निजी स्कूलों को सशर्त फीस वसूली की छूट पर हाई कोर्ट पहुंचे अभिभावक, इन नंबरों पर करें शिकायत
निजी स्कूलों को सरकार ने सशर्त फीस वसूली की इजाजत दी है। सरकार ने यह साफ किया है कि निजी स्कूल अभिभावक से जबरन वसूली नहीं करेंगे। अभिभावक संघ इसका विरोध कर रहे हैं।
देहरादून, जेएनएन। निजी स्कूलों को सरकार ने सशर्त फीस वसूली की इजाजत दी है। सरकार ने यह साफ किया है कि निजी स्कूल अभिभावक से जबरन वसूली नहीं करेंगे। अभिभावक संघ इसका विरोध कर रहे हैं। उनका आरोप है कि फीस वसूली की छूट मिलने के बाद से ही स्कूलों ने सरकार के निर्देशों का उल्लंघन शुरू कर दिया है। अभिभावकों ने हाई कोर्ट में शिक्षा विभाग और निजी स्कूलों के खिलाफ जनहित याचिका दायर कर दी है। वहीं, अगर स्कूल फीस को लेकर आप पर दबाव बनाया जा रहा है तो इन नंबरों पर 104, 01352726066 शिकायत कर सकते हैं।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स (एनएपीएसआर) ने नैनीताल हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कोरोना वायरस से फैली महामारी खत्म होने तक फीस वसूली पर रोक लगाए रखने की मांग की है। अभिभावकों का कहना है कि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन की वजह आम लोग नाजुक दौर से गुजर रहे हैं। ऐसे में बहुत से अभिभावक निजी स्कूलों की मोटी फीस चुकाने में समर्थ नहीं हैं।
एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि पिछले महीने मानव संसाधन विकास मंत्री, मुख्यमंत्री और राज्य शिक्षा मंत्री से एक महीने की फीस माफ कराने की मांग की गई थी। लेकिन इसके उलट सरकार ने निजी स्कूलों को फीस लेने की छूट दे दी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने निजी स्कूलों को फीस वसूली की छूट देकर यह साफ कर दिया है कि उसे आम जनता की परेशानियों से सरोकार नहीं है।
उन्होंने बताया कि निजी स्कूलों ने छूट मिलने के साथ ही जबरन फीस मांगने के साथ फीस बढ़ा दी है। अभिभावकों को अपनी तय दुकानों से किताबें खरीदने का मैसेज भेजने भी शुरू कर दिए हैं। खान ने कहा कि इन्हीं मनमानियों के खिलाफ उन्होंने जनहित याचिका दायर की है। इसके साथ ही याचिका में यह भी स्पष्ट किया गया है कि सरकारी वेतन भोगियों से भी निजी स्कूल केवल मासिक शुल्क ही लें।
मनमानी पर उतरे निजी स्कूल
सरकार से फीस वसूली की छूट मिलते ही निजी स्कूलों ने मनमानी करना शुरू कर दिया है। सरकार के आदेशों की नाफरमानी कर कुछ स्कूलों ने नए सत्र में फीस बढ़ा दी है तो कुछ दो से तीन महीने की फीस एक साथ मांग रहे हैं। साथ ही अभिभावकों पर फीस वसूली के लिए दबाव भी बना रहे हैं।
नंदा की चौकी स्थित एक स्कूल ने अभिभावकों से नए सत्र में फीस बढ़ाकर लेना शुरू कर दिया है। इसके साथ ही स्कूल सालाना शुल्क भी वसूल रहा है। एक अभिभावक ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि स्कूल में उनके दो बच्चे पढ़ते हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार छोटे बेटे की फीस में 250 और बड़े बेटे की फीस में 300 रुपये प्रतिमाह की बढ़ोत्तरी कर दी गई है। उनका कहना है कि जब शासन के आदेशों का हवाला दिया गया तो स्कूल ने फीस के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया और स्कूल से लगातार बढ़ी हुई फीस के लिए कॉल व मैसेज किए जाने लगे।
इसी स्कूल के अन्य अभिभावकों ने बताया कि पिछले साल भी स्कूल की ओर से फीस में बढ़ोत्तरी की गई थी। अभिभावकों ने स्कूल की शिकायत मुख्य शिक्षा अधिकारी से वाट्सएप पर की है। अभिभावकों ने स्कूल का नाम बदलने पर भी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि स्कूल का पुराना नाम शेम्फोर्ड था। इसी के आधार पर बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाया था, लेकिन स्कूल ने बिना किसी को बताए ही नाम बदल दिया।
