मुख्यसचिव एन रविशंकर का कहना है कि निर्वाचन आयोग ने जो पहल की वो अच्छी है। लेकिन सिर्फ पहल करने भर से चीजें व्यवस्थित तरीके से नहीं चलेंगी। इस बात का खास ख्याल रखा जाना चाहिए कि जो ये फैसला लिया गया है इसकी प्रभावी तरीके से मॉनीटरिंग हो और अगर भविष्य में इस प्लास्टिक या पॉलीथिन से बनी सामग्री से प्रचार की कोर्इ शिकायत मिलती है तो उसपर गौरफरमाकर कड़े कदम उठाए जाएं। क्योंकि नियम तो बना दिए जाते हैं लेकिन उनका उल्लंघन करने में कोर्इ भी कसर नहीं छोड़ी जाती है। 

चुनाव प्रचार में होता है पॉलीथिन-प्लास्टिक से बनी सामग्री का अत्याधिक प्रयोग 

पर्यावरण के लिए पॉलीथिन और प्लास्टिक एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। इसको देखते हुए प्रदेशभर में पॉलीथिन को पहले ही पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जा चुका है। इसके बाद भी पॉलीथिन का इस्तेमाल चोरी छिपे हो रहा है और हम अक्सर देखते हैं चुनाव प्रचार के लिए इनसे बनी सामग्री का अत्याधिक प्रयोग शुरू हो जाता है। निर्वाचन आयोग ने इसे गंभीर समस्या मानते हुए ये कड़ा कदम उठाया है। 

प्रचार तेज होने पर क्या धरातल पर उतर पाएगा फैसला 

अब भले ही निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार के दौरान पॉलीथिन या प्लास्टिक से बनी सामग्री का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी हो, लेकिन इस फैसले को प्रत्याशी कितना मानते हैं इसबात का पता तो प्रचार-प्रसार तेज होने पर ही लग  पाएगा। क्योंकि इनसे बनी सामग्री सस्ती होने के साथ ही आसानी से बड़ी तादाद में मिल जाती है। अब ऐसे में सवाल उठता है कि आयोग का ये फैसला धरातल पर उतर पाता है या सिर्फ एक फैसला बनकर रह जाता है।  

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