पिरुल इकाइयों की स्थापना व प्रशिक्षण को 14 करोड़
उत्तराखंड के लिए खुशखबरी। पिरुल आधारित बिजली उत्पादन व बायोमास इकाइयों की स्थापना व प्रशिक्षण को एशियन विकास बैंक से 14 करोड़ की मदद देने को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है।
राज्य ब्यूरो, देहरादून
उत्तराखंड के लिए खुशखबरी। पिरुल आधारित बिजली उत्पादन व बायोमास इकाइयों की स्थापना व प्रशिक्षण को एशियन विकास बैंक से 14 करोड़ की मदद देने को केंद्र सरकार ने मंजूरी दी है। ऊर्जा सचिव राधिका झा ने कहा कि मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के तहत राज्य में पिरुल आधारित बिजली उत्पादन, ब्रिकेटिंग व बायो आयल इकाइयों की स्थापना के लिए लाभ दिए जाएंगे।
राज्य सरकार ने पिरुल (चीड़ की पत्तियों) व अन्य प्रकार के बायोमास से विद्युत उत्पादन के लिए नीति-2018 लागू की है। इस नीति के तहत अभी तक दो चरणों में कुल 38 परियोजनाओं को विभिन्न उद्यमियों को आवंटित किया जा चुका है। इनमें चार परियोजनाओं की स्थापना का कार्य अंतिम चरण में है। ऊर्जा सचिव राधिका झा ने बताया कि चीड़ के जंगलों से उपलब्ध पत्तियों से रोजगार के साथ ही वनों में लगने वाली आग को रोकने में मदद मिलेगी। इस कार्य में स्थानीय स्तर पर महिला स्वयं सहायता समूहों, वन पंचायतों के माध्यम से चीड़ आधारित विद्युत परियोजनाओं या ब्रिकेटिंग इकाइयों की स्थापना करने, महिला समूहों को पिरुल एकत्रीकरण व भंडारण की व्यवस्था को प्रशिक्षण देने व वन पंचायतों, महिला मंगल दल के सदस्यों की क्षमता विकास करने को तकनीकी सहायता के रूप में 14 करोड़ की धनराशि का प्रस्ताव रखा गया था।
उरेडा के इस प्रस्ताव पर केंद्रीय वित्त मंत्रालय में गठित स्क्रीनिंग कमेटी ने मंजूरी दे दी है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उनकी ओर से केंद्र सरकार के साथ लगातार पत्राचार किया जा रहा था। राज्य में प्रति वर्ष करीब छह लाख मीट्रिक टन पिरूल उपलब्ध होता है। इसके अतिरिक्त आठ मीट्रिक टन अन्य बायोमास जैसे कृषि उपज अवशेष, लैंटना भी उपलब्ध है। इसतरह प्रति वर्ष 14 लाख मीट्रिक टन पिरुल व अन्य बायोमास उपलब्ध हो सकता है। इससे करीब 150 मेगावाट विद्युत उत्पादन व 2000 मीट्रिक टन तक ब्रिकेटिंग व बायो आयल उत्पादन की संभावना है।