मुख्यशिक्षाधिकारी आशा रानी पैन्युली ने बताया कि शासन का स्पष्ट आदेश है कि कोई भी स्कूल इस सत्र में फीस बढ़ोत्तरी नहीं कर सकता। साथ ही असमर्थ अभिभावकों पर फीस के लिए दबाव भी नहीं बनाया जा सकता। नंदा की चौकी स्थित एक स्कूल की शिकायत मिली है। इसकी जांच कराकर उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जाएगा।
मनमाने दामों पर हो रही किताबों की डिलीवरी
जिला प्रशासन ने कुछ बुक सेलर को पास जारी कर दुकानें खोलने की इजाजत दी है। उन्हें किताबें अभिभावकों को होम डिलीवरी करने के आदेश भी दिए गए हैं। जिससे दुकान पर भीड़ न लगे। लेकिन, बुक सेलर यहां भी मुनाफाखोरी से बाज नहीं आ रहे। किताबें घर तक पहुंचाने के लिए मनमाने दाम वसूले जा रहे हैं। अभिभावकों ने प्रशासन से इस मनमानी पर रोक लगाने की अपील की है। उधर, प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने कहा कि अभिभावकों की समस्या सुलझाने और बुक सेलर की सुविधा के लिए हर स्कूल संचालक एक निश्चित दिन स्कूल में ही पुस्तकों का वितरण करवाने को तैयार है। बुक सेलर कक्षावार दिन का चयन कर स्कूलों में किताबें बांट सकते हैं।
एनएसयूआइ ने भी प्रशासन को सौंपा ज्ञापन
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआइ) ने निजी स्कूलों पर फीस वसूली को लेकर मनमानी का आरोप लगाया। उन्होंने मामले में प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है। रविवार को कचहरी में एसडीएम गोपाल राम को ज्ञापन सौंपते हुए एनएसयूआइ के प्रदेश अध्यक्ष मोहन भंडारी और जिला अध्यक्ष सौरभ ममगाईं ने बताया कि शहर के कई निजी स्कूलों ने अभिभावकों से फीस मांगना शुरू कर दिया है। स्कूल में शुल्क जमा करने के लिए नोटिस भी लगा दिया है। लॉकडाउन के चलते लोगों की आर्थिकी गड़बड़ा गई है। इससे उनपर बोझ बढ़ गया है। जिसका संगठन विरोध करता है। सौरभ ममगाईं ने कहा कि यदि कोई स्कूल जबरन शुल्क लेता है तो एनएसयूआइ विरोध करेगी।
प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन की अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने बताया कि हमने निजी स्कूलों को शासन की ओर से जारी निर्देशों का सख्ती से पालन करने की अपील की है। समर्थ अभिभावकों से ही फीस वसूली की जाएगी। शासन के आदेशों का पालन न करने वाले स्कूलों पर शिक्षा विभाग और प्रशासन बेशक कार्रवाई कर सकता है।
यह भी पढ़ें: NEET PG के पहले चरण में 454 ने किया पंजीकरण, जानिए सीट आवंटन का शेड्यूल
स्कूल फीस का दबाव बनाए तो प्रशासन को बताएं
अगर कोई स्कूल फीस में बढ़ोत्तरी करता है या फीस देने का दबाव बनाता है, तो उसकी शिकायत जिला प्रशासन से की जा सकती है। ऐसी शिकायतों को दर्ज करने के साथ ही त्वरित कार्रवाई के लिए जिला कंट्रोल रूम के नंबर जारी किए गए हैं। जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने कहा कि कई माध्यम से इस बात की सूचना मिल रही है कि कुछ स्कूल फीस बढ़ा रहे हैं और फीस के लिए अभिभावकों पर दबाव बना रहे हैं। यदि किसी भी अभिभावक पर ऐसा दबाव बनाया जाता है तो वह शिकायत कर सकते हैं। शिकायत का त्वरित रूप से संज्ञान लेने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं। स्कूलों को नोटिस भेजे जाएंगे और जांच कराकर उनके खिलाफ आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी।
इन नंबर पर करें शिकायत
104, 01352726066
यह भी पढ़ें: नीट-पीजी स्टेट काउंसलिंग के पहले चरण का शेड्यूल जारी, 25 तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन