लोकतंत्र के पर्व में आहुति देने के लिए बुजुर्गों ने भी लिया बढ़ चढ़कर हिस्सा
देहरादून में मतदान को लेकर बुजुर्गों का उत्साह तो यही बयां कर रहा था। लोकतंत्र के पर्व में आहुति देने के लिए बुजुर्गों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया।
देहरादून, जेएनएन। शरीर भले ही साथ न दे रहा हो, मगर जज्बे में आज भी युवाओं को ज्यादा ललक बुजुर्गो में दिखाई दी। देहरादून में मतदान को लेकर बुजुर्गों का उत्साह तो यही बयां कर रहा था। लोकतंत्र के पर्व में आहुति देने के लिए बुजुर्गों ने भी बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। बुजुर्गों का कहना था कि वह ऐसा शहर देखना चाहते हैं, जो विकास के पथ पर अग्रसर हो।
शहर के सतत विकास का सपना संजोए दून के बुजुर्ग संविधान में प्रदत्त जिम्मेदारी के निर्वहन को मतदान केंद्र तक पहुंचे। अजबपुर निवासी 90 वर्षीय जमीला ठीक से चल नहीं सकतीं। बढ़ती उम्र ने हाथों में लाठी थमा दी, मगर जज्बा आज भी युवाओं को मात देने वाला। उनका कहना था कि देश के प्रत्येक नागरिक का दायित्व है कि वह अपने मताधिकार का प्रयोग करे।
पलटन बाजार निवासी जसवंत कौर 73 वर्ष में भी कुछ ऐसी ही सोच रखती हैं। जसवंत कौर व्हीलचेयर के सहारे मतदान स्थल पहुंचीं और वोट डाला। तिलक रोड निवासी 70 वर्षीय सरिता के पैर में गंभीर फ्रैक्चर था, तब भी अपने परिजनों के साथ व्हीलचेयर के सहारे मतदान केंद्र पहुंची और वोट डाला।
मतदान को गोद व रेहड़े से पहुंचे बुजुर्ग
जहां पहली बार मताधिकार का प्रयोग करने वाले युवाओं के चेहरों पर वोट डालने को लेकर खुशी देखने को मिली। वहीं शारीरिक रूप से बीमार और चलने में सक्षम नहीं होने के बावजूद कई बुजुर्ग मतदान केंद्रों तक पहुंचे। ऐसे में उनके इस जज्बे को हर किसी ने सराहा।
भगवानपुर के वार्ड नंबर छह की 95 वर्षीय जिंदी ठीक से चल भी नहीं पाती हैं। बावजूद इसके वह अपने मत का प्रयोग करना नहीं भूली। परिवार के सदस्य उन्हें मतदान केंद्र तक लाए और उन्होंने मताधिकार का प्रयोग किया। मंगलौर के मोहल्ला पीरगढ़ी की रहने वाली अकबरी (85) के हाथ में चोट लगने और चलने में दिक्कत होने के बावजूद वह वोट डालने के लिए आई। इसी प्रकार से मंगलौर के जमील (80) को गोद में लेकर मतदान केंद्र तक लाया गया।
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