आखिर कब होगा आउटसोर्स एजेंसी का चयन
प्रदेश के विभिन्न विभागों में तकनीकी व विशेषज्ञ पद फिलहाल अदद आउटसोर्सिग एजेंसी के अभाव में रिक्त पड़े हैं।
राज्य ब्यूरो, देहरादून: प्रदेश के विभिन्न विभागों में तकनीकी व विशेषज्ञ पद फिलहाल अदद आउटसोर्सिग एजेंसी के अभाव में रिक्त पड़े हैं। श्रम एवं सेवायोजन विभाग को आउटसोर्सिग एजेंसी बनाने की बात कही गई है लेकिन एक वर्ष गुजरने के बावजूद भी यह निर्णय धरातल पर नहीं उतर पाया है। इस कारण प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार पाने के लिए इंतजार करना पड़ रहा है।
प्रदेश में अभी तक उपनल ही तकनीकी व कुशल कर्मचारियों को उपलब्ध कराने की एकमात्र आउटसोर्सिग एजेंसी थी। इसके अलावा प्रांतीय रक्षक दल और होमगार्ड्स के जरिये भी आउटसोर्सिग से नियुक्तियां होती हैं लेकिन ये चतुर्थ श्रेणी के पदों के लिए ही मानव संसाधन उपलब्ध कराते हैं। वर्ष 2016 में आउटसोर्सिग का काम उपनल से लेकर युवा कल्याण विभाग को देने की बात उठी थी लेकिन मंत्रिमंडल में आमराय न बनने के कारण यह निर्णय नहीं हो पाया। प्रदेश में मार्च 2016 में राजनीतिक अस्थिरता के बाद सरकार ने तत्कालीन सैनिक कल्याण मंत्री हरक सिंह रावत के समय उपनल के जरिये की गई नियुक्तियों पर जांच बिठाई और कई लोगों को बाहर किया। इसी दौरान सरकार ने यह भी निर्णय लिया कि उपनल के जरिये केवल पूर्व सैनिकों को ही नियुक्ति प्रदान की जाएगी। हालांकि, इसके बाद सरकार ने पूर्व सैनिकों के आश्रितों को भी इसमें शामिल किया। यह तय किया गया था कि शेष बेरोजगारों के लिए अलग आउटसोर्सिग एजेंसी का चयन किया जाएगा। इसके लिए वर्ष 2016 में ही बाकायदा युवा कल्याण विभाग से प्रस्ताव तैयार कराया गया। इसके बाद मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में एजेंसी चयन के लिए बैठक भी हुई लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया। प्रदेश में वर्ष 2017 में नई सरकार के गठन के बाद एक बार फिर नई आउटसोर्सिग एजेंसी को लेकर मशक्कत शुरू की गई। इसमें पहले युवा कल्याण और फिर बाद में श्रम एवं सेवायोजन कार्यालय को आउटसोर्सिग एजेंसी के रूप में चयनित करने की बात की गई। यहां तक कि मई 2018 में सरकार ने सदन में श्रम एवं सेवा योजन विभाग को आउटसोर्सिग एजेंसी बनाने का निर्णय लिए जाने की जानकारी भी दी, मगर अभी तक इस पर पूरा काम नहीं हो पाया है।
श्रम एवं सेवायोजन मंत्री हरक सिंह रावत का कहना है कि श्रम एवं सेवायोजन विभाग को आउटसोर्सिग एजेंसी बनाने की कवायद अंतिम चरण में है। आचार संहिता समाप्त होने के बाद इसका गठन करने की कवायद तेज कर दी जाएगी।