देश के सभी टाइगर रिजर्व में गश्त पर रहेगी खुफिया निगाह
देश के सभी 50 टाइगर रिजर्व में अब गश्त पर भी खुफिया निगाह रखी जाएगी। इसके तहत मानसून सीजन में भी कैमरा ट्रैपिंग के साथ ही अन्य संसाधनों का प्रयोग किया जाएगा।
देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: बाघ सुरक्षा के मद्देनजर देश के सभी 50 टाइगर रिजर्व में अब गश्त पर भी निगाह रखी जाएगी। इसके लिए राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) द्वारा विशेष रूप से तैयार एंड्रॉयड बेस मोबाइल एप्लीकेशन 'एम स्ट्राइप' का इस्तेमाल किया जाएगा।
यही नहीं, पन्ना टाइगर रिजर्व में बाघ सुरक्षा के मद्देनजर मानसून सीजन में भी कैमरा ट्रैपिंग जैसे उपाय अन्य टाइगर रिजर्व करेंगे। साथ ही कार्बेट सहित जिन टाइगर रिजर्व में अभी तक स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स का गठन नहीं हुआ है, वहां इसे जल्द कराने को कहा गया है।
इसके अलावा तय किया गया है कि शिकारियों व तस्करों पर अंकुश लगाने के लिए सभी टाइगर रिजर्व आपस में जानकारियों का आदान-प्रदान करेंगे। एनटीसीए की पहल पर रामनगर में हुए मंथन में यह फैसले लिए गए। यही नहीं, खुफिया तंत्र विकसित करने के साथ ही सुरक्षा में पुलिस, खुफिया तंत्र, सेना समेत अन्य विभागों की मदद भी ली जाएगी।
देशभर में बाघ शिकारियों के निशाने पर हैं। पिछले एक दशक की तस्वीर देखें तो हर साल औसतन 31 बाघों का शिकार हो रहा है। खासकर, कुख्यात बावरिया गिरोहों ने सभी जगह नींद उड़ाई हुई है।
वन्यजीव सुरक्षा के लिहाज से महफूज समझे जाने वाले संरक्षित क्षेत्रों में भी शिकारी और तस्कर धमककर अपनी कारगुजारियों को अंजाम देते आ रहे हैं। ऐसे में टाइगर रिजर्व में होने वाली वनकर्मियों की गश्त पर भी सवाल उठना लाजिमी है। एनटीसीए की पहल पर दो दिन तक तक रामनगर के ढेकुली में हुई 11 राज्यों के 54 अधिकारियों की बैठक में भी इस पर गहनता से मंथन हुआ।
एनटीसीए के डीआइजी निशांत वर्मा के मुताबिक टाइगर रिजर्व में पेट्रोलिंग सशक्त हो तो कोई भी संरक्षित क्षेत्र में घुसने की हिमाकत नहीं कर सकेगा। उन्होंने बताया कि अब सभी टाइगर रिजर्व में एम-स्ट्राइप एप का इस्तेमाल पेट्रोलिंग में होगा।
इसके जरिए टाइगर रिजर्व के कर्मी गश्त के दौरान का पूरा डेटा अपलोड करेंगे। इससे पता चल सकेगा कि किस क्षेत्र में क्या गतिविधि है और इस पहल से प्रबंधन में भी मदद मिलेगी।
पन्ना व कान्हा की तरह होगी पहल
डीआईजी वर्मा ने बताया कि टाइगर रिजर्व प्रबंधन की दिशा में पन्ना और कान्हा टाइगर रिजर्व ने अभिनव प्रयोग किए हैं। पन्ना में मानसून सीजन में भी सभी संवेदनशील स्थलों पर कैमरा ट्रैप लगे रहते हैं, जिससे बाघों पर लगातार नजर रखी जाती है।
वहीं कान्हा में हर्बीबोर की ट्रांसलोकेशन का प्रोटोकाल तैयार किया गया है। कहीं भी भोजन की कमी होने पर शाकाहारी जीवों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाता है और कमी वाले क्षेत्र में इसके विकास के प्रयास किए जाते हैं। सभी टाइगर रिजर्व से कहा गया है कि वे भी इसी हिसाब से पहल करें।
13 टाइगर रिजर्व में नहीं एसटीपीएफ
एनटीसीए ने बाघ सुरक्षा के मद्देनजर कार्बेट (उत्तराखंड) सहित 13 टाइगर रिजर्व में अभी तक स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स (एसटीपीएफ) का गठन न होने पर भी चिंता जताई है। इसके लिए संबंधित टाइगर रिजर्व से तुरंत कार्रवाई करने को कहा गया। इसके लिए उन्हें सरिस्का टाइगर रिजर्व की तरह कदम उठाने के निर्देश दिए गए।
अंतर्राज्यीय सीमा पर खास फोकस
एनटीसीए के डीआइजी के मुताबिक सभी राज्यों को शिकारियों व तस्करों से जुड़ी जानकारी शेयर करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके लिए वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो की मदद लेने को कहा गया। संवेदनशील क्षेत्रों के साथ ही अंतर्राज्यीय सीमाओं पर संयुक्त गश्त के साथ ही अन्य उपाय करने को भी कहा गया। सुरक्षा में ग्रामीणों की भागीदारी बढ़ाने के भी निर्देश दिए गए हैं।
देश में बाघों का शिकार
वर्ष----------------संख्या
2008----29
2009----32
2010----30
2011----13
2012----32
2013----43
2014----23
2015----26
2016----50
2017----36
(स्रोत: वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन सोसायटी आफ इंडिया)
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