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भारत में प्रतिवर्ष 30 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर ग्रसित

देश में ब्रेस्ट कैंसर के मामले साल दर साल बढ़ रहे हैं। जन जागरूकता की कमी से इस बीमारी के शुरुआत में ध्यान नहीं देने के कारण यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Jan 2021 01:48 AM (IST)Updated: Wed, 06 Jan 2021 01:48 AM (IST)
भारत में प्रतिवर्ष 30 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर ग्रसित

जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : देश में ब्रेस्ट कैंसर के मामले साल दर साल बढ़ रहे हैं। जन जागरूकता की कमी से इस बीमारी के शुरुआत में ध्यान नहीं देने के कारण यह गंभीर स्थिति में पहुंच जाती है। उपचार में देरी और बीमारी को छिपाने से यह बीमारी जानलेवा साबित होती है।

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अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, एम्स ऋषिकेश के निदेशक पद्मश्री प्रो. रवि कांत का कहना है कि जागरूकता के अभाव के चलते प्रतिवर्ष देश में औसतन 30 में से एक महिला ब्रेस्ट कैंसर से ग्रसित हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि एम्स ऋषिकेश में ब्रेस्ट कैंसर के इलाज की सभी विश्वस्तरीय आधुनिकतम सुविधाएं उपलब्ध हैं। संस्थान में इसके लिए विशेषतौर पर 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र' की स्थापना की गई है।

संस्थान के इंटिग्रेडेड ब्रेस्ट कैंसर क्लिनिक 'एकीकृत स्तन उपचार केंद्र' (आइबीसीसी ) की प्रमुख व वरिष्ठ शल्य चिकित्सक प्रो. डॉ. बीना रवि ने बताया कि ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत अधिकांशत: 40 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में पाई जाती है। 80 प्रतिशत महिलाओं में इन्वेंसिव डक्टल कॉर्सिनोमा के कारण कैंसर होता है, यह कैंसर मिल्क डक्ट में विकसित होता है। शुरुआत में इस पर ध्यान नहीं दिया तो धीरे-धीरे यह गंभीर स्थिति में पहुंचकर ब्रेन, लीवर और रीढ़ की हड्डी तक पहुंचकर पूरे शरीर में फैल जाता है। उन्होंने बताया कि संस्थान में विस्तृत जांचों के आधार पर कैंसर के स्टेज का पता लगाया जाता है। साथ ही केंद्र में सर्जरी के माध्यम से गांठ को निकालने और रेडिएशन देने की सुविधा भी उपलब्ध है। उन्होंने बताया कि महिला का इलाज करने के दौरान ट्रिपल असिस्मेंट की विधि अपनाई जाती है। जिसमें चरणबद्ध तरीके से मेमोग्राफी, बायोस्पी और महिला की काउंसिलिग के तीन चरण शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जिन महिलाओं की छाती में गांठ है अथवा उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की शिकायत है, उन्हें इस तरह के लक्षणों को छिपाना नहीं चाहिए बल्कि समुचित उपचार के लिए अनुभवी चिकित्सकों से परामर्श लेना चाहिए।

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ब्रेस्ट कैंसर के प्रारंभिक लक्षण

स्तन में या बांहों के नीचे गांठ का उभरना, स्तन का रंग लाल होना, स्तन से खून जैसा द्रव बहना, स्तन पर डिपल बनना, स्तन का सिकुड़ जाना अथवा उसमें जलन पैदा होना, पीठ अथवा रीढ़ की हड्डी में दर्द की शिकायत रहना।

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बचाव व कारण

इस बीमारी के लक्षणों के प्रति जागरूक रहकर नियमित तौर पर छाती की स्वयं जांच करना जरूरी है। महिलाओं को चाहिए कि इस प्रकार के लक्षण नजर आते ही वह समय पर अपना इलाज शुरू करें, ताकि गंभीर स्थिति आने से पहले ही इस बीमारी का निदान किया जा सके। खराब खान-पान और अनियमित दिनचर्या, धूमपान और शराब के सेवन। इसके अलावा ब्रेस्ट कैंसर आनुवांशिक कारणों से भी हो सकता है।

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दूध पिलाने से खतरा कम

बच्चे को अपना स्तनपान कराने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। आइबीसीसी की चेयरपर्सन प्रो. बीना रवि के अनुसार बच्चे को मां का दूध पिलाने से स्तन में गांठें नहीं बनती। साथ ही बच्चे को मां के दूध के माध्यम से संपूर्ण पौष्टिक तत्व भी प्राप्त हो जाते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी महिलाएं अपने बच्चे को कम से कम दो साल की उम्र तक स्तनपान जरूर कराएं। बच्चे को अपना दूध पिलाने से महिला में एक विशिष्ट प्रकार के कैंसर की संभावना कम हो जाती है।


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