पंतनगर विश्वविद्यालय की मदद से महकेगी जैविक दून बासमती
गोविंद बल्लभ पंत कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर ने दून बासमती का जैविक प्रजनक बीज तैयार कर लिया है।
देहरादून, [अशोक केडियाल]: देश-विदेशों में अपनी खशबू के लिए मशहूर देहरादून की बासमती की महक भविष्य में न केवल दून बल्कि प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी महकेगी। गोविंद बल्लभ पंत कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर ने दून बासमती का जैविक 'प्रजनक' बीज (सीड) तैयार कर लिया है। प्रथम चरण में पंतनगर विवि 10 कुंतल जैविक दून बासमती का बीज प्रमाणीकरण के बाद कृषकों को उपलब्ध करवाएगा।
विवि के सीड विभाग के अनुसार, दून बासमती की 'टाइप-थ्री' देशभर में प्रसिद्ध थी। लेकिन यह धीरे-धीरे इसका उत्पादन कम होता गया और आज यह लगभग समाप्त होने की कगार पर है। विवि ने पिछले दो सालों से धान की 'टाइप-थ्री' पर शोध कर इसका जैविक रूप में तैयार किया है। विवि की प्रयोगशाला में इसपर शोध एवं निष्कर्ष निकालने के बाद प्रजनक बीज का टेस्ट भी किया जा चुका है।
टेस्टिंग उत्पादन भी पूरा हो चुका है। अब विवि अपने फार्म हाउस में प्रथम चरण में 10 कुंतल बीज तैयार कर रहा है। इसके बाद जैसे-जैसे डिमांड आएगी, विवि प्रमाणिक सरकार बीज निगम एवं निजी कंपनियों को उपलब्ध करवाएगा। बीज प्रमाणीकरण कंपनियों की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 1980 तक देहरादून जिले में करीब छह सौ एकड़ में दून बासमती की पैदावार होती थी।
जो वर्ष 1990 में घटकर दो सौ एकड़ रह गई और वर्ष 2010 में यह 55 हेक्टेयर में सिमट गई। वर्ष 2017 में यह मात्र 11 हेक्टेयर के आसपास है। जो बासमती उगाई भी जा रही है, उसमें टाइप थ्री दून बासमती बेहद कम है।
दून बासमती की टाइप थ्री का जैविक प्रजनक सीड है तैयार
डॉ.प्रभा शंकर शुक्ला (संयुक्त निदेशक (सीड), जीबी पंत विवि पंतनगर) ने बताया कि गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में दून बासमती की टाइप थ्री का जैविक प्रजनक सीड तैयार है। जिसका व्यवसायिक उत्पादन किया जाएगा। देहरादून सहित प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी इस बीज की बेहद डिमांड है। इसके बाद यह बीज अन्य प्रदेशों को भी उनकी मांग पर दिया जाएगा। दून बासमती की देश में अपनी एक अलग पहचान है। इसी पहचान को बनाए रखने के लिए विवि ने कार्य किया।
विवि में 6000 कुंतल बीज उत्पादन
पंतनगर विवि के 700 एकड़ कृषि फार्म में प्रतिवर्ष छह हजार कुंतल प्रजनक बीज तैयार होता है। जो देश के 17 राज्यों को निर्यात किया जाता है। जिनमें गेंहू, धान, गन्ना, तिलहन, दलहल आदि के बीज शामिल हैं। विवि ओडीशा, असम, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, गुजरात, बिहार, मध्यम प्रदेश, उत्तरप्रदेश, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल आदि राज्यों को बीज उपलब्ध करवाता है। विवि में अभी तक बीज प्रमाणीकरण का डीएनए फिंगर प्रिंट केवल प्रयोगशाला तक सीमित है, लेकिन विवि जल्द ही एक प्रपोजल बनाकर राज्य सरकार की मदद से राष्ट्रीय बीज विभाग को भेजेगा। ताकि विवि में व्यवसायिक स्तर पर बीज प्रमाणीकरण का फिंगर प्रिंट सुविधा शुरू हो सके।
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