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बिल्डर की कॉलोनी के लोग भी ले सकते हैं बिजली कनेक्शन, पढ़िए पूरी खबर

बिजली विभाग को आदेश दिए गए हैं कि अगर कॉलोनी डेवलपर और बिल्डर ने सिंगल प्वाइंट बल्क सप्लाई कनेक्शन लिया है।

By Raksha PanthariEdited By: Published: Fri, 27 Sep 2019 03:21 PM (IST)Updated: Fri, 27 Sep 2019 03:21 PM (IST)
बिल्डर की कॉलोनी के लोग भी ले सकते हैं बिजली कनेक्शन, पढ़िए पूरी खबर
बिल्डर की कॉलोनी के लोग भी ले सकते हैं बिजली कनेक्शन, पढ़िए पूरी खबर

देहरादून, जेएनएन। ऑम्बड्समैन ने बिजली विभाग को आदेश दिए हैं कि अगर कॉलोनी डेवलपर और बिल्डर ने सिंगल प्वाइंट बल्क सप्लाई कनेक्शन लिया है। यदि इस बिल्डर की कॉलोनी का कोई भी निवासी विभाग से सीधे कनेक्शन के लिए आवेदन करता है तो उसको कनेक्शन दिया जाएगा। साथ ही इसमें बिल्डर कोई अड़चन पैदा करे तो प्रशासन की मदद ली जाए। 

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आयोग ने कॉलोनी में मकान लेने वाले को बिल्डर से ही बिजली लेने की याचिका को खारिज कर दिया है। मैसर्स हीरो रिएल्टी के रंजन कोहली निवासी हरिद्वार ने आयोग में अपील दायर कर कहा कि उनकी विकसित कॉलोनी में सुरेश श्रीवास्तव ने बिजली विभाग से सीधे कनेक्शन के लिए आवेदन किया। जबकि उन्होंने कॉलोनी में आपूर्ति के लिए 1275 केवीए का सिंगल प्वाइंट बल्क सप्लाई कनेक्शन लिया है। आयोग ने बिल्डर को सुने बिना ही श्रीवास्तव को कनेक्शन देने के लिए आदेश दे दिया। इस पर उन्होंने आपत्ति दर्ज की। 

इधर, सुरेश श्रीवास्तव ने बताया कि कनेक्शन के लिए ऊर्जा विभाग के लगाए पांच पोल को बिल्डर ने उखाड़ दिया। बाद में उन्होंने पोल लगाने के लिए शुल्क जमा किया। साथ ही यह भी बताया कि बिल्डर कॉलोनी के बाहर के लोगों को भी आपूर्ति कर रहा है। सबसे टैरिफ रेट से कहीं ज्यादा वसूली की जा रही है। जांच में आयोग ने पाया कि विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 43 के तहत किसी हाउसिंग सोसायटी जहां बिल्डर ने सिंगल प्वाइंट बल्क सप्लाई ली है, फिर भी कॉलोनी का कोई भी निवासी सीधे विभाग से कनेक्शन ले सकता है। आयोग ने विभाग को कनेक्शन देने और बिल्डर की ओर से अड़चन लगाने पर प्रशासन की मदद लेने के निर्देश दिए हैं। 

जांच के बाद बिजली के बिल में मिली राहत 

तासीन और मो. युनूस निवासीगण हरिद्वार ने आयोग में शिकायत दर्ज कर बताया कि 1998 में बिजली कनेक्शन के लिए छह-छह सौ रुपये जमा किए। जब इन्होंने खुद टूटे हुए पोल और तार का इंतजाम किया तो 2004 में कनेक्शन मिला। 2013 में मीटर लगाए गए। 29 मार्च 2013 को दोनों ने सरचार्ज माफी के तहत बिल केे  24, 807 रुपये जमा किए। 23 फरवरी 2017 को फिर से आठ हजार रुपये जमा किए। दोनों उपभोक्ताओं ने मार्च 2019 तक 35,231 एवं 45,384 रुपये जमा किए। जबकि बिजली विभाग का मानना था कि उपभोक्ताओं ने कम रुपये जमा किए हैं। इसके खिलाफ बिजली विभाग ने मंच में शिकायत दर्ज की। 

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इस पर आयोग ने बिजली विभाग को बिल का विवरण पेश करने को कहा। विभाग ने जुलाई 2019 तक तासीन पर 42,063 और युनूस पर 76,487 रुपये के बिल और विलंब शुल्क 9,328 रुपये बकाया बताया। जांच के बाद तासीन की सही देयता 71.70 रुपये और युनूस की 34,352 रुपये निकली। इसके साथ ही दोनों उपभोक्ताओं को विलंब शुल्क 9,328 रुपये की राहत दी। 

वहीं, युनूस के बिजली की यूनिट ज्यादा होने की वजह से चेक मीटर लगाने के बाद आई रिपोर्ट के अनुसार ही बिल देने के निर्देश दिए। 

